
वायु प्रदूषण दुनिया भर में एक बड़ी समस्या बना हुआ है। इसके कारण कई स्वास्थ्य समस्यायें भी हो रही हैं। और तो और हर बरस हजारों लोग वायु प्रदूषण के कारण मौत का ग्रास भी बन रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार साल 2012 में वायु प्रदूषण के कारण करीब 70 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। संगठन ने इसके साथ ही वायु प्रदूषण का ह्रदय रोग, सांस संबंधी बीमारियों और कैंसर के साथ गहरा नाता होने की बात भी कही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि दुनिया भर में हर आठवीं मौत मौत वायु प्रदूषण के कारण होती है। WHO ने इसे पर्यावरण से जुड़ा सेहत संबंधी दुनिया का 'अकेला सबसे बड़ा ख़तरा' भी करार दिया है।
डब्ल्यूएचओ ने अपने अध्ययन में पाया कि दक्षिण-पूर्वी एशिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन के पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र के इलाके में खराब 'आबोहवा' से करीब 60 लाख मौतें हुई हैं। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है कि इन इलाक़ों में जो कम तथा मध्यम आय वाले देश हैं वहां घर के भीतर होने वाले वायु प्रदूषण से 33 लाख लोग तथा घर के बाहर पाए जाने वायु प्रदूषण से करीब 26 लाख लोगों की मौत हुई है।
डब्ल्यूएचओ के सार्वजनिक स्वास्थ्य, पर्यावरण और सामाजिक निर्धारक के स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डॉ. मारिया का कहना है कि वायु प्रदूषण से सेहत को पहले से ज्यादा नुकसान होने लगा है। खासकर ह्रदय रोग और दिल के दौरे के मामले में, होने वाला खतरा काफ़ी बढ़ गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इससे इशारा मिलता है कि हम जिस हवा में सांस लेते हैं उसे स्वच्छ रखने की सख्त जरूरत है। इसके साथ ही इससे यह बात भी साफ हो जाती है कि वायु प्रदूषण को कम कर हर बरस लाखों जिंदगियां बचायी जा सकती हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के परिवार, महिला, बच्चों के सेहत से जुड़े सहायक महानिदेशक डॉ. फ्लाविया बस्टेरियो का कहना है, "बच्चों, महिलाओं और बुज़ुर्गों को घर के भीतर पाए जाने वाले वायु प्रदूषण का भारी खामियाजा भुगतना पड़ता है, क्योंकि उनका अधिकांश समय घर के भीतर बीतता है।"
Source- BBC
Image Courtesy- getty images
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