ओ..ओ...
प्रदुषण, सेहत के लिए तू तो हानिकारक है...
दंगल के गाने की ये लाइन अब हर किसी को बढ़ते प्रदुषण के लिए गाना चाहिए। और ये कोई अतिशयोक्ति नहीं है। क्योंकि हाल-फिलहाल में आई इस रिपोर्ट को पढ़कर आप भी ये गाना गाने लगेंगे। इस रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते वायु प्रदुषण का असर अब गर्भ में पल रहे भ्रुण पर भी हो रहा है और कम वजन के बच्चे पैदा हो रहे हैं।
ये एक पहलू आया सामने
बढ़ते वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों का एक और पहलू सामने आया है। स्विटजरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिख और अमेरिका की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी कर इस बात का दावा किया है कि जहरीली और धूलभरी हवा का प्रतिकूल प्रभाव अजन्मे बच्चों पर भी पड़ रहा है और इससे अस्वस्थ व कम वजन के नवजात समय से पहले पैदा हो रहे हैं। यह रिपोर्ट जर्नल ऑफ ह्युमन रिर्सोसेस में प्रकाशित की गई है। भारत में समय से पहले और कम वजन के पैदान होने वाले बच्चों की संख्या में पहले पायदान पर है।
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भारत की चिंताजनक स्थिति
इस स्थिति को अगर भारत के परिदृश्य से देखा जाए तो भारत की स्थिति काफी चिंताजनक है। हाल ही में हुए एक अध्ययन में एक हैरतअंगेज परिणाम सामने आए हैं जिसके अनुसार 2010 में प्रदुषण के कारण भारत में कम से कम 10 लाख शिशुओं का जन्म समय से पहले हुआ है। यह संख्या विश्व में सर्वाधिक और चीन से दोगुनी है।
पूरी दुनिया में 27 लाख बच्चे हुए समय से पहले पैदा
अध्ययन के अनुसार पूरी दुनिया में 2010 में समय से पहले 27 लाख नवजातों का जन्म हुआ है और ये सारे मामले वायु प्रदूषण से जुड़े हुए है। इस अध्ययन में कहा गया है कि बच्चे का स्वास्थ्य इस बात पर निर्भर करता है कि एक गर्भवती महिला के आसपास का वातावरण कैसा है और वो कहां रहती है। जैसे की, भारत अथवा चीन में रहने वाली महिला इंग्लैंड के ग्रामीण इलाकों अथवा फ्रांस के मुकाबले 10 गुना ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस लेती है इस कारण इन दो देशों में प्रदुषण के कारण समय से पहले पैदा होने वाले शिशुओं की संख्या अधिक है।
समय से पूर्व पैदा होने वाले नवजातों में मृत्यु तथा शारीरिक व तंत्रिका संबंधी विकलांगता का खतरा अधिक होता है। ये अध्ययन द स्टॉकहोम इन्वायरमेंट इंस्टीट्यूट एट द यूनिवर्सिटी ऑफ यॉक के एक दल की अगुआई में हुआ है जो इंवायरमेंट इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित हुई है। इस अध्ययन में कहा गया है कि जो 27 लाख नवजात 2010 में समयपूर्व पैदा हुए थे उनमें 18 प्रतिशत मामले फाइन पार्टिकुलेट मैटर से संपर्क में आने से जुड़े हुए हैं।
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क्या है फाइन पार्टिकुलेट मैटर
फाइन पार्टिकुलेट मैटर ऐसे महीन प्रदूषक तत्व हैं जो हवा में तैर रहें हैं लेकिन हमें नग्न आंखों से नहीं दिखते। ये तत्व सांस लेने के साथ आसानी से हमारे शरीर के अंदर चले जाते हैं और स्वास्थ्य को काफी हद तक नुकसान पहुंचाते हैं। अध्ययन के मुताबिक इस पूरे आंकड़े में भारत के ही अकेले 10 लाख मामले हैं जबकि चीन में पांच लाख। अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदुषण को कम करके समय से पहले जन्म लेने वाले नवजातों के मामलों में कमी लाई जा सकती है।
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