सर्दियां आते ही शरीर में कई तरह के बदलाव होते हैं। जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, उनको बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। मौसम में बदलाव के साथ ही लोगों को लाइफस्टाइल में भी बदलाव करने की आवश्यक होती है। आयुर्वेद में बताया गया है कि शरीर की प्रकृति मौसम के साथ परिवर्तित होती है। इस परिवर्तन के साथ जीवनशैली में बदलाव करने से सर्दियों के कारण होने वाले रोग की संभावना कम हो सकती है। सर्दियों में बुजुर्गों को विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। इस दौरान सावधानी न बरतने से जोड़ों में दर्द, मांसपेशिनयों में ऐठन, बुखार, सर्दी-जुकाम और एलर्जी होने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में हमारी टीम ने मध्यप्रदेश में कार्यरत सरकारी आयुर्वेद मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (BAMS, DNHE, YIC) से बात की। उन्होंने बताया कि सर्दियों में बुजुर्गों को किस तरह के बदलाव करने आवश्यक होते हैं। साथ ही, आयुर्वेद में इन बदलावों को विस्तार से बताया गया है।
आयुर्वेदिक मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोनल गर्ग (Instagram-Vaidik_era_ayurveda) ने बताया कि सर्दियों में वात, कफ और पित्त की प्रकृति में भी बदलाव आता है। इस मौसम में शरीर का तापमान कम होने से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे पूरे शरीर तक ऑक्सीजन पहुंचना मुश्किल हो जाता है। अगर बुजुर्गों में यह स्थिति गंभीर हो जाए तो हार्ट अटैक, हार्ट स्ट्रोक व लीवर खराब हो सकता है। सर्दियों में शरीर के दोषों को शांत करने के लिए आप डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव कर सकते हैं। इसके लिए आयुर्वेद में कई उपाय बताए गए हैं। आगे उन उपायों को विस्तार से बताया गया है।
सर्दियों में बुजुर्ग इन आयुर्वेदिक उपायों से स्वस्थ रखें अपनी सेहत | Ayurvedic Tips For Elderly To Maintain Good Health During Winters In Hindi
दोषों को संतुलित करें
आयुर्वेद तीन दोषों को मानता है - वात, पित्त और कफ। आयुर्वेदाचार्य के अनुसार सर्दियों के दौरान, वात दोष बढ़ने लगता है। इससे संभावित असंतुलन होने लगते हैं। वात को शांत करने और संतुलन बनाए रखने के लिए सूप आदि का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा आप अदरक, तुलसी और गिलोय के काढ़े को दिन में एक या दो बार पी सकते हैं।
गुनगुना पानी पिएं
आयुर्वेद में पाचन को दुरुस्त रखने के लिए बुजुर्गों को गुनगुने पानी का सेवन करना चाहिए। पाचन, ब्लड सर्कुलेशन और शरीर की गर्मी को बनाए रखने के लिए पूरे दिन गुनगुना पानी पी सकते हैं। सर्दी आते ही अधिकतर बुजुर्ग पानी कम पीते हैं, जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए बुजुर्गों पर्याप्त मात्रा में गुनगुना पानी पीते रहें।
हर्बल चाय का सेवन करें
अदरक, दालचीनी और इलायची जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां अपने गर्म गुणों के लिए जानी जाती हैं। पाचन अग्नि को बूस्ट करने और भीतर से गर्मी बढ़ाने के लिए बुजुर्ग इस हर्बल चाय का सेवन कर सकते हैं।
अभ्यंग
आयुर्वेद के अनुसार अभ्यंग (मालिश) किया जा सकता है। ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर, जोड़ों के दर्द को दूर करने के लिए आप तिल और आयुर्वेदिक तेलों से मालिश कर सकते हैं। इससे स्किन का रुखापन भी दूर होता है। बुजुर्ग व्यक्ति नहाने से पहले स्किन की मालिश कर सकते हैं। इससे दिमाग शांत रहता है और तनाव में कमी आती है।
डाइट में बदलाव करना
सर्दियों के मौसम बुजुर्गों को सब्जियों, फलों और अनाज का सेवन करना चाहिए। सर्दियों में शरीर को गर्म रखने वाले खाद्य पदार्थ जैसे बाजरा, घी या मक्खन आदि का सेवन कर सकते हैं।
रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए आयुर्वेदिक उपाय
अश्वगंधा, तुलसी (पवित्र तुलसी), और अमलाकी (आंवला) जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत किया जा सकता है। इन जड़ी-बूटियों के अलावा आप आंवले का उपयोग च्यवनप्राश, अचार, चटनी आदि के रूप में कर सकते हैं। सर्दियों में सुबह या सोते समय आप हल्दी वाले दूध का सेवन कर सकते हैं।
जरूरी होने पर ही घर के बाहर जाएं
बुजुर्गों को सर्दियों के मौसम में आवश्यक होने पर ही घर से बाहर जाना चाहिए। लेकिन, घर के अंदर भी शारीरिक सक्रिय रहना चाहिए। इसके लिए हल्के व्यायाम, योग, आदि को लाइफस्टाइल का हिस्सा बना सकते हैं। इससे मांसपेशियों की अकड़न दूर होती है और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। योग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होता है।
सूर्य की रोशनी में बैठें
सुबह की सूरज की किरणें हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए अच्छी होती हैं क्योंकि ये प्राकृतिक विटामिन-डी प्रदान करती हैं। मजबूत हड्डी, अच्छी रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वस्थ मांसपेशियों के लिए कम से कम 30-40 मिनट तक सूर्य की रोशनी में बैठना अच्छा होता है।
इसे भी पढ़ें : आयुर्वेद की कषाय धारा थेरेपी क्या है? आयुर्वेदाचार्य से जानें किन समस्याओं में है ये कारगर
सर्दियों में बुजुर्गों को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इससे बचने के लिए व्यक्ति आयुर्वेदिक डॉक्टरों की सलाह ले सकते हैं। हमारी ‘आरोग्य विद आयुर्वेद’ सीरीज में आपको आने वाले समय आयुर्वेद से जुड़ी अन्य उपयोगी जानकारियां प्रदान की जाएंगी। आयुर्वेद के माध्यम से अन्य रोगों के इलाज को जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट https://www.onlymyhealth.com के साथ जरूर जुड़ें। साथ ही, हमारे लेखों को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ शेयर करें, ताकि वह भी आयुर्वेदिक उपचारों के विषय में जागरूक हों और उनको भी इसका लाभ मिलें।
Read Next
माइग्रेन रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद है सहदेवी का पौधा, दर्द से राहत के लिए इस तरह करें प्रयोग
How we keep this article up to date:
We work with experts and keep a close eye on the latest in health and wellness. Whenever there is a new research or helpful information, we update our articles with accurate and useful advice.
Current Version