स्वाइन फ्लू का खतरा देश की राजधानी में लगातार बढ़ता ही जा रहा है। एच1एन1 इंफ्लुएंजा वायरस ने दिल्ली के लोगों की ऐसी कमर तोड़ रखी है कि कुछ ही दिनों में स्वाइन फ्लू के मरीज 512 से बढ़कर 1011 हो गए हैं। यानि कि यह आंकड़ा लगभग दोगुना हो गया है। सोमवार को दिल्ली सरकार की ओर से जारी किए गए डाटा में कहा गया है कि अब तक करीब 1011 लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आ चुके हैं। दिल्ली में 29 जनवरी तक यह आंकड़ा 512 पर था। जबकि महज 3 से 4 दिनों के अंतराल में ही यह आंकड़ा दोगुना हो गया है। हालांकि इनमें से कितनों की मौत हुई है, इसकी पुष्टि नहीं की गई है। वहीं, अगर दूसरे शहरों की भी बात करें तो पिछले महीने स्वाइन फ्लू से 11 लोगों की मौत हो गई है। 2018 में स्वाइन फ्लू के सिर्फ 205 मामले देखे गए थे जिनमें से 2 लोगों की मौत हुई थी। जबकि देशभर में अबतक स्वाइन फ्लू से 226 लोग मर चुके हैं।
क्या कर रही है दिल्ली सरकार
स्वाइन फ्लू पर रोक लगाने के लिए अब दिल्ली सरकार भी हरकत में आ गई है। दिल्ली सरकार ने अपने सभी अस्पतालों को दवा, वैक्सीन और किट की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक रसद की स्थानीय खरीद करने का निर्देश दिया है। साथ ही सरकार का दावा है कि वह स्वाइन फ्लू पर पैनी नजर रखे हुए है।
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क्या है स्वाइन फ्लू वायरस
आमतौर पर यह बीमारी एच1एन1 वायरस के सहारे फैलती है लेकिन सूअर में इस बीमारी के कुछ और वायरस (एच1एन2, एच3एन1, एच3 एन2) भी होते हैं। कई बार ऐसा होता है कि सूअर में एक साथ इनमें से कई वायरस सक्रिय होते हैं जिससे उनके जीन में गुणात्मक परिवर्तन हो जाते हैं। दरअसल स्वाइन फ्लू सूअरों में होने वाला सांस संबंधी एक अत्यंत संक्रामक रोग है जो कई स्वाइन इंफ्लुएंजा वायरसों में से एक से फैलता है। आमतौर पर यह बीमारी सूअरों में ही होती है लेकिन कई बार सूअर के सीधे संपर्क में आने पर यह मनुष्य में भी फैल जाती है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
- बुखार या बढ़ा हुआ तापमान (38°C/100.4°F से अधिक)
- अत्यधिक थकान
- सिरदर्द
- ठण्ड लगना या नाक निरंतर बहना
- गले में खराश
- कफ
- सांस लेने में तकलीफ
- भूख कम लगना
- मांसपेशियों में बेहद दर्द
- पेट खराब होना, जैसे कि उल्टी या दस्त होना
- एक ऐसा व्यक्ति जिसे बुखार या तापमान ( 38°C/100.4°F से अधिक ) तक हो, और उपर बताये गए लक्षणों में से दो या दो से अधिक लक्षण दिखाई दे रहे हों, तो वह व्यक्ति स्वाइन फ्लू से संक्रमित हो सकता है।
इन्हें है ज्यादा खतरा
छह माह से अधिक आयु के बच्चों, 60 साल की उम्र से ज्यादा के बुजुर्गो, लिवर, किडनी, दमा व एचआईवी से पीडितो को स्वाइन फ्लू का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इसके अलावा जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, ऎसे लोग जो प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में ज्यादा आते हैं जैसे यात्री, डॉक्टर, नर्स और परिजनों को स्वाइन फ्लू की आशंका बनी रहती है।
स्वाइन फ्लू से बचने के तरीके
- स्वाइन फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें।
- घर और आस-पास साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें।
- दरवाजा, डोर बेल, की-बोर्ड, रिमोट कंट्रोल, सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के बाद हाथों को एंटी बैक्टीरियल साबुन से हाथ धोना न भूलें।
- छींकते समय टिश्यू पेपर को नाक पर रखें। फिर उसे कूड़ेदान में फेंक दें।
- जुकाम होने पर दूसरों के करीब न जाएं।
- लहसुन की कलियां रोज सुबह खाली पेट कुनकुने पानी के साथ लें। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।
- दिन में कई बार अपने हाथों को एंटी बायोटिक साबुन से धोएं।
- आंवले का सेवन करें। इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
- सुबह के समय पांच तुलसी के पत्तों का सेवन करें।
- रात में सोते समय हल्दी डालकर दूध पीएं।
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