
शरीर को स्वस्थ और फिट रखने के लिए योगासन (Yoga) का नियमित अभ्यास सबसे अच्छा माना जाता है। योग के माध्यम से न सिर्फ हम अपने शरीर को फिट और स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि शरीर की आंतरिक सफाई के लिए भी योगासनों का नियमित अभ्यास बेहद फायदेमंद माना जाता है। योग की षट्कर्म क्रियाएं (छः योग क्रिया) शरीर की आंतिरक सफाई के साथ ही इसे स्वस्थ रखने में लाभदायक होती है। इन्हीं षट्कर्म क्रिया में से एक नौली क्रिया (Nauli Kriya Yoga) है जो पेट की सफाई और इसे स्वस्थ रखने में लाभदायक होती है। आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं नौली क्रिया आसन को करने का तरीका और इससे होने वाले फायदों के बारे में।
क्या होती है नौली क्रिया (What is Nauli Kriya Asana)
नौली क्रिया योग की प्राचीनतम तकनीकों में से एक है, यह योग के षट्कर्म क्रिया के अंतर्गत आने वाली एक क्रिया है। आपने अक्सर योग गुरु रामदेव को योग करते समय पेट को घुमाते देखा होगा, पेट की सफाई और उसके स्वास्थ्य के लिए बाबा रामदेव अक्सर इस आसन को करते हैं। नौली क्रिया को योग की शुद्दीकरण तकनीक भी कहा जाता है। सामान्य भाषा में अगर हम योग की इस क्रिया को समझें तो सबसे पहले इसके अर्थ के बारे में जान लेना आवश्यक है। नौली क्रिया शब्द जिसका अर्थ है जिस तरह से नौका समुद्र में घूमती है ठीक उसी प्रकार पेट के अंदर नौका चलाना। इस क्रिया में पेट को नाव की तरह घुमाते हैं, और यह क्रिया पेट की मांसपेशियों और पेट की सफाई के बेहद फायदेमंद होती है। षट्कर्म योग क्रिया में छः क्रियाएं की जाती हैं जिनमें से एक है नौली क्रिया। षट्कर्म योग क्रिया की छः क्रियाएं इस प्रकार से हैं।
1. त्राटक क्रिया
2. नेती क्रिया
4. धौती क्रिया
5. बस्ती क्रिया
6. नौली क्रिया
इसे भी पढ़ें : कब्ज के कारण परेशान रहते हैं तो रोज करें ये 4 योगासन, तत्काल मिलेगा लाभ
नौली क्रिया करने की विधि (How to Practice Nauli Kriya)
शरीर की आंतरिक सफाई और आंतरिक स्वास्थ्य के अलावा योग मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। योग के किसी भी आसन का अभ्यास करते समय शरीर का मानसिक और आंतरिक रूप से शुद्ध होना जरूरी होता है। नौली क्रिया के माध्यम से पेट की सफाई सबसे सही तरीके से होती है। नौली क्रिया का अभ्यास खाली पेट किया जाना चाहिए। सुबह के वक़्त पेट को खाली करने के बाद बिना कुछ खाये पिए इसका अभ्यास करना फायदेमंद होता है। नौली क्रिया योग के प्रमुख चार चरण होते हैं इनके बारे में अच्छे से जान लेने के बाद ही इसका अभ्यास किया जाना चाहिए।
1. बाह्य उड्डियान बंध (Bahya Uddiyana Bandha)
2. अग्निसार क्रिया (Agnisara Kriya)
3. वामन नौली और दक्षिण नौली (Vama (Left) and Dakshina (Right) Nauli)
4. मध्यमा नौली (Madhyama Nauli)
नौली क्रिया का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले उड्डियान बंध का अभ्यास करें। सीधे खड़े होकर मुहं से तेजी से हवा बाहर की तरफ निकालें और नाभि को अंदर की तरफ खीचें। इसके बाद अब आपको उड्डियान बंध से वापस आना है और अग्निसार क्रिया करनी है। अग्निसार क्रिया के लिए दोनों हाथों की हथेलियों को घुटनों पर टिकाएं और सांस को बाहर निकालते हुए पेट को ढीला रखकर नाभि को बहार की तरफ निकालने का प्रयास करें। इसके बाद वामन नौली करने के लिए पेट को अंदर की तरफ खींचकर बाएं हिस्से की तरफ दबाव डालते हुए नौका की तरफ घुमाएं। अब दक्षिण नौलि क्रिया करें, इसके लिए दाहिनी तरफ के पेट के हिस्से की तरफ नौका की तरह बीच की मांसपेशियों को ले जाएं। अब मध्यमा नौली का अभ्यास करें, इसमें पेट के बीच की मांसपेशियों को बीच में रखें और तेजी से दाहिने और बाएं तरफ गोल-गोल घुमाएं।
