अपने देश में हर चौथा नागरिक किसी न किसी प्रकार की अर्थराइटिस से अपने जीवनकाल में कभी न कभी पीड़ित होता है। स्पष्ट है, भारत में अर्थराइटिस एक गंभीर समस्या है। अर्थराइटिस धीरे-धीरे बढ़ता है और शुरुआत में पता चलने पर इसे कंट्रोल किया जा सकता है। अभी भी अर्थराइटिस का अचूक इलाज उपलब्ध नहीं है। इसीलिए अर्थराइटिस के पीड़ित रोगियों की संख्या और कष्ट बढ़ते ही जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में स्टेम सेल थेरेपी एक नवीन इलाज के रूप में उभरी है, जो मरीज को राहत देने के साथ-साथ काफी हद तक उन्हें जोड़ प्रत्यारोपण से भी बचा रही है।
क्या है अर्थराइटिस
जोड़ों में किसी भी कारण से आई सूजन जब जोड़ के विभिन्न हिस्सों जैसे कार्टिलेज सायनोवियम (जोड़ का थैला) या हड्डी को क्षतिग्रस्त करना शुरू कर देती है तो यह स्थिति अर्थराइटिस कहलाती है। अगर समय रहते इसका समुचित इलाज किया जाए तो जोड़ खराब होने से बच सकते हैं अन्यथा जोड़ प्रत्यारोपण तक की नौबत आ सकती है।
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लक्षणों को समझें
- एक या ज्यादा जोड़ों में सूजन बने रहना।
- लेटने पर दर्द होना।
- चलने में लंगड़ाहट।
- बुखार या जोड़ पर लालिमा आना भी संभव है।
अर्थराइटिस के प्रकार
- ज्यादातर मरीजों में उम्रदराज होने पर घुटने की अर्थराइटिस होती है।
- इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक तंत्र) में आई गड़बड़ी से रूमैटॉयड अर्थराइटिस होने का खतरा बढ़ जाता है।
- एनकायलोजिंग स्पॉन्डिलाइटिस या रीढ़ का जाम होना।
- यूरिक एसिड बढ़ने से गाऊटी अर्थराइटिस।
- चोट लगने के बाद जोड़ में आई विकृति से उत्पन्न अर्थराइटिस।
- इसके अतिरिक्तअर्थराइटिस टी.बी. के जीवाणु संक्रमण या सेप्सिस और सोराइसिस एक प्रकार के त्वचा रोग के साथ भी हो सकती है।
उपलब्ध आम इलाज
- ज्यादातर रोगियों को दर्द निवारक और सूजन कम करने की दवाएं दी जाती हैं, जो काफी समय तक नहीं ली जा सकती हैं, क्योंकि वे पेट में अल्सर के साथ किडनी और लिवर भी खराब कर सकती हैं।
- इसके अतिरिक्त फिजियोथेरेपी, नियमित हल्का व्यायाम एवं विटामिन डी की टैब्लेट्स का सेवन किया जाता है।
- अनेक मरीजों में जोड़ प्रत्यारोपण की भी जरूरत पड़ती है, खासतौर पर घुटने की अर्थराइटिस में, जहां पैर में तिरछापन आ चुका होता है और मरीज को कोई भी दवा, फिजियोथेरेपी या नी कैप आदि से राहत नहीं मिल पा रही होती है।
नए इलाज में स्टेम सेल की भूमिका
चूंकि स्टेम सेल थेरेपी सूजन कम करने के साथ-साथ कार्टिलेज और बोन (अस्थि) दोनों का ही पुनर्निर्माण करने में सहायक होती है। इसीलिए घुटने की अर्थराइटिस के रोगियों में यह दर्द और सूजन में राहत देने के साथ-साथ चाल में भी सुधार लाती है। इसके अतिरिक्त विशेष प्रकार की स्टेम सेल्स के प्रयोग से रूमैटायड अर्थराइटिस के इलाज में प्रयुक्त होने वाली नुकसानदेह दवाओं से छुटकारा मिल सकता है या उनकी मात्रा काफी हद तक कम की जा सकती है।
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स्टेम सेल का प्रयोग
- घुटने की अर्थराइटिस में अगर तिरछापन 10 डिग्री से अधिक है तो घुटने की एक मिनी सर्जरी के साथ स्टेम सेल्स का प्रयोग होता है।
- स्पोर्ट्स इंजरी या कार्टिलेज इंजरी के बाद।
- रूमैटायड अर्थराइटिस में।
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