
पिछले साल विश्व में दर्ज मलेरिया के कुल मामलों में से छह फीसद मामले भारत में दर्ज किए गए। वहीं देश में मलेरिया के सिर्फ आठ फीसद मामलों की ही पहचान हो पाई। यह दावा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2016 पर आधारित वल्र्ड मलेरिया रिपोर्ट-2017 में किया है। मलेरिया से हुई मौतों के मामले में भारत दक्षिण पूर्व एशिया में पहले स्थान पर रहा।
331 मौतें भारत में मलेरिया से 2016 में हुईं
शीर्ष 15 देशों में भारत तीसरा मलेरिया के 80 फीसद मामले 15 देशों में पाए गए। इनमें भारत तीसरे स्थान पर है। सर्वाधिक मामले नाइजीरिया में मिले। वैश्विक आंकड़े में नाइजीरिया की 27 फीसद हिस्सेदारी रही। दूसरे स्थान पर 10 फीसद की हिस्सेदारी के साथ कांगो गणराज्य है। तीसरे स्थान पर छह फीसद हिस्सेदारी भारत की है। चौथे और पांचवें स्थान पर चार-चार फीसद के साथ क्रमश: मोजांबिक और घाना हैं।
दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत आगे
2016 में दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में भारत में सर्वाधिक मलेरिया के मामले दर्ज किए गए। इस क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी 90 फीसद रही। दूसरे व तीसरे स्थान पर क्रमश: 9 फीसद के साथ इंडोनेशिया और एक फीसद के साथ म्यांमार हैं।
ठीक राह पर भारत
देश में मलेरिया के मामलों में सर्वाधिक वृद्धि ओडिशा में दर्ज की गई। हालांकि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2020 तक मलेरिया के मामलों में 20 से 40 फीसद कमी करने के लक्ष्य को पाने के लिए भारत ठीक दिशा में आगे बढ़ रहा है।
आर्थिक मदद नाकाफी
2016 में मलेरिया से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर 2.7 अरब डॉलर निवेश किए गए। 2015 में यह रकम 2.9 अरब डॉलर थी। लेकिन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 2030 तक मलेरिया पर विजय पाने के लक्ष्य के लिए 2020 तक न्यूनतम निवेश 6.5 अरब डॉलर करने की जरूरत है।
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