आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में उदासी और दुखी होना लोगों की दिनचर्या का एक हिस्सा बन गई है। व्यस्त जीवनशैली और काम के चलते उदास होना जाहिर सी बात है। लेकिन हाल ही में आए एक सर्वे से साफ हुआ है कि जो लोग अधिक दुखी और उदास रहते हैं उनमें प्रतिशोध की भावना अधिक पनपती है।
रिसर्च में बताया गया है कि अब तक ये माना जाता था कि जो लोग दूसरों को चोट पहुंचाकर और उन्हें दुखी देखकर खुश होते हैं, उनमें प्रतिशोध की भावना उनसे ज्यादा होती है। जबकि ये सरासर गलत है। शोधकर्ताओं का कहना है कि परपीड़न प्रभावी व्यक्तित्व की विशेषता है, जिससे यह जाहिर होता है कि कुछ लोगों में दूसरों की अपेक्षा प्रतिशोध की भावना ज्यादा क्यों होती है।
अमेरिका स्थित वर्जिनिया कामनवेल्थ यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डेविड चेस्टर ने कहा कि हम एक ऐसे व्यक्तित्व की तस्वीर का चित्रण करना चाहते थे, जिसमें प्रतिशोध की भावना थी। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को किसी ना किसी कारण से अपनी जिंदगी में अपमानित होना पड़ता है, लेकिन हमारे बीच कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो उस चीज का बदला लेना चाहते हैं। जबकि दूसरे लोग ऐसा नहीं चाहते हैं।
उन्होंने आगे बताया कि असल में जो लोग प्रतिशोध की तलाश में रहते हैं, वे इसमें आनंद का अनुभव करते हैं। जब तक उन्हें प्रतिशोध नहीं मिलता वे बेचेन और हताश रहते हैं। उन्हें लगता है कि किसी से आकर उन्हें गुलाम बना लिया है। इसलिए दुखी लोग अपने मन में हमेशा बदले की भावना रखते हैं।
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