बीमारी है। इसे हेपेटिक स्टेटोसिस के नाम से भी जाना जाता है। इस बीमारी के होनेपर लिवर की कोशिकाओं में काफी ज्यादा मात्रा में वसा यानी फैट जमा होने लगता है। वैसे तो यह काफी आम समस्या है। खराब जीवनशैली, मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियों के कारण फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। फैटी लिवर होने पर थकान, पेट में असहजता, सूजन आदि लक्षण नजर आने लगते हैं। कभी-कभी फैटी लिवर होने प किसी तरह के लक्षण नहीं भी नजर आते हैं। ऐसी स्थिति में फैटी लिवर के बारे में देर से पता चलता है, जिससे बीमारी का इलाज समय पर नहीं हो पाता है और मरीज की स्थिति बिगड़ जाती है। बहरहाल, यहां सवाल यह है कि क्या फैटी लिवर के साथ व्यक्ति सामान्य जिंदगी जी सकता है? अगर हां! तो कैसे? इस बारे में हमने फरीदाबाद स्थित सर्वोदय अस्पताल में Director-Gastrentrologist डॉ.कपिल शर्मा से विस्तार से बात की।
क्या फैटी लिवर के साथ हेल्दी लाइफ जीना संभव है?- Can You Live A Normal Life With Fatty Liver Disease In Hindi
फैटी लिवर होने पर इसकी अनदेखी करना सही नहीं है। लंबे समय तक इलाज नहीं करवाने से व्यक्ति की कंडीशन बिगड़ सकती है। जाहिर है, यह सही नहीं है। जहां तक सवाल इस बात का है कि क्या फैटी लिवर होने के बावजूद मरीज स्वस्थ जिंदगी जी सकता है? इस बारे में एक्सपर्ट की सलाह है, ‘फैटी लिवर के साथ स्वस्थ जिंदगी जीना संभव है, बशर्ते व्यक्ति अपनी लाइफस्टाइल को हेल्दी रखे। यह भी मायने रखती है कि फैटी लिवर की स्थिति कितनी खराब है। अबर लिवर की कंडीशन सही है या फैटी लिवर अपने शुरुआती स्तर में है, तो अच्छी लाइफस्टाइल फॉलो करके हेल्दी लाइफ जीना संभव है।’ आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि जिन लोगों को नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर होता है, वे बिना किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या के स्वस्थ जी रहे हैं। हालांकि, अगर कोई अन्य मेडिकल कंडीशन है, तो मरीज को समय-समय अपने हेल्थ चेकअप करवाते रहना चाहिए। खासकर, अगर कोई मोटापे और हाई ब्लड प्रेशर का शिकार है, तो उन्हें अपनी हेल्थ को लेकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
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फैटी लिवर के साथ हेल्दी लाइफ कैसे जिएं- How To Live A Normal Life With Fatty Liver
लाइफस्टाइल में करें बदलाव
फैटी लिवर का मतलब है कि लिवर के आसपास फैट का जमना। जिन लोगों को फैटी लिवर की दिक्कत होती है, उन्हें अपनी डाइट में अच्छी चीजों को शामिल करना चाहिए। तले-भुने, प्रोसेस्ड और आर्टिफिशियल स्वीटनर युक्त चीजों से दूर रहना चाहिए। वहीं, रेगुलर एक्सरसाइज करनी चाहिए। इस तरह की लाइफस्टाइल नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के मरीजों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है।
नियमित अपनी जांच करवाएं
फैटी लिवर के मरीजों को नियमित रूप से अपनी बॉडी की जांच करवानी चाहिए। सिर्फ यह जानकारी काफी नहीं होगी कि उनका लिवर स्वस्थ है या नहीं। उन्हें डायबिटी, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों की भी जानकारी रखनी चाहिए। इससे संभावित रिस्क को जानकर उसे कम किया जा सकता है।
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वजन संतुलित रखें
हर तरह की बीमारी से निजात पाना है, तो वजन का कंट्रोल करना जरूरी होता है। डायबिटी, बीपी, थायराइड जैसी तमाम हेल्थ कंडीशन के लिए मोटापा जिम्मेदार होता है। इसीलिए, फैटी लिवर के मरीजों को भी अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए वजन को संतुलित बनाए रखना है।
मेडिकल कंडीशन को मैनेज करें
अगर फैटी लिवर होने के साथ-साथ डायबिटीज, हाई बीपी, कोलेस्ट्रॉल जैसी कोई और मेडिकल कंडीशन है, तो बेहतर होगा कि उन्हें भी मैनेज करने की कोशिश करें। ध्यान रखें कि हर बीमारी एक-दूसरे से इंटरकनेक्टेड होती है। जैसे अगर डायबिटीज है और ब्लड शुगर कंट्रोल में नहीं है, तो इसका बुरा प्रभाव शरीर के सभी अंगो पर पड़ता है। लिवर पर भी यह असर देखने को मिलता है। इसलिए, किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या है, तो उसे मैनेज करें।
FAQ
क्या मैं फैटी लिवर के साथ पूरी जिंदगी जी सकता हूं?
अगर फैटी लिवर नॉन-एल्कोहॉलिक है, तो इसे मैनेज करने में ज्यादा मुश्किलें नहीं आती हैं। वहीं, अगर एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज है, तो यह लगभग 10 सालों बाद सिरोसिस में बदल जाता है। अगर समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह लिवर फेलियर या कैंसर में बदल सकता है।क्या पैदल चलने से फैटी लिवर से छुटकारा मिल सकता है?
फैटी लिवर के लिए एक्सरसाइज करना अच्छा विकल्प होता है। रोजाना करीब 30 मिनट वॉक करना चाहिए। लिवर के स्वास्थ्य में सुधार होने लगेगा।फैटी लिवर को सिरोसिस बनने में कितना समय लगता है?
एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज करीब 10 साल बाद फाइब्रोसिस या सिरोसिस में विकसित हो सकता है। हालांकि, यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।