
हृदय हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। इसलिए, हृदय का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी होता है। हालांकि, खराब खान-पान, लाइफस्टाइल और तनाव की वजह से हृदय रोगों के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। आज दुनियाभर में करोड़ों लोग हृदय रोगों का सामना कर रहे हैं। कोई हाई ब्लड प्रेशर, कोई कोरोनरी आर्टरी डिजीज, तो कोई हार्ट अटैक से पीड़ित है। हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर, अचानक से आने वाले हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोत्तरी हो रही हैं। आजकल युवाओं में भी हार्ट अटैक के केस देखने को मिल रहे हैं। हार्ट अटैक किसी भी व्यक्ति को आ सकता है। हार्ट अटैक कोई संकेत नहीं देता है और अचानक से आ जाता है। ऐसे में AI अचानक से आने वाले हार्ट अटैक की पहले ही पहचान करने में मददगार साबित हो सकता है। यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से हार्ट अटैक का पहले से ही अनुमान लगाना संभव हो सकता है। भविष्य में लोग एआई की मदद से अचानक आने वाले हार्ट अटैक का पता लगा सकते हैं। आइए, जानते हैं इसके बारे में-
हार्ट अटैक का पता लगाने में मदद करेगा AI
हार्ट अटैक की वजह से दुनियाभर में लाखों लोग अपनी जान गवांते हैं। कई युवा अभिनेता भी हार्ट अटैक के कारण अपनी जान गंवा बैठे हैं। हाल ही में नवरात्र के दौरान गुजरात में गरबा करते हुए भी हार्ट अटैक की खबर सामने आई थी। इसके अलावा, जिन और डांस करते हुए भी हार्ट अटैक के मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे में वैज्ञानिकों ने एक ऐसे AI एल्गोरिदम तैयार किया गया है, जिसकी मदद से अचानक आने वाले हार्ट अटैक का पहले ही पता लगाया जा सकता है। ऐसा कहना है कि एआई की मदद से डॉक्टर्स पहले से ही हार्ट अटैक की पहचान कर पाने में सक्षम होंगे। आपको बता दें कि ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर रिसर्च द्वारा फंडेड एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च की गई। इस रिसर्च के अनुसार AI की मदद से सटीक तरीके से हार्ट अटैक का पता लगाया जा सकता है।
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कितना प्रभावी है यह AI एल्गोरिदम?
जब भी कोई नई तकनीक बनती है, तो उसका प्रभावी या कारगर दर जांचना बहुत जरूरी होता है। कहा जा रहा है कि हार्ट अटैक की पहचान करने वाला AI एल्गोरिदम 99.6 प्रतिशत प्रभावी है। यानी इसकी मदद से व्यक्ति की जान बचाई जा सकती है। इसकी मदद हार्ट अटैक के मरीजों की बढ़ती संख्या को कम करने में मदद मिल सकती है। आपको बता दें कि यह रिसर्च 6 देशों के 10 हजार 286 लोगों पर की गई। तभी इशकी सटीकता का पता लगाया गया।
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