आयुर्वेद में अग्निकर्म चिकित्सा का एक विशेष स्थान है, अग्निकर्म का शाब्दिक अर्थ है "अग्नि द्वारा उपचार," जिसमें अग्नि या गर्म धातु का उपयोग कर त्वचा पर होने वाली समस्याओं का उपचार किया जाता है। अग्निकर्म का उपयोग विशेष रूप से उन रोगों के लिए किया जाता है जो दवाओं से ठीक नहीं हो पाते। अग्निकर्म थेरेपी के अंतर्गत धातु या काष्ठ का उपयोग करके शरीर के प्रभावित हिस्सों पर गर्मी दी जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य दर्द से राहत दिलाना और रोगों को जड़ से ठीक करना होता है। आयुर्वेद में अग्निकर्म को सर्जरी के विकल्प के रूप में भी देखा जाता है, खासकर जब किसी रोगी के लिए सर्जरी करना संभव नहीं होता। अग्निकर्म थेरेपी वात और पित्त दोषों के कारण होने वाले रोगों में अत्यधिक प्रभावी होती है। इस लेख में रामहंस चेरिटेबल हॉस्पिटल के आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा (Ayurvedic doctor Shrey Sharma from Ramhans Charitable Hospital) से जानिए, अग्निकर्म थेरेपी क्या है और इसके क्या फायदे होते हैं।
अग्निकर्म थेरेपी क्या है?
आयुर्वेदिक डॉक्टर श्रेय शर्मा ने बताया कि आजकल आधुनिक चिकित्सा के साथ भी आयुर्वेद में अग्निकर्म को एक सहायक चिकित्सा के रूप में अपनाया जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह त्वचा के ऊपर होने वाली मस्सों और गांठों जैसी समस्याओं से राहत प्रदान करता है। लेकिन इसका उपयोग उन समस्याओं और बीमारियों के लिए किया जाता है जो दवाओं और अन्य चिकित्सा पद्धतियों से पूरी तरह ठीक नहीं हो पातीं। डॉक्टर का कहना है कि अग्निकर्म को करने से पहले हमेशा किसी आयुर्वेदाचार्य या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए, ताकि इसका सही तरीके से और सुरक्षित रूप से उपयोग किया जा सके। अग्निकर्म थेरेपी की प्रक्रिया बहुत ही सरल होती है लेकिन इसे अनुभवी आयुर्वेदाचार्य द्वारा ही किया जाना चाहिए।
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अग्निकर्म के फायदे
- इसमें धातु को गर्म करके शरीर के प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है। जिससे कुछ ही समय में समस्या से निजात मिल सकती है।
- अग्निकर्म का उपयोग शरीर पर होने वाले मस्सों, गांठों और अन्य त्वचा रोगों में भी किया जाता है।
- अग्निकर्म थेरेपी शरीर में उपस्थित संक्रमण से भी राहत दिलाती है और उसे बढ़ने से रोकती है।
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अग्निकर्म के नुकसान
- अग्निकर्म थेरेपी काफी सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन यदि यह सही तरीके से नहीं की जाती तो इसके कुछ नुकसान हो सकते हैं।
- गलत तरीके से अग्निकर्म करने पर त्वचा जल सकती है।
- संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को इस थेरेपी से जलन या अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
- सही देखभाल न करने पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
अग्निकर्म थेरेपी आयुर्वेद की एक प्राचीन और प्रभावी चिकित्सा पद्धति है, जो दर्द निवारण और त्वचा पर होने वाली कई समस्याओं के इलाज में सहायक है। हालांकि, इसे हमेशा एक अनुभवी आयुर्वेदाचार्य के मार्गदर्शन में ही किया जाना चाहिए। यदि सही तरीके से किया जाए, तो अग्निकर्म थेरेपी सुरक्षित और लाभकारी हो सकती है।
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