छोटे बच्‍चों को भी हो सकता है स्‍ट्रोक का खतरा, जानें क्‍या हैं बच्‍चों में स्‍ट्रोक के लक्षण और जोखिम कारक

हम में से अधिकांश लोगों को लगता है कि स्‍ट्रोक का खतरा केवल वयस्‍क लोगों को ही होता है, जबकि यह सच नहीं है। कुछ शोध कहते हैं कि बच्‍चों को भी स्‍ट्रोक का खतरा हो सकता है। 
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छोटे बच्‍चों को भी हो सकता है स्‍ट्रोक का खतरा, जानें क्‍या हैं बच्‍चों में स्‍ट्रोक के लक्षण और जोखिम कारक


आपने अक्‍सर बड़े-बुजुर्गों में स्‍ट्रोक के बारे में सुना होगा। स्‍ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जिसमें या तो रक्‍त प्रवाह अवरूद्ध हो जाता है या फिर मस्तिष्‍क में रक्‍तप्रवाह होता है, जो कि स्‍ट्रोक का कारण बनता है। इसे ब्रेन स्‍ट्रोक भी कहा जाता है। वैसे यह माना जाता है कि अक्‍सर व्‍यस्‍कों में ही स्‍ट्रोक का खतरा होता है, लेकिन कुछ शोध बताते हैं कि छोटे बच्‍चों में भी स्‍ट्रोक का खतरा हो सकता है। जी हां, एक हालिया शोध के मुताबिक, बच्चे भी स्ट्रोक का अनुभव कर सकते हैं, जीवन के पहले वर्ष के दौरान बच्‍चों में स्ट्रोक होने का अधिक खतरा होता है। हालांकि, ऐसा देखा गया है कि आमतौर पर स्‍ट्रोक के बाद शरीर का लकवा मारना, कमजोरी, दर्द, चक्‍कर आना आदि समस्‍याएं हो सकती है। वहीं शोध के अनुसार, छोटे बच्‍चों में भी स्‍ट्रोक का खतरा हो सकता है, इसलिए माता-पिता को जरूरत है कि वह अपने बच्‍चे का ध्‍यान रखें और कुछ लक्षण या संकेतों के दिखते ही सर्तक हो जाएं। आइए यहां बच्‍चों में स्‍ट्रोक के कुछ लक्षण और जोखिम कारक दिए गए हें। 

Stroke In Children

बच्‍चों में स्‍ट्रोक के लक्षण 

स्‍ट्रोक के कुछ पूर्व संकेत एक महीने पहले दिख सकते हैं। हालांकि आइए यहां छोटे बच्‍चों में स्‍ट्रोक के कुछ सामान्‍य लक्षण दिए गए हैं:

  • अटैक 
  • उनिंदापन या सुस्‍ती 
  • शरीर के केवल एक भाग का काम करना 
  • उल्‍टी 
  • कमजोरी 
  • आंखे खोलने या घुमाने में दिक्‍क्‍त 
  • चक्‍कर आना 
  • बोलने या समझने में परेशानी महसूस करना 

 

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Brain Stroke Sign In Child

बच्‍चों में स्‍ट्रोक के संकेत 

आप FAST इन 4 अल्‍फाबेट्स फॉर्मुले से अपने बच्‍चे में स्‍ट्रोक के संकेतों को समझें। 

F : F यानि फेस ड्रॉपिंग, यह तब होता है, जब आपका बच्‍चा मुस्‍कुरा रहा है लेकिन उसकी हंसी या चेहरा कुछ असमान सा लग रहा हो। 

A : A यानि आर्म्‍स वीकनेस, यानि कि उसके हाथों का सुन्‍न होना या शरीर के एक हिस्‍से का काम न कर पाना। 

S : S का मतलब है स्‍पीच डिफिकल्‍टी, यानि यदि आपका बच्‍चा बोलने की कोशिश करता है, लेकिन बोल नहीं पाता है और उसे बोलने में कठिनाई होती है, तो यह स्‍ट्रोक के संकेतों में से एक है। 

T : टाइम टू कॉल डॉक्‍टर, इन सब लक्षणों के दिखते ही आप अपने डॉक्‍टर से संपर्क करें। क्‍योंकि यह संकेत सीधा-सीधा स्‍ट्रोक की ओर इशारा करते हैं। 

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बच्‍चे में स्‍ट्रोक के जोखिम कारक 

यहां बच्‍चों में स्‍ट्रोक के कुछ जोखिम कारक दिए गए हैं: 

  • दिल की बीमारियां या कोई हृदय संबंधी समस्‍या 
  • सिकल-सेल डिजीज (SCD) 
  • सिर की चोट 
  • माइग्रेन 
  • बच्‍चों में हाई ब्‍लड प्रेशर
  • खून के थक्‍के बनना 
  • इंफेक्‍शन
  • मेटाबॉलिक डिसऑर्डर आदि 

यहां हमने आपको बच्‍चों में स्‍ट्रोक के कुछ सामान्‍य लक्षण, संकेत और जोखिम कारक बताए हैं। अधिकांश मामलों में स्ट्रोक के तुरंत बाद उसके लक्षण अक्सर प्रकट होते है। लेकिन यदि लक्षण एक या दो घंटे से भी कम समय तक चलते है, तो समझें यह एक मिनी स्ट्रोक था। जो एक तरह की चेतावनी है, इसलिए आप इन लक्षण और संकेतों के दिखने पर देरी न करें और तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करें। यह आपके बच्‍चे की जिंदगी और मौत से जुड़ा सवाल है। 

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