दिनभर के काम के बाद रात को अच्छी नींद न आए तो वो रात और अगला दिन दोनों ही थकान और उबाऊपन से भर जाते हैं। ऑफिस की थकाऊ जॉब के बाद इतना तनाव हो जाता है कि अच्छी नींद नहीं आती, लेकिन क्या आप जानते हैं कि किताबें अच्छी नींद (Books helps in sleep) दिलाने में बहुत मददगार साबित हैं। किताबें केवल नींद ही नहीं बल्कि आपकी पूरी पर्सनैलिटी को बदल देती हैं। रात को सोने से पहले याद रखें कि खबर या नकारात्मक सामग्री वाली किताबें न पढ़ें। उनसे आपकी नींद डिस्टर्ब हो सकती है। कई शोधों में यह साबित हुआ है कि दुनिया भर में 30 फीसद आबादी अनिद्रा (insomnia) का शिकार है। जैसे-जैसे काम का तनाव बढ़ रहा है वैसे-वैसे यह अनिद्रा का फीसद बढ़ रहा है। तो नींद के इन विकारों से बचना है और तनाव मुक्त जीवन जीना है तो अच्छी किताबों को पढ़ना आज से ही शुरू कर दीजिए। गुरुग्राम के अवेकनिंग रिहैब में मनोचिकित्सक डॉ. प्रज्ञा मलिक और कश्मीर के श्रीनगर में फेहर मेडिकल ट्रस्ट में साइकेस्ट्रीस्ट काउंसलर डॉ. आरिफ मगरीबी खान से ओन्ली माई हेल्थ ने जाना कि किताबें पढ़ने से अच्छी नींद कैसे आती है। किताबें पढ़ने के क्या फायदे हैं।
किताबें अच्छी नींद में ऐसे करती हैं मदद
तनाव को दूर करें
भागती दौड़ती जिंदगी में तनाव तो पहले ही था। ऊपर से कोरोना ने तनाव को और बढ़ा दिया। जिंदगी को और कठिन बना दिया, लेकिन इस न्यू नॉर्मल में लोगों का तनाव ज्यादा बढ़ा है। साल 2020 में भारतीयों में तनाव की स्थिति को जानने के लिए दि सेंटर ऑफ हीलिंग ने 10 हजार भारतीयों का सर्वे किया। जिसमें सामने आया कि 74 फीसद भारतीय तनाव और 88 फीसद भारतीय चिंता से जूझ रहे हैं।
रात को सोने से पहले किताबें पढ़ने की आदत इन आंकड़ों को केवल नाममात्र के नंबर में बदल सकती है। किताबें पढ़ने से आपकी रोजमर्रा की जिंदगी का तनाव खत्म होता है और आपका ध्यान चिंता से हटता है जिससे आपको अच्छी नींद आती है। तो वहीं, डॉ. प्रज्ञा मलिका का कहना है कि किताबें पढ़ने से डोपामाइन नाम के हार्मोन की मात्रा बढ़ती है और तनाव कम होता है जिससे आपको नींद अच्छी आती है।
आत्म संतुष्टि देती हैं (Self Satisfaction)
साइकेस्ट्रीस्ट काउंसलर डॉ. आरिफ मगरीबी खान का कहना है कि किताबों में इतना ज्ञान है कि एक व्यक्ति का जीवन निकल जाएगा, पर वह उतनी किताबें नहीं पढ़ पाएगा। किताबें पढ़ने से सेल्फ सैटिसफैक्शन मिलता है। जिससे आप तनावमुक्त होते हैं। रात को तमाम चिंताओं से दूर आप किताबों की दुनिया में होते हैं। खुद में ज्ञान का भंडार संचित करने से आत्म संतुष्टि की अनुभूति होती है। जिससे नींद बेहतर आती है।
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संवेदनशील बनाती हैं
किताबें आपको ज्यादा संवेदनशील बनाती हैं। रात को सोते समय जब आप किताबें पढ़ रहे होते हैं तब आपको परेशान करने वाला कोई नहीं हो। उनमें छपी कहानियां आपकी जिंदगी का टरनिंग पॉइंट हो सकती हैं। वे कहानियां आपको इतनी प्रभावित करती हैं कि आप दूसरों के बारे में ज्यादा सोचते हैं। दूसरों के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनते हैं। कुलमिलाकर कहा जाए तो किताबें आपको बेहतर इंसान बनाती हैं। इन सभी भावों का रिश्ता आपकी नींद से है।
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निर्णय लेने की क्षमता
किताबें पढ़ने से कॉग्नेटिव ब्रेन एक्सरसाइज होती है। जिससे व्यक्ति में फैसला लेने की क्षमता, सोचने की ताकत, बुद्धिजीविता आदि बेहतर होती है। इन्हें ब्रेन टूल बोला जाता है। इन सभी कामों से सेंस ऑफ अचिवमेंट आती है, जिससे रात को नींद बेहतर आती है। किताबें पढ़ते समय भूख ज्यादा लगती है इसका मतलब है कि दिमाग को ऑक्सीजन और रक्त संचार की ज्यादा जरूरत है। इस तरह दिमाग शार्प होता है। किताबें दिमाग को निर्देश देती हैं।
सकारात्मक किताबें पढ़ें
साइकेस्ट्रीस्ट काउंसलर डॉ. आरिफ मगरीबी खान का कहना है कि रात को सोते समय सकारात्मक सोच देने वाली किताबें पढ़नी चाहिए। जिससे दिमाग रोजमर्रा के कामों के तनाव से मुक्त होता है और नींद बेहतर आती है। सकारात्मक किताबें आपकी अपनी दुनिया बना देती हैं। जिसमें आप आनंद लेते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि अच्छी नींद के लिए स्लीप हाइजीन को अपनाना चाहिए। किताबें पढ़ने से नींद संबंधी कोई विकार भी समाप्त हो जाता है।
अच्छी किताबों से दोस्ती आपका जीवन बदल सकती है। इसलिए रात को सोते समय इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स को साइड रखकर इन किताबों को उठाएं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएं। खुद की सफलता आपके अपने हाथ में हैं।
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