किस तरह संभव है र्यूमेटॉइड अर्थराइटिस का इलाज, जानें एक्सपर्ट की राय

र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करने वाली ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यूनिटी सिस्टम)अपने शरीर और बाहरी तत्वों को अलग-अलग पहचानने की क्षमता खो देता है।
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किस तरह संभव है र्यूमेटॉइड अर्थराइटिस का इलाज, जानें एक्सपर्ट की राय


मेडिकल साइंस में हुई चमत्कारिक  प्रगति के कारण मौजूदा दौर में र्यूमैटॉइड  अर्थराइटिस सरीखी बीमारी लाइलाज नहींरही। अब इस बीमारी का समुचित इलाज कराते हुए पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकते हैं।
र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करने वाली ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यूनिटी सिस्टम)अपने  शरीर और बाहरी तत्वों को अलग-अलग पहचानने की क्षमता खो देता है। इसके फलस्वरूप वह अपने ही शरीर के ऊतकों (टिश्यूज) पर आक्रमण करने लगता है,  जोड़ों और टिश्यूज में सूजन व दर्द  पैदा कर उन्हें क्षतिग्रस्त करता है।

एंटीबॉयोटिक थेरेपी

सन् 1999 में डॉक्टर गार्थ निकोल्सन ने एक रिसर्च में डी. एन. ए. एनालिसिस तकनीक द्वारा यह पाया कि र्यूमैटॉइड  अर्थराइटिस से प्रभावित 70 प्रतिशत रोगियों  के रक्त में माइकोप्लाज्मा नामक जीवाणु मौजूद थे। इस रिसर्च के बाद र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस के इलाज में एंटीबॉयोटिक थेरेपी ने एक प्रभावी स्थान बना लिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि शुरुआत में ही सही डायग्नोसिस और उपयुक्त इलाज हो जाए, तो बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

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एंटीर्यूमैटिक ड्रग्स

स्पष्ट है, यदि प्रारंभ में ही डायग्नोसिस होकर इलाज हो जाए, तो बीमारी पर पूरी तरह काबू पाया जा सकता है। इस बीमारी के लिए नयी प्रकार के अधिक प्रभावी इम्यूनो मॉड्यूलेटर्स और डिजीज मॉडीफाइंग एंटीर्यूमैटिक ड्रग्स एक वरदान साबित हो रही हैं। मीथोट्रेक्सेट, लूफ्लूनोमाइड, हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन, सल्फासलाजिन, और नोफिन व मीनोसाइक्लिन आदि बहुत ही प्रभावी दवाएं हैं। यहां दवाओं से आशय किसी ब्रांड्स से न होकर उनके तत्व या फार्मूलों से हैं।

बीमारी और जोड़ प्रत्यारोपण

मौजूदा दौर में र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस के इलाज के दौरान पूरी कोशिश होती है कि दवाओं से ही बीमारी को नियंत्रित किया जा सके और जोड़ों को क्षतिग्रस्त होने और व्यक्ति को विकलांगता से बचाया जा सके। इसके विपरीत ऐसा पाया गया है कि बहुत से लोग जो र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस से ग्रस्त हैं,उनका समय से इलाज न होने, अनियंत्रित और असमुचित इलाज के कारण जोड़ों के क्षतिग्रस्त होने के चलते घुटने, कूल्हे, कोहनी, कंधे और उंगलियां विकारग्रस्त (डिफार्म) हो जाती हैं। ऐसे लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी मुश्किल बन जाती है। इस क्रम में यह जान लेना आवश्यक है कि ऐसे लोगों के लिए जोड़ प्रत्यारोपण जैसे ऑपरेशन व्यक्ति को दर्द से राहत दिलाते हैं बल्कि पीड़ित व्यक्ति को चलायमान बनाते हैं। ऐसे रोगियों के लिए अत्याधुनिक जोड़ प्रत्यारोपण में प्रयुक्त होने वाले इंप्लांट, नयी किस्म के डिस्पोजेबल नेविगेशन इंस्ट्रूमेंटेशन और जीरो एरर ऑपरेशन विधियां अच्छे परिणाम देती हैं।

ये हैं प्रमुख लक्षण

  • सुबह उठने पर ऐसा महसूस होना कि जोड़ (ज्वाइंट) जाम हो गए हैं।
  • तीन से अधिक जोड़ों में सूजन और दर्द रहता है।
  • हाथ की उंगलियों के जोड़ों में भी तकलीफ हो सकती है।
  • दाहिने और बाएं भाग के जोड़ों में तकलीफ महसूस होती है।
  • अगर किसी व्यक्ति में उपर्युक्त लक्षण हैं, तो ऐसा शख्स र्यूमैटॉइड अर्थराइटिस या फिर इस समूह की किसी गठिया से ग्रस्त है।

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