प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीनों में किसी महिला को ब्लीडिंग होना यानी परेशानी का सबब। गर्भावस्था महिला के लिए एक ऐसी अवस्था है जिसमें उसे सिर्फ अपना ही नहीं साथ में गर्भ में पल रहे शिशु का भी ध्यान रखना जरूरी होता है। ऐसे में यदि महिला को किसी भी वजह से ब्लड स्पॉट आ जाए या ब्लीडिंग शुरू हो जाए तो यह चिंता का विषय है। कई बार समस्या गंभीर भी हो सकती है। इसलिए आपका इन कारणों को जानना जरूरी है। बहुत सी बार डॉक्टर आराम करने की एडवाइज देते हैं। आराम करने से ब्लीडिंग रुक सकती है। लेकिन कभी कभार यह ब्लीडिंग 2 से 3 दिन के बाद भी नहीं रुकती। तब इसे मिसकैरेज की संभावना माना जाता है। आमतौर पर ब्लडस्पाट या ब्लीडिंग का कारण एस टी आई इन्फेक्शन, सेक्स, अल्ट्रासाउंड या पेल्विक एग्जामिनेशन भी हो सकता है।
प्रेग्नेंसी में ब्लीडिंग होने के कारण-Causes of bleeding during pregnancy in hindi
1. एक्टोपिक प्रेग्नेंसी
अगर यूटरस के बाहर या फैलोपियन ट्यूब में प्रेग्नेंसी शुरू होती है तो इस तरह की प्रेग्नेंसी को एक्टोपिक कहा जाता है। ऐसे में बच्चा यूटरस के बाहर जिंदा नहीं रह पाता है और इस वजह से भी ब्लीडिंग देखने को मिल सकती है।
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2. मोलर प्रेग्नेंसी
इस प्रेग्नेंसी में फर्टिलाइज हुआ एग यूटरस के अंदर न जा कर बाहर इंप्लांट हो जाता है और बच्चा बनने के बजाए एक ट्यूमर बन जाति है। इस केस में भी ब्लीडिंग देखने को मिल सकती है।
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3. सर्विकल पॉलिप्स
यह सर्विक्स के अंदर नॉन कैंसरस ग्रोथ होती है। इसमें ब्लीडिंग देखने को इसलिए मिलती है क्योंकि शरीर में एस्ट्रोजन लेवल बढ़ जाते हैं।
4. इंप्लांटेशन ब्लीडिंग
इस केस में एग यूटरस की वॉल पर इंप्लांट हो जाता है और हल्की-हल्की ब्लीडिंग होती है। शरीर ब्लड वेसल्स को यूटरस तक बढ़ाता है ताकि बच्चे तक खून पहुंच सके और इस वजह से भी ब्लीडिंग देखने को मिल सकती है।
5. मिसकैरेज
अगर 20 हफ्ते से पहले बच्चा खराब हो जाता है तो उसे मिसकैरेज कहा जाता है। इस केस में हैवी ब्लीडिंग होती है और साथ ही पेट दर्द भी काफी होता है। मिसकैरिज से होने वाली ब्लीडिंग केवल तीन महीने के अंदर-अंदर ही होती है।
6. प्लासेंटल अब्रुप्शन
यह स्थिति काफी कम देखने को मिलती है। लेकिन इस केस में प्लेसेंटा यूटरस की वॉल से अलग हो जाती है। यह मां और बच्चे दोनों के लिए ही एक गंभीर स्थिति होती है।
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प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली ब्लीडिंग को प्राकृतिक रूप से कैसे रोकें ?
ब्लीडिंग की जांच करते रहें
आपको ब्लीडिंग महसूस होने पर पहले उसे मॉनिटर करना होगा और यह जानना होगा कि फ्लो कितना है और उसमें कैसा डिस्चार्ज दिख रहा है। इसके लिए आप पैंटी लाइनर या फिर सेनिट्री पैड का प्रयोग कर सकती हैं। इससे ब्लीडिंग का ट्रैक रख पाने में मदद मिलेगी।
आगे होने वाली ब्लीडिंग को रोकें
आगे ब्लीडिंग न हो इसके लिए इस बात का ध्यान रखें कि आप अपनी वेजाइना में कुछ भी इंसर्ट न करें। साथ ही टैंपोन और मेंस्ट्रुअल कप का प्रयोग इस दौरान न करें। सेक्स जैसी गतिविधियों में भी अधिक शामिल नहीं होना चाहिए।
डॉक्टर से मदद लें
अगर ब्लीडिंग बंद नहीं हो रही है और आपको इसके पीछे का कारण भी नहीं पता है तो आपको अपने डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करनी चाहिए। उन्हें लक्षणों और कब से ब्लीडिंग हो रही है इसके बारे में जरूर बताएं। अगर चक्कर आ रहे हैं तो भी उन्हें जरूर बताएं ।
अगर ब्लीडिंग हो रही है तो हमेशा ही इसका मतलब यह नहीं होता कि यह गंभीर स्थिति है। इसके पीछे कई बार इंफेक्शन और सेक्सुअल रिलेशन भी हो सकता है। इसलिए डरने की बजाए पहले डॉक्टर के पास जाएं और कारण पता करने की कोशिश करें।
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