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प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटा एक्रिटा की समस्या क्यों होती है? डॉक्टर से जानें

प्रेग्नेंसी में महिलाओं प्लेसेंटा एक्रिटा की वजह से अधिक ब्लीडिंग की समस्या हो सकती है। आगे डॉक्टर से समझते हैं इस समस्या के बारे में   
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प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटा एक्रिटा की समस्या क्यों होती है? डॉक्टर से जानें


Causes Of Placenta Accreta In Hindi: प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं को सामना करना पड़ता है। इस दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव की वजह से महिलाओं को जी मिचलाने और उल्टी की समस्या होना एक आम बात है। डॉक्टरों के मुताबिक प्लेसेंटा एक्रिटा गर्भावस्था की एक गंभीर स्थिति है जो तब होती है जब प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार में बहुत गहराई तक बढ़ जाता है। बच्चे के जन्म के बाद यह नाल गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है। लेकिन, जब यह गर्भाशय में अंदर तक जुड़ जाता है, तो ऐसे में डिलीवरी के बाद महिलाओं को अधिक ब्लीडिंग की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आगे स्री रोग विशेषण डॉ विभा बंसल से जानते हैं कि प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटा एक्रिटा की समस्या क्यों होती है। 

प्लेसेंटा एक्रिटा के कारण - Causes Of Placenta Accreta In Hindi 

पिछले सिजेरियन सेक्शन

पहली डिलीवरी में सिजेरियन करने के बाद महिलाओं को प्लेसेंटा एक्रिटा का जोखिम बढ़ जाता है। डॉक्टर के मुताबिक हर बार सिजेरियन के बाद महिलाओं को अगली प्रेग्नेंसी में प्लेसेंटा एक्रिटा होने की संभावना बढ़ जाती है। 

गर्भाशय की सर्जरी 

जिन महिलाओं को पहले मायोमेक्टॉमी (गर्भाशय फाइब्रॉएड को हटाना) या गर्भाशय पॉलीप्स को हटाने के लिए गर्भाशय की सर्जरी करानी होती है, उनको प्लेसेंटा एक्रिटा होने का खतरा अधिक होता है। गर्भाशय की सर्जरी के बाद इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। दरअसल, सर्जरी के बाद टिश्यू प्लेसेंटा के जुड़ाव को प्रभावित कर सकती है। 

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प्लेसेंटा प्रीविया

प्लेसेंटा प्रीविया एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्लेसेंटा गर्भाशय ग्रीवा को ढक लेता है। जब प्लेसेंटा प्रीविया और प्लेसेंटा एक्रिटा एक साथ होते हैं, तो इससे जटिलताएं बढ़ सकती है। 

गर्भाशय संबंधी समस्या 

गर्भाशय संबंधी समस्याएं, जैसे कि गर्भाशय का असामान्य बढ़ना, प्लेसेंटा एक्रिटा के लिए के जोखिम कारक को बढ़ा सकता है। ऐसे में महिलाओं को डॉक्टर से जांच अवश्य करानी चाहिए। 

इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) 

जो महिलाएं आईवीएफ से गुजर चुकी हैं, उनमें प्लेसेंटा एक्रिटा का खतरा थोड़ा अधिक हो सकता है। इस संबंध के सटीक कारण पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह कई गर्भधारण के बढ़ते जोखिम से संबंधित है।

प्लेसेंटा एक्रेटा के लक्षण - Symptoms Of Placenta Accreta In Pregnancy In Hindi 

शुरूआती दौर में ही इस समस्या की जांच बेहद आवश्यक है। इसमें महिलाओं को महसूस होने वाले लक्षणों को आगे बताया गया है। 

  • दूसरी या तीसरी तिमाही में अधिक रक्तस्राव होना
  • पेट में दर्द महसूस होना
  • गर्भाशय में अधिक कोमलता (सॉफ्टनेस) होना
  • बार-बार कॉन्ट्रैक्शन (अनियमित संकुचन)
  • पेशाब संबंधी समस्या होना, आदि। 

प्लेसेंटा एक्रेटा का उपचार कैसे किया जाता है? - Treatment Of Placenta Accerta In Hindi 

प्लेसेंटा एक्रेटा के जोखिम को कम करने के लिए आपको कुछ तरह के बचाव उपाय अपना सकते हैं। 

  • गर्भाशय धमनी एम्बोलिज़ेशन (Uterine Artery Embolization): इस प्रक्रिया में प्लेसेंटा में रक्त के प्रवाह को कम करने के लिए गर्भाशय की नसों को अवरुद्ध किया जाना शामिल है। यह सर्जरी के दौरान रक्तस्राव को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
  • हिस्टेरेक्टॉमी (Hysterectomy): कुछ मामलों में प्लेसेंटा एक्रिटा की समस्या गंभीर हो सकती है। ज्यादा खून बहने से महिला की जान को खतरा हो सकता है। ऐसे में कई बार डॉक्टर हिस्टेरेक्टॉमी यानी गर्भाशय को हटा सकते हैं। जब डॉक्टर के पास रक्त को रोकने का कोई विकल्प नहीं बचता है, तब यह प्रक्रिया की जाती है। 
  • सिजेरियन सेक्शन की योजना: कई मामलों में, पहले से सिजेरियन सेक्शन की योजना बनाने से डॉक्टरों को डिलीवरी के समय होने वाले जोखिम को कम करने के लिए योजना तैयार करने का समय मिल जाता है। 
  • ब्लड ट्रांसफ्यूजन: डिलीवरी और उसके बाद अधिक रक्तस्राव होने पर महिलाओं की स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए ब्लड चढ़ाया जा सकता है। 
  • नवजात की देखभाल: प्लेसेंटा एक्रिटा वाली महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं को विशेष देखभाल की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे बच्चे अक्सर समय से पहले ही जन्म ले लेते हैं। इसमें बच्चे को एनआईसीयू की आवश्यकता हो सकती है। 

इसे भी पढ़ें: क्या सर्दियों में प्रेग्नेंट महिलाओं की परेशानियां बढ़ जाती हैं? डॉक्टर से जानें कैसे करें सही देखभाल

प्रेग्नेंसी में महिलाओं को कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है। ऐसे में उनको शरीर में होने वाले किसी भी तरह के बदलावों में तुरंत महिला रोग विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए। किसी भी तरह की समस्या को नजरअंदाज करना महिलाओं के लिए मुश्किल भरा हो सकता है।  

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