Betel Leaf Benefits For Oral Health Problems in Hindi: भारत में पान के पत्ते का उपयोग आयुर्वेद में कई सालों से किया जा रहा है। पान के पत्ते में कई औषधीय गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं से राहत दिलाने में मदद कर सकता है। ज्यादातर लोग पान का सेवन अपने शौक के लिए करते हैं, लेकिन इसके पत्तों का इस्तेमाल आप औषधीय तरीकों से भी कर सकते हैं। पान का पत्ता न सिर्फ आपके गले की खराश, खांसी और कफ जैसी समस्याओं में फायदेमंद होता है, बल्कि ये आपके ओरल हेल्थ के लिए भी लाभकारी होता है। लेकिन, आपको पता है कि ये आपके ओरल हेल्थ के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। ऐसे में आइए मेवाड़ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एवं प्राकृतिक चिकित्सालय बापू नगर, जयपुर की वरिष्ठ चिकित्सक योग, प्राकृतिक चिकित्सा पोषण और आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. किरण गुप्ता से जानते हैं कि ओरल हेल्थ के लिए पान के पत्ते के क्या फायदे हैं?
पान का पत्ता खाने से मुंह से जुड़ी कौन-कौन सी समस्याएं दूर होती है? - Betel Leaf Benefits For Oral Health Problems in Hindi
जर्नल ऑफ कार्डियोवैस्कुलर डिजीज रिसर्च की एस स्टडी के अनुसार, पान का पत्ता, जो आमतौर पर अलग-अलग सांस्कृतिक प्रथाओं में उपयोग किया जाता है, अपने औषधीय गुणों के कारण ओरल हेल्थ के लिए कई फायदे दे सकता है। जिसमें मुंह के इंफेक्शन से लेकर दांत दर्द से राहत दिलाने वाले गुण होते हैं।
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1. हानिकारक बैक्टीरिया को कम करता है
पान के पत्तों में फाइटोकेमिकल्स जैसे कि यूजेनॉल (eugenol), कैरवाक्रोल (carvacrol) और टैनिन्स (tannins) जैसे पावरफूल एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो आपके मुंह में मौजूद स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स जैसे हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करने में फायदेमंद होते हैं। ये बैक्टीरिया दांतों में सड़न और मसूड़ों से जुड़ी समस्याओं का कारण बनते हैं। पान के पत्ते का अर्क दांतों में कैविटी बनाने वाले बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं, जिससे लंबे समय तक दांत के इंफेक्शन को कम किया जा सकता है।
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2. सांस की बदबू से राहत
पान का पत्ता चबाने से आपको मुंह की बदबू से राहत मिल सकता है, क्योंकि ये पत्ते आपके मुंह में ताजगी बढ़ाने में मदद करते हैं। पान का पत्ता आपके मुंह में सलाइवा के फ्लो को बढ़ाता है, जिससे बैक्टीरिया और बदबू का कारण बनने वाले तत्वों को दूर किया जाता है। इसमें मौजूद यूजेनॉल की खुशबू मुंह फ्रेश रखने में मदद करता है।
3. मसूड़ों को मजबूत करता है
पान के पत्ते का नियमित सेवन मसूड़ों को मजबूत बनाने में फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मसूड़ों में सूजन और दर्द को कम करते हैं। इससे गिंगिवाइटिस और पीरियडॉन्टाइटिस जैसी बीमारियों से बचाव होता है। इन-विट्रो स्टडी में यह देखा गया कि पान का अर्क मसूड़ों के सेल्स में सूजन को कंट्रोल करने वाले साइटोकाइन्स की सक्रियता को कम करता है, जिससे मसूड़े सुरक्षित होते हैं।
4. मुंह के अल्सर को ठीक करें
पान के पत्ते में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण मुंह के घावों या छालों के इलाज में मदद करते हैं। पान के पत्ते के रस को छाले या अल्सर वाले स्थानों पर लगाकर इसके इलाज में मदद मिल सकती है। इसके रस को प्रभावित हिस्से में लगाने े तत्व मुंह के घावों या छालों के उपचार में मदद करते हैं। इसके रस को प्रभावित हिस्से पर लगाने से जलन कम होती है और उपचार तेज़ होता है।
5. मुंह के दर्द से राहत
पान के पत्ते में नेचुरल एनाल्जेसिक (pain-relieving) गुण होते हैं। इसे चबाने से दांतों या मसूड़ों के हल्के दर्द से आराम मिल सकता है। यूजेनॉल, जो पान के पत्तों में पाया जाता है, डेंटल पेन रिलीफ के रूप में काम करता है।
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6. मुंह का pH संतुलित रखता है
पान के पत्ते मुंह के pH लेवल को संतुलित रखने में मदद करता है, जिससे मुंह में बैक्टीरिया पनपने की संभावना कम होती है। यह खासतौर पर दांतों की सड़न और इनफ्लेमेशन को रोकने में मदद करता है।
निष्कर्ष
पान का पत्ता न सिर्फ पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता है, बल्कि ये आपके ओरल हेल्थ को भी बेहतर रखने में मदद करता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सिडेंट गुण दांतों की सड़न, मसूड़ों की सूजन, बदबू और अल्सर से राहत दिलाने में फायदेमंद हैं।
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FAQ
पान का पत्ता गर्म होता है या ठंडा?
पान की तासीर गर्म होती है। इसलिए, जिन लोगों के शरीर में पित्त ज्यादा होता है, उन्हें पान का सेवन करने से परहेज करना चाहिए।पान कब नहीं खाना चाहिए?
पान का सेवन हर व्यक्ति के लिए फायदेमंद नहीं होता है। इसलिए, जिन लोगों को आंखों से जुड़ी समस्या, ब्लीडिंग डिसऑर्डर, वात से जुड़ी समस्याएं हैं उन्हें पान का सेवन करने से बचना चाहिए।पान पत्ता के साइड इफेक्ट्स क्या हैं?
पान के पत्ते सेहत के लिए जितने फायदेमंद हैं, वहीं इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। दरअसल पान के पत्ते का ज्यादा मात्रा में सेवन पित्त को बढ़ाता है, जिससे खाले होने की संभावना रहती है। इसके पहली बार इसका सेवन आप में बेचैनी, जलन और चक्कर आने की समस्या महसूस हो सकती है।