तापमान में गिरावट आने के साथ दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता (Air quality)का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इस बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए ऑनली माय हेल्थ 'My Right To Breathe' कैंपेन के तहत लगातार आपको वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों से वाकिफ करवा रहा है। इसी कड़ी में आज हम आपको बच्चों में हो रहे वायु प्रदूषण के नुकसान के बारे में बताएंगे। इसी विषय को गहराई से समझने के लिए हमने डॉ. नवीन किशोर से भी बात की, जो कि मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, गुड़गांव में ब्रोंकोलॉजी के प्रमुख और वरिष्ठ सलाहकार हैं।
वायु प्रदूषण का बच्चों के स्वास्थ्य पर असर
डॉ. नवीन किशोर की मानें, तो वायु प्रदूषण छोटे बच्चों के लिए उतना ही नुकसानदेह है जितना कि एक वयस्क आदमी के लिए। वहीं कई स्थितियों में तो ये वयस्कों की तुलना में बच्चों के लिए ज्यादा परेशानियां पैदा करती है। जैसे छोटे बच्चों में ये सांस लेने की परेशानी के अलावा बड़ी तेजी से निमोनिया और अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर कर रहा है। दरअसल, प्रदूषित हवा के कारण बच्चों के लंग्स और श्वसन प्रणाली को नुकसान पहुंचा रहा है, जो कि गंभीर होने पर ये उनमें लंग्स इंफेक्शन का कारण भी बन सकता है। वहीं वायु प्रदूषण के कारण बच्चों में स्किन इंफेक्शन, आंखों में खुजली और जलन, शरीर पर रैशेज आदि की परेशानी भी बढ़ रही है।
एयर क्वालिटी अस्थमा को कैसे प्रभावित करती है (Air Pollution and Childhood Asthma)?
हवा में प्रदूषकों का बढ़ना बच्चों में अस्थमा के लक्षणों को तेजी से ट्रिगर करता है। दरअसल, हवा में छोटे कण बच्चों के नाक या मुंह से गुजरते हुए उनके फेफड़ों में जा पहुंचता है। धुंध, धुएं और धूल में पाए जाने वाले वायु के कण, असल में काफी खतरनाक होते हैं। ये फेफड़ों में जमा होकर इसके काम काज को रोकता है और एक जकड़न पैदा करता है, जिससे कि बच्चों को अस्थमा का अटैक आ सकता है।
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वहीं ग्राउंड लेवल ओजोन (Ground-level ozone) बच्चों के फेफड़ों को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है। यह तब बनता है जब सूर्य की आने वाली किरणों के साथ कारों, बिजली संयंत्रों और कारखानों के रसायनों का मिश्रण होता है। यह "ओजोन प्रदूषण" स्मॉग का एक मुख्य हिस्सा है। इसके कारण ही इन दिनों आसमान भूरा-पीला धुंध से भरा हुआ नजर आ रहा है। इसके कारण अस्थमा वाले लगभग 3.6 मिलियन बच्चों सांस लेने में दिक्कत और अन्य तरीकों की दिक्कत महसूस होती है।
वायु प्रदूषण बच्चों में सांस लेने की परेशानी को कैसे बढ़ाते हैं?
बच्चों के लिए खास तौर पर आउटडोर पॉल्यूशन बहुत खतरनाक है। दरअसल PM10-2.5 के संपर्क में आने से बच्चों में अस्थमा होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। वहीं वायु को प्रदूषित करने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार, कार्बन मोनोआक्साइड, कार्बन डाइआक्साइड, सल्फर नाइट्रेट एवं नाइट्रोजन आक्साइड गैसें भी बच्चों को बीमार कर सकती हैं। अगर ये तमाम हानिकारक गैस श्वास नली में प्रवेश कर जाए, तो ये
- -एलर्जी
- -सांस लेने में दिक्कत
- -जुकाम
- -सीने में जकड़न
- -सूखी खांसी जैसे लक्षणों को ट्रिगर करती है।
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अस्थमा से बचाव का तरीका (Asthma Prevention tips)
डॉ. नवीन किशोर कहते हैं कि अस्थमा से ग्रस्त बच्चों को अपना इनहेलर हमेशा साथ रखना चाहिए। यह इनहेलर उन्हें सांस लेने में मदद करता है। साथ ही आपको अपने बच्चों को भी मास्क लगाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। वहीं माता-पिता को अपने बच्चों के लिए इन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए। जैसे कि
- - बच्चों को सुबह और शाम के वक्त घर से बाहर न जाने दें क्योंकि इस वक्त प्रदूषण की मात्रा ज्यादा होती है।
- - घर में ही बच्चों को एक्सरसाइज करवाएं।
- - अस्थमा की मेडिकेशन नियमित रूप से समय पर दें।
- - समय-समय पर डॉक्टर से जांच अवश्य कराएं।
- -अस्थमा वाले बच्चों को हर प्रकार के धुएं से दूर रखें।
इन तमाम चीजों के अलावा इंडोर पॉल्यूशन से बचाव का खास ख्याल रखें।इसके लिए जहां तक संभव हो कमरे को बंद रखें और घर को प्रदूषित हवा से दूर रखने के लिए उचित वेंटिलेशन का इंतजाम करें। साथ ही घर में कुछ ऐसे पौधे लगाएं, जो कि एयर प्यूरीफाई करे और हो सके तो बच्चे के कमरे में एयर प्यूरीफायर लगवा दें।
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