
रात में आईपैड, लैपटॉप या ईरीडर पर किताबें पढ़ने से नींद की गुणवत्ता कम हो जाती है। इससे सोने के लिए तैयार होने में लगने वाला वक्त और नींद के कुल समय पर नकारात्मक असर पड़ता है।
अमेरिका में हुए हालिया शोध में यह दावा किया गया है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और पेन स्टेट ने मिलकर यह अध्ययन किया है। पेन स्टेट बायोबिहैवियल हेल्थ की असिस्टेंट प्रोफेसर एना मारिया चांग के मुताबिक इस शोध के लिए 12 लोगों पर दो हफ्ते तक नजर रखी गई।
इसमें से आधे दिन उन्हें रात में सोने से पहले ईबुक और आधे दिन सामान्य किताबें पढ़ने को कहा गया। इसके बाद इन लोगों में नींद वाले हार्मोन मेलाटोनिन हॉर्मोन के स्तर, नींद ओर अगली सुबह उनकी चौकसी के स्तर की जांच की गई।
शोध में पाया गाय कि जो लोग रोज ईबुक पढ़ते हैं, वे कई घंटे कम सोते हैं। रेपिड आई मोमेंटम स्लीप का समय भ्ज्ञी कम हो जाता है। नींद के इसी चरण में यादें संगठित होती हैं। कम सोने से कैंसर, डिमेंशिया और डायबिटीज का भी खतरा बढ़ जाता है। नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस में यह शोध प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक ईबुक से जैविक घड़ी में बदलाव हो जाता है। वहीं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से निकलने वाली नीली रोशनी की तरंगदैर्ध्य प्राकृतिक रोशनी की तुलना में काफी ज्यादा होती है। यह रोशनी आंखों पर ज्यादा गहरा असर डालती है।
मेलाटोनिन हार्मोन का कम उत्सर्जन शाम और रात के शुरआती घंटों में अगर ज्यादा रोशनी में रहते हैं, तो मेलाटोनिन हॉर्मान उत्सर्जन कम हो जाता है। यह हार्मोन ही मस्तिष्क को सोने के लिए प्रेरित करता है।
Image Courtesy- Getty Images
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version