ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (Autoimmune Hepatitis) एक गंभीर लिवर डिसऑर्डर है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अपनी ही लिवर की स्वस्थ कोशिकाओं को नष्ट करने लगती हैं। यह एक प्रकार की क्रोनिक (दीर्घकालिक) सूजन संबंधी बीमारी है, जो समय के साथ लिवर को नुकसान पहुंचा सकती है। ऐसे ही फैटी लिवर (Fatty Liver) एक अन्य लिवर से संबंधित समस्या है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में अत्यधिक वसा (फैट) जमा हो जाती है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस फैटी लिवर का कारण बन सकता है? इस लेख में यशोदा अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर एपी सिंह से इन दोनों स्थितियों के बीच संभावित संबंध को समझने का प्रयास करते हैं।
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस क्या है? - What Is Autoimmune Hepatitis In Hindi
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली लिवर की कोशिकाओं को खुद के लिए खराब मानकर उन पर हमला करती है। इससे लिवर में सूजन हो जाती है, और अगर इसका इलाज न किया जाए तो यह समय के साथ लिवर फेलियर (Liver Failure) या सिरोसिस (Cirrhosis) का कारण बन सकती है। इस स्थिति के सटीक कारण को अभी पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन यह माना जाता है कि इसमें जेनेटिक और इंवॉयरमेटल फैक्टर की भूमिका होती है।
फैटी लिवर क्या है? - What s Fatty Liver In Hindi
फैटी लिवर, जिसे स्टीएटोसिस (Steatosis) भी कहा जाता है। यह एक स्थिति है जिसमें लिवर की कोशिकाओं में अत्यधिक फैट जमा हो जाता है। यह दो प्रकार का होता है।
- नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD): यह तब होता है जब अल्कोहल के सेवन के बिना लिवर में फैट जमा हो जाता है।
- अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज: यह उन लोगों में होता है जो अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन करते हैं।
अधिकतर मामलों में फैटी लिवर में किसी तरह के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं, लेकिन यह लिवर की सूजन, सिरोसिस, और लिवर फेलियर का कारण बन सकता है।
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस और फैटी लिवर के बीच संबंध - Connection Between Autoimmune Hepatitis And Fatty Liver In Hindi
हालांकि ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस और फैटी लिवर दो अलग-अलग लिवर डिसऑर्डर हैं, परंतु इन दोनों के बीच कुछ संबंध हो सकते हैं।
मेडिसिन का प्रभाव
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस का इलाज स्टेरॉयड और इम्यूनोसप्रेसेंट्स जैसी दवाओं से किया जाता है। इन दवाओं का लंबे समय तक उपयोग शरीर के मेटाबॉलिज्म (Metabolism) पर प्रभाव डाल सकता है, जिससे वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है। वजन बढ़ने से फैटी लिवर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
सूजन और फैट का इकट्ठा होना
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस के दौरान लिवर में लगातार सूजन होती रहती है। इस सूजन के कारण लिवर की कोशिकाएं ठीक से काम नहीं कर पाती हैं और ऐसे में लिवर में फैट का इकट्ठा होना शुरू हो सकता है। हालांकि यह सीधे फैटी लिवर का कारण नहीं होता, लेकिन इससे फैट मेटाबॉलिज्म में गड़बड़ी हो सकती है, जो समय के साथ फैटी लिवर की स्थिति को बढ़ा सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम और जोखिम कारक
ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस वाले कई लोगों में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के अन्य कारक, जैसे हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, और टाइप 2 डायबिटीज देखे जा सकते हैं। ये सभी फैटी लिवर के लिए जोखिम कारक होते हैं। अगर किसी व्यक्ति में ये कारक पहले से ही मौजूद हों, तो ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस की स्थिति इन जोखिमों को और बढ़ा सकती है।
फैटी लिवर के क्या लक्षण हो सकते हैं? - Symptoms Of Fatty Liver in Hindi
- थकान
- पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में दर्द
- वजन बढ़ना
- भूख कम होना
- कमजोरी
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डॉक्टर्स के अनुसार बीमारी का समय पर पहचान करने से इसका इलाज किया जा सकता है। इससे फैटी लिवर या लिवर से जुड़ी अन्य समस्याओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसके साथ ही डॉक्टर मरीज की डाइट और लाइफस्टाइल में कई तरह के बदलाव करने की सलाह दे सकते हैं।