महिलाओं में तनाव और हृदयाघात के लक्षणों में अंतर

हृदयाघात होने का पता अगर समय से लग जाए, तो मरीज की जान बचायी जा सकती है, इसके अलावा महिलाओं को नियमित जांच भी कराना चाहिए।
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महिलाओं में तनाव और हृदयाघात के लक्षणों में अंतर

दिल का दौरा महिलाओं और पुरुषों दोनों को हो सकता है। तनाव भरी जिंदगी, लगातार बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए मची भागमभाग, असमय और अनियमित खानपान, न सोने का तय वक्‍त न उठने का कोई समय। जिंदगी बस बेतरतीब चली जा रही है। इन सबका खामियाजा हमारे दिल को भुगतना पड़ता है। यही कारण है कि आज के दौर में हृदय रोग की समस्‍यायें बढ़ती जा रही हैं।

Heart Attack Symptoms in womenहृदयाघात होने का पता अगर समय से लग जाए, तो मरीज की जान बचायी जा सकती है। सही समय पर सही निदान करने के लिए जरूरी है कि हमें हृदयाघात के लक्षणों के बारे में पता हो। अक्‍सर इस बात की जानकारी का अभाव ही मरीज की जान पर भारी पड़ जाता है। लेकिन, क्‍या महिलाओं और पुरुषों दोनों में इसके लक्षण एक समान होते हैं अथवा इनमें कोई स्‍थापित अंतर भी होता है।

पुरुषों और महिलाओं में हृदयाघात के लक्षणों की विभिन्‍नता और समानता को लेकर चिकित्‍सा जगत में कई चर्चाएं और बहस होती रही हैं। कई शोध इस बात की तस्‍दीक करते हैं कि महिलाओं में हृदयाघात के विभिन्‍न लक्षणों को अक्‍सर ठीक प्रकार समझा नहीं जाता और उन्‍हें पेनिक अटैक मानकर ही उनका इलाज किया जाता है।


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हृदयाघात के लक्षण

वूमन्‍स हार्ट फाउंडेशन की वेबसाइट का कहना है कि रोजमर्रा की समस्‍यायें जैसे थकान, चक्‍कर आना, छाती में दर्द, सीने में झुनझुनी अथवा जलन होना, अत्‍यधिक अपच, दिल की धड़कन का बढ़ना और पसीना आना आदि महिलाओं में हृदयाघात के लक्षण हो सकते हैं।

पेनिक अटैक के लक्षण

वूमन्‍स हार्ट फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि पेनिक अटैक में भी इसी तरह के लक्षण होते हैं। हृदयाघात और पेनिक अटैक के लक्षणों में कुछ खास अंतर नहीं होता, सिवाय एक अहम अंतर के- जिन महिलाओं को हृदयाघात हुआ होगा उन्‍हें अचानक तेज थकान का अहसास होगा। थकान का यह अहसास दो से तीन मिनट तक बना रहता है और फिर उसके बाद हल्‍का हो जाता है। आमतौर पर यह दर्द लौटकर आता है।

सही जांच

इस बात की पुष्टि करने के लिए कि क्‍या किसी महिला को पैनिक अटैक आया है या हृदयाघात, कई जांच करने की जरूरत पड़ती है। द वूमन्‍स हार्ट फाउंडेशन की वेबसाइट के मुताबिक किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले डॉक्‍टर इलेक्‍ट्रोकार्डियोग्राम, रक्‍त जांच, मैगनेटिक रेसोन्‍स इमेजिन (एमआरआई) और एंजियोग्राफी के परिणामों को देखते हैं।

सही निदान

हालांकि अभी तक यही माना जाता रहा है कि कुछ उपरोक्‍त लक्षण और जांच महिलाओं में हृदयाघात होने अथवा नहीं होने की सटीक पुष्टि करते हैं, लेकिन साइंसडेलीडॉटकॉम की एक रिपोर्ट इस बात से इनकार करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक ये लक्षण और इन जांच के परिणाम बिल्‍कुल सटीक हों, इस बात की कोई गारंटी नहीं है।

खतरा

जिन महिलाओं को कार्डियोवस्‍कुलर परेशानियां अथवा उच्‍च रक्‍तचाप जैसी परेशानी हो, उन्‍हें अधिक संभलकर रहने की जरूरत होती है। ऐसी महिलाओं को दिल का दौरा पड़ने का खतरा, उन महिलाओं की अपेक्षा काफी अधिक होता है, जिनमें इस प्रकार की कोई बीमारी नहीं होती।

 

 

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