यदि आप इस धारणा पर विश्वास करते हैं कि एल्कोहल पीने से याददाश्त कमजोर हो जाती है तो जरा ठहरिए। आपको अपनी ये धारणा बदलनी पड़ सकती है। दरअसल, हाल ही में एक अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि एल्कोहल पीने से याददाश्त बढ़ जाती है। अध्ययन में पाया गया कि ये दिमाग के उन हिस्सों को सक्रिय कर देता है जो कि अब तक निष्क्रिय थे। इससे आपको चीजें याद करने में अधिक मदद मिलती है। यह निष्क्रिय हिस्सा आपका अवचेतन मन है।
जिसके बारे में आप जागरूक नहीं होते। हालांकि ये शोध नकारात्मक हैं क्योंकि एल्कोहल हमेशा से ही स्वास्थ्य को और दिमाग के सक्रिय हिस्सों को नुकसान पहुंचाती आई है। जैसे गाड़ी की चाबी कहीं रख कर भूलना या फिर पत्नी के पसंदीदा साबुन का नाम इत्यादि।ये शोध टेक्सास, ऑस्टिन यूनीवर्सिटी के एल्कोहल और एडिक्शन रिसर्च वैगोनर सेंटर द्वारा किए गए। जो इस नतीजे पर पहुंचे कि एल्कोहल दरअसल, डोपामाइन को रिलीज करने में मददगार है।
डोपामाइन को लर्निंग ट्रांसमीटर कहा जाता है। यह हमारे दिमाग के सुखदायक पलों को अचानक याद दिला देता है। जब भी कोई एल्कोहल लेता है तो दिमाग के सेल्स डोपामाइन में परिवर्तित हो जाते है। शाम के समय याददाश्त बढ़ाने में डोपामाइन अधिक मदद करते हैं। जैसे वह घटनाएं या तथ्य जिनसे हमें खुशी मिली हो। हम पब गए और दोस्तों से मिले। किसी खास व्यक्ति के साथ शराब पीना बेहद अच्छा लगा। एल्कोहल लेने से डोपामाइन सिस्टम के याददाश्त बढ़ाने वाले सेल्स की क्षमता अधिक बढ़ जाती है और लगातार एल्कोहल का आदी होने से कुछ अच्छे अनुभव हमेशा के लिए गहरी छाप छोड़ जाते हैं और अक्सर याद आ जाते हैं। इससे व्यक्ति के सोचने के नजरिए में भी बदलाव हो जाता है।
इस शोध का मकसद यह जानना था कि क्या सचमुच एल्कोहल याददाश्त बढ़ाने में मददगार है यदि हां तो कैसे? न्यूरोबायोलोजिस्ट हितोषी मोरीकावा के मुताबिक, शायद यह शोध एंटीएडिक्शन ड्रग्स बनाने में भी मदद करें जिसमें एल्कोहल की वो क्षमता भी शामिल हो जो एल्कोहल पीते ही अवचेतन मन की यादों को ताजा कर देती है ।
अगली बार जब भी आप एल्कोहहल लेने बैठें तो ये सोचकर पीएं कि एक ग्लास आपको कोई हानि नहीं पहुंचाएगा, न ही इससे आप एल्कोहल लेने के आदी हो जाएंगे। पहली बार पीने वाले यही सोचते हैं कि एक बार एल्कोहल लेने से वे इसके आदी हो जाएंगे तो वह यहां पर गलत हैं।