हिप डिस्प्लेसिया जैसा कि नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है, यह बच्चों में कूल्हों से जुड़ी एक समस्या है। हिप डिस्प्लेसिया, हिप के विकास से संबंधित है, जिसमें इस समस्या के कारण बच्चे को खड़े होने, चलने, बैठने या फिर सीडि़यां चढ़ने में समस्या हो सकती है और उसे सहारे की जरूरत पड़ सकती है। कूल्हों से जुड़ी समस्या काफी तकलीफदायक हो सकती है। क्योंकि आपके कूल्हें शरीर के वजन का समर्थन करते हैं और आपके ऊपरी पैरों को स्तानांतरित करने में मदद करते हैं। जिससे कि आप चल-फिर सकते हैं। यही वजह है कि बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया जैसी समस्या उनके जीवन पर बड़ा प्रभाव डाल सकती है।
हिप डिस्प्लेसिया क्या है?
हिप डिस्प्लेसिया एक ऐसी स्थिति है, जहां कूल्हे के "बॉल और सॉकेट" शिशुओं और छोटे बच्चों में ठीक से नहीं बनते हैं। इसे कभी-कभी जन्मजात हिप अव्यवस्था या हिप डिस्प्लासिया भी कहा जाता है। आपके कूल्हे शरीर की एक बॉल और सॉकेट हैं। यानि आपके हिप ज्वाइंट, जांघ की हड्डी (फीमर) को श्रोणि से जोड़ता है। ऐसे में यदि आपके कूल्हे सामान्य हैं, तो यह हिप बॉल आपको स्थानांतरित करने के लिए सॉकेट में स्वतंत्र रूप से घूमती है। वहीं यदि आपको हिप डिस्प्लेसिया है, तो आपका हिप बॉल और सॉकेट पूरी तरह से जांघ की हड्डी को आसानी से नहीं ढक पाता और स्थानांतरित नहीं कर पाते। जिससे कि आपके कूल्हे का जोड़ आसानी से ढीला पड़ सकता है। आइए यहां अब हम आपको हिप डिस्प्लेसिया के कारण, लक्षण और इलाज बताते हैं।
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बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया के कारण
बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया की समस्या होने के कई कारण हैं, जिसमे:
- पारिवारिक इतिहास।
- बेबी ब्रीच: यानि बच्चे के कूल्हे और पैर मा के गर्भाशय ग्रीवा के पास होना।
- मां की पहली प्रेगनेंसी या पहली प्रेगनेंसी में मां के पेट का सख्त होना ।
- फीमेल बेबी में ज्यादा खतरा होता है ।
- ओलिगोहाइड्रामनिओस: शिशुओं में कम एमनियोटिक द्रव का स्तर, जो गर्भ में बच्चे के मूवमेंट को सीमित करता है।
हिप डिस्प्लेसिया के लक्षण
हिप डिस्प्लेसिया के लक्षण उम्र पर निर्भर करते हैं। छोटे बच्चों में इस मुद्दे के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं हैं। यह किसी भी दर्द का कारण नहीं है इसलिए यह समस्या को नोटिस करना मुश्किल है। हालांकि, माता-पिता यह देख सकते हैं कि उनके बच्चे का एक पैर दूसरे की तुलना में लंबा है। इसके अलावा, जब बच्चा चलना शुरू करता है, तब आप इसके लक्षणों को पहचान सकते हैं। जिसमें लक्षण कुछ इस प्रकार हैं:
- हिप में दर्द
- कूल्हे के साइड या बैक में भी असुविधा
- बच्चे के चलने में परेशानी होना
- चलने में असमर्थ होना आदि।
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हिप डिस्प्लेसिया का कैसे करें इलाज?
हिप डिस्प्लेसिया का इलाज बच्चे की उम्र और लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है। हिप डिस्प्लेसिया के कुछ उपचारों में शामिल हैं।
#1. पावलिक हार्नेस : पावलिक हार्नेस बच्चों में हिप डिस्प्लेसिया के इलाज के लिए बनाया गया एक खासतौर का उपकरण है। इसकी मदद से बच्चों के कूल्हों को सही पोजिशन में रखने में मदद मिलती है, ताकि उनके कूल्हे के जोड़ का विकास सही तरीके से हो सके। यह कुछ हफ्ते या महीने के बच्चों को पहनाया जाता है।
#2. क्लोज्ड रिडक्शन : 6 सप्ताह से एक वर्ष के बीच के बच्चों के लिए यह इलाज है, जिसमें उन्हें एनेस्थीसिया के तहत रखा जाता है और फिर डॉक्टर कूल्हे को सॉकेट में सही तरीके से फिट करता है।
#3. ओपन रिडक्शन : 12 महीने से अधिक उम्र के बच्चों में हिप डिस्प्लसिया के लिए ओपन रिडक्शन सर्जरी की आवश्यकता होती है। यह मुख्य रूप से तब होती है, जब समस्या गंभीर होती है।
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