कहते हैं किताबें हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। इसिलए सबको किताबें पढ़नी चाहिए। किताबें पढ़ने से सिर्फ ज्ञान ही नहीं मिलता, बल्कि जिंदगी जीने का सलीका भी सीखा जा सकता है। यही कारण है कि ज्यादातर विशेषज्ञ पेरेंट्स को यह सलाह देते हैं कि वे अपने बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाएं। इस संबंध में क्लीवलैंड क्लिनिक के डॉक्टरों की सलाह है कि माता-पिता अपने बच्चों के उनके बचपन से ही किताबें पढ़कर सुनाएं और ऐसा करना प्राथमिक स्कूल के वर्षों तक जारी रखें। अपने बच्चों के साथ किताबें पढ़ने से दोनों के बीच गर्मजोशी बनी रहती है और खुशियों का भी विस्तार होता है, साथ ही खुशियों का जुड़ाव बनता है, जिससे इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि भविष्य में बच्चों को किताबें पढ़ना अच्छा लगेगा। इसके अलावा किताबें पढ़कर सुनाने का एक महत्वपूर्ण लाभ यह भी है कि बच्चों का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को लाभ होता है।
दिमाग मजबूत होता है
किताबें पढ़ने को लेकर कई तरह के शोध हो चुके हैं। एक शोध के मुताबिक जब कोई किताबें पढ़ता है, तो इससे उसका मानसिक विकास होता है। एमआरआई स्कैन का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पुष्टि की है कि पढ़ने में मस्तिष्क में सर्किट और संकेतों का एक जटिल नेटवर्क शामिल है। जैसे-जैसे आपकी पढ़ने की क्षमता बेहतर होती है, वह नेटवर्क भी मजबूत और अधिक क्लीयर होते जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा भी बड़े होकर समझदार बने, तो उसे किताबें पढ़कर जरूर सुनाइए।
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तनाव कम करता है
कुछ लोगों को लगता है कि भला बच्चों को तनाव क्यों होता है? लेकिन हाल के दिनों में हमने अनुभव किया है कि बच्चे भी तनाव में रहते हैं। बच्चों के तनाव के स्तर कम करने के लिए उसे अलग-अलग एक्टिविटीज में हिस्सा लेने के लिए मोटीवेट किया जाना चाहिए। इसके साथ ही पेरेंट्स अपने बच्चों को किताबें पढ़कर भी सुना सकते हैं। इस बात की पुष्टि एक अध्ययन से हुई है कि किताबें पढ़ने से बच्चों में तनाव का स्तर कम होता है। इस संबंध में 2009 में, शोधकर्ताओं के एक समूह ने संयुक्त राज्य अमेरिका में स्वास्थ्य विज्ञान कार्यक्रमों की मांग में छात्रों के तनाव के स्तर पर योग, हास्य और पढ़ने के प्रभावों को मापा। अध्ययन में पाया गया कि 30 मिनट पढ़ने से रक्तचाप, हृदय गति और मनोवैज्ञानिक संकट की भावना उतनी ही प्रभावी रूप से कम होती है, जितनी योग करने से होती है।
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एकाग्रता बढ़ती है
बच्चों की रोजाना किताबें पढ़कर सुनाने से एक और बेहतरीन फायदा यह होता है कि बच्चों की एकाग्रता बढ़ती है। साथ ही वे अनुशासित यानी डिसिप्लीन में रहना भी सीखते हैं। बतौर पेरेंट्स आपने महसूस किया होगा कि बहुत छोटे बच्चे बहुत कम समय के लिए एकाग्रता बना सकते हैं। उन्हें लंबे समय के लिए ध्यान केंद्रित करने में मुश्किलें आती हैं। लेकिन जब आप अपने बच्चों को नियमित रूप से किताबें पढ़कर सुनाते हैं, तो इससे उनके व्यवहार में बदलाव होते हैं। वे स्वभाव से सकारात्मक हो जाते हैं और किताबें में रुचि होने की वजह से डिसीप्लीन में रहना सीख लेते हैं। इससे उनकी याद्दाश्त भी तेज होती है।
कल्पनाशीलता बढ़ती है
छोटे बच्चों में स्वाभाविक रूप से बड़े सपने देखने और अपनी कल्पनाओं का उपयोग करने की क्षमता होती है। इसके साथ ही अगर पेरेंट्स अपने बच्चों को किताबें पढ़कर सुनाएंगे, तो वे अपनी कल्पनाशीलता का उपयोग करना सीखेंगे। कल्पनाशीलता बढ़ने से बच्चा खुद को बेहतर महसूस करता है, उसके नए शौक विकसित हाते हैं और वे अपने दायरों को भी बढ़ा लेता है। बच्चे की कल्पनाशीलता, उसे बेहतर एकेडेमिक परफॉर्मेंस में भी मदद करते हैं।
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