दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है। यहां का न्यूनतम तापमान लगातार लुढ़क रहा है और ये अनुमान है कि 3 डिग्री या इससे और नीचे भी जा सकता है। बहुत मुमकिन है कि 2019 का दिसंबर पिछले 118 सालों में सबसे ज्यादा ठंडा दिसंबर बन जाए। शुक्रवार को भी दिल्लीवासियों ने रिकॉर्ड तोड़ 4.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया, जो मौसम के सबसे ठंडे दिन के रूप में दर्ज हुआ। भारतीय मौसम विभाग (IMD की मानें तो अगले दो दिनों में उत्तर, पूर्व और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में ठंड बढ़ने की संभावना है। आईएमडी ने अपनी दैनिक मौसम रिपोर्ट में कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत में निचले स्तरों पर ठंडी उत्तर-पश्चिमी हवाओं के बने रहने और पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली के अलावा अन्य कई हिस्सों में कड़ाके की ठंड पड़ने के संकेत हैं।
वहीं सर्दी बढ़ने के कारण लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी कई परेशानियां हो रही हैं। ज्यादातर लोग इस समय सर्दी-जुखाम, फेफड़ों से जुड़ी परेशानियां और हड्डियों के दर्द आदि का सामना कर रहे हैं। वहीं हम जैसे ही बीमार पड़ते हैं, हम सभी विभिन्न प्रकार के घरेलू उपचारों की कोशिश करते हैं, जिससे हमें सर्दी-जुकाम और खांसी से छुटकारा मिल सके। एक और घरेलू उपाय है जो एक खांसी को शांत करने और आपको कुछ राहत प्रदान करने में मदद कर सकता है। वो हैं ये 3 आवश्यक तेल जिसकी मदद से आप सर्दी और खांसी से राहत पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन तीन प्रकार के तेलों के बारे में।
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नीलगिरी का तेल (Eucalyptus Oil)
नीलगिरी का तेल कफ और अन्य सांस से जुड़ी समस्याओं जैसे कि ब्रोंकाइटिस, इंफेक्शन और साइनसाइटिस के इलाज के लिए जाना जाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि नीलगिरी का तेल आपके प्रतिरक्षा प्रणाली (इमिन्यूटी) को मजबूत करता है, जो बाहरी बैक्टीरिया को अधिक प्रभावी ढंग से लड़ सकते हैं। नीलगिरी तेल का उपयोग एक प्रसिद्ध औषधीय भांप तैयार करने के लिए भी किया जाता है, जिसका उपयोग दुनिया भर में सर्दी और खांसी के इलाज के लिए किया जाता है। ये तेल कंजेशन से राहत दिलाता है और आपको रात में बेहतर नींद लेने में मदद करता है।
रोजमेरी ऑयल (Rosemary Oil)
रोजमेरी का उपयोग केवल खाने के स्वाद बढ़ाने वाले अएजेंट के रूप में ही इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि ये अपने औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। रोजमेरी का तेल सुखदायक और दिमाग के लिए शांत प्रभाव डालने वाला होता है। यह आपके श्वासनली की मांसपेशियों को शांत कर सकता है, जो आपको आसानी से सांस लेने में मदद करेगा। रोजमेरी का तेल का उपयोग अस्थमा के इलाज और सूजन को कम करने के लिए भी किया जाता है। यह तेल छाती की कंजेशन को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है।
थाइम तेल (Thyme Oil)
थाइम के पत्ते खांसी से लड़ने वाले गुणों से भरे होते हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुणों से भरा हुआ है। अध्ययनों से पता चलता है कि थाइम तेल एक उत्कृष्ट एंटी-माइक्रोबियल एजेंट है, जो विभिन्न श्वसन स्थितियों से राहत पाने में मदद कर सकता है।
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ऐसे करें इस्तेमाल-
तेल आम तौर पर सुरक्षित होते हैं और आप इसे अपनी त्वचा पर रगड़ सकते हैं या सर्दी और खांसी से पीड़ित होने पर इसे पैरों और हाथों में भी लगा सकते हैं। इसके अलावा, यहां कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए।
- -त्वचा पर बादाम, अंगूर, एवोकैडो या नारियल तेल जैसे कुछ तेल में मिला कर भी इन्हें लगा सकते हैं।
- -अगर आप इसे अपने नहाने के पानी में शामिल कर रहे हैं, तो ये तेल प्रभावी रूप से काम करेगा।
- -सोने से पहले पैरों के तलवों में इसे लगा लें।
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