हम सभी जानते हैं कि इंसानी शरीर में गांठों का कितना महत्व है और इन गांठों में जरा सी परेशानी किसी के लिए भी चिंता का सबब बन सकती है। इन गांठों में नियमित रूप से असहनीय दर्द या फिर रुक-रुक कर दर्द होना आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। और अगर ये समस्या नियमित रूप से काफी समय तक शरीर को प्रभावित करती है तो इसे सामान्य रूप से गठिया कहा जाता है। मेडिकल की भाषा में इस स्थिति को संधिशोथ यानी ती अर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। डॉक्टर इस समस्या को दो भागों में बांटते हैं, जिसमें पहला है उत्तेजक और दूसरा है अपकर्षक। चिकित्सा पद्धति के मुताबिक, इस रोग पर काबू पाने का सबसे अच्छा और सरल तरीका है परहेज और खानपान की गुणवत्ता में सुधार। हालांकि ये दोनों चीजें ही आपको कई रोगों से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद हैं। गठिया को सही डाइट और उपचार के जरिए ठीक किया जा सकता है। आमतौर पर गठिया बूढ़े-बुजुर्गों और उम्रदराज व्यक्तियों में अधिक होता है लेकिन गतिहीन जीवनशैली और खान-पान की खराब आदतों ने युवा पीढ़ी को भी इसकी जद में ला दिया है।
गठिया रोग के कारण
गठिया, जिसे आम और अंग्रेजी भाषा में अर्थराइटिस या संधि शोथ भी कहते हैं इंसान की उम्र, अवस्था और शरीर के भीरतर बीमारियों को लेकर वर्गीकृत किए जाते है। गठिया होने पर किसी भी व्यक्ति के पैरों की गांठो में सूजन हो जाती है। इतना ही नहीं इस स्थिति में जोड़ों के भीतर छोटी-छोटी गांठ भी पड़ने लगती है, जिसके कारण पैरों में सूजन और तनाव बना रहता है। गठिया होने का प्रमुख कारण है गलत खानपान और गतिहीन दिनचर्या। इन दोनों कारणों से इंसानी शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है और ये रोग सामने आता है।
बदलते मौसम में बढ़ जाता है गठिया का दर्द
इस बात से ज्यादातर लोग भलीभांति वाकिफ होंगे कि बदलता मौसम अपने साथ कई बीमारियों को लाता है। इन्हीं में से एक है गठिया। गठिया की बात की जाए तो सर्दियों में इस रोग के होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। दरअसल सर्दियों के मौसम में हमारी नसों में संकुचन होता है और शरीर में पानी की मात्रा भी कम हो जाती है क्योंकि हम पानी पीना कम कर देते हैं। इसी कारण वश गर्मियों की तुलना में शरीर से पसीने या फिर मूत्र के जरिए अपशिष्ट पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते और खान-पान की खराब आदतों के कारण शरीर में यूरिक एसिड बढ़ना शुरू हो जाता हैं। मांशपेशियों में संकुचन भी गांठो को जन्म दे सकता है । सर्दियों के अलावा पुरवाई हवा में भी गठिया का दर्द असहनीय हो जाता है और तेज दर्द होता है।
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गठिया रोग के लक्षण
अर्थराइटिस होने पर कई तरह के लक्षण सामने आते हैं हालांकि ये आम दर्द की तरह ही हो सकते हैं
- पैरों को घुमाने या हिलाने-डुलाने में परेशानी होना।
- जोड़ों में सूजन आ जाना।
- जोड़ों में दर्द रहना।
- जोड़ों में भारीपन आ जाना।
- जोड़ों को घुमाने–फिराने में देर लगना।
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गठिया की रोकथाम
शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द हमेशा ही तकलीफ पहुंचाता है। अर्थराइटिस की स्थिति में हड्डियां बेहद कमजोर हो जाती हैं। मौजूदा वक्त में उपचार के बदलते तरीके और आधुनिक होती तकनीक ने हड्डियों के इलाज में नए तरीके खोज निकाले हैं। अगर किसी कारणवश यह समस्या आती है तो एलोपैथी, आयुर्वेद सहित होम्योपैथी और यूनानी माध्यम के जरिए असरदार इलाज प्राप्त किया जा सकता है।
गठिया के इलाज में अश्वगंधा
आयुर्वेद के मुताबिक, गठिया के इलाज में सबसे अच्छा, सरल और प्रभावी तरीका है जड़ी बूटियों से उपचार। जड़ी बूटियों की मदद से गठिया के उपचार में आपको निश्चित तौर पर अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। आयुर्वेद में अश्वगंधा की मदद से गठिया से राहत पाने के उपाय सुझाए गए हैं। दरअसल अश्वगंधा में ऐसे गुण मौजूद होते हैं जिनकी मदद से रक्त प्रवाह को संतुलित और कंट्रोल किया जा सकता है। अश्वगंधा शरीर से मल को निकालने में आसान बनाता है। इसके साथ ही अश्वगंधा सांस के स्तर को भी कंट्रोल में रखता है। गठिया के दर्द में आराम पाने के लिए आपको 3-6 ग्राम अश्वगंधा लेना है और उसका पाउडर बनाना है। आप इसको दूध या पानी में मिलाकर पी सकते हैं इसके सेवन से शरीर के सभी जोड़ों, तंत्रिकाओं, लिगामेंट्स और मांसपेशियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। अश्वगंधा के सेवन से जोड़ों की सूजन व दर्द में भी कमी आती है।
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