इसे भी पढ़ें : आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिए करें त्राटक योग, जानें इसके स्वास्थ्य लाभ और करने की विधि
नौली क्रिया का अभ्यास करने के फायदे (Benefits of Nauli Kriya Yoga)
नौलि क्रिया योग पेट की सफाई और मांसपेशियों के लिए सबसे अच्छा योग होता है। नौली क्रिया पेट की आतंरिक सफाई का सबसे अच्छा योग माना जाता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक योगासन के अभ्यास के दौरान हमारा मानसिक, शारीरिक और आंतरिक रूप से स्वच्छ और स्वस्थ होना जरूरी है, इसलिए योगाभ्यास के दौरान इस क्रिया का भी अभ्यास जरूर करना चाहिए। योग एक्सपर्ट और आयुर्वेद के मुताबिक नौली क्रिया का नियमित रूप से अभ्यास करने से ये फायदे होते हैं।
1. नौली क्रिया का नियमित रूप से अभ्यास पाचन तंत्र के लिए बेहद फायदेमंद होता है।
2. पेट के आंतरिक अंग जैसे लिवर, प्लीहा, मूत्राशय, अग्न्याशय, पित्ताशय और आंतों को स्वस्थ रखने में उपयोगी।
3. नौली क्रिया का नियमित सही तरीके से अभ्यास पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने में फायदेमंद होता है।
4. महिलाओ में मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में फायदेमंद।
5. पूरे पेट के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है।
इन स्थितियों में नहीं करना चाहिए नौली क्रिया का अभ्यास (Do Not Practice Nauli Kriya in these Conditions)
नौली क्रिया का अभ्यास नियमित रूप से सिर्फ खाली पेट ही करना चाहिए। शुरुआत में नौली क्रिया करने के लिए किसी एक्सपर्ट का सहारा लेना उचित होता है। इन परिस्थितियों में नौली क्रिया का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
- - गर्भावस्था के दौरान
- - मासिक धर्म या पीरियड के दौरान
- - प्रसव के बाद 2 महीने तक
- - ह्रदय रोग और हाई ब्लड प्रेशर की स्थिति में
- - हर्निया, पेट दर्द या पथरी में
- - अल्सर, कब्ज और पेट की सर्जरी की स्थिति में
सामान्य लोगों के लिए शुरुआत में नौली क्रिया का अभ्यास कठिन लग सकता है। नौली क्रिया का सही तरीके से नियमित अभ्यास सुरक्षित माना जाता है, ऊपर बताई गयी परिस्थितियों में इसका अभ्यास बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। अगर आप शुरुआत में इसका अभ्यास कर रहे हैं तो किसी योग शिक्षक या एक्सपर्ट की देखरेख में करें। कब्ज, पेट से जुड़ी किसी गंभीर समस्या या गर्भावस्था के दौरान इसका अभ्यास करने से गंभीर नुकसान भी हो सकते हैं। इस परिस्थितियों में नौली क्रिया के अभ्यास से बचना चाहिए। इसके अभ्यास के दौरान हृदय गति भी बढ़ सकती है इसलिए इसका अभ्यास हाई ब्लड प्रेशर और हृदय के रोगों से पीड़ित लोगों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इस क्रिया का अभ्यास करने से पहले किसी एक्सपर्ट या योग गुरु से अपने शारीरिक स्थिति के बारे में जरूर बताना चाहिए।
Read More Articles on Yoga in Hindi