
एक्यूपंक्चर उपचार अति लोकप्रिय और बेहद कम नुकसानदेह होने के बावजूद इस उपचार के बारे में कई गलत धारणाएं फ़ैली हुई हैं ! संझेप में मैं निम्नलिखित तथ्यों से आपको अवगत करा रहा हूँ, हर व्यक्ति को एक्यूपंक्चर के बारे में अवश्य जानना चाहिए !
- एक्यूप्रेशर और एक्यूपंक्चर समान सिद्धांतों आधारित होता है, इन दोनों उपचारों में यह फर्क है कि एक्यूप्रेशर का उपयोग रोगों से बचाव के किया जाता है और इसका उपयोग बेहद कम गंभीर और सामान्य रोगों के इलाज के लिए ही किया जाता है ! एक्यूपंक्चर बेहद गंभीर रोगों का न सिर्फ इलाज करता है, बल्कि रोगियों को रोगमुक्त भी कर देता है !
 
- एक्यूप्रेशर एक घरेलू उपचार के समान है, जिसे बिना किसी चिकित्सक की सलाह के भी दिया जा सकता है, जबकि एक्यूपंक्चर उपचार सिर्फ चिकित्सकों द्वारा ही दिया जाता है !
 
- एक्यूपंक्चर एक लक्षणात्मक राहत नहीं है ! यह उसके निदान, उपचार और असर में समग्र रूप में है ! इसीलिए जिन प्रभावों को अनुभव किया जाता है, वे सभी लक्षणात्मक नहीं होते हैं, बल्कि आरोग्यकारी होते है !
 
- एक्यूपंक्चर दर्द से राहत नहीं देता है ! चूंकि दर्द रोग का गौण उत्पादन (बाइप्राडक्ट) होता है, इसलिए रोग का इलाज होने या रोग के नियंत्रण में ही दर्द से राहत मिलती है !
 
- एक्यूपंक्चर एक ही सिटिंग में आराम नहीं देता है ! एक्यूपंक्चर का लाभकारी असर के प्रकट होने में हर रोगी के अनुसार भिन्न भिन्न अवधि का समय लग सकता है!
 
- एक्यूपंक्चर की सुई लगाने की प्रक्रिया पर किसी भी प्रकार के भोज्य या पेय पदार्थों का कोई भी असर नहीं पड़ता है ! आप भोजन का सेवन करने के बाद भी एक्यूपंक्चर उपचार के लिए जा सकते हो या एक्यूपंक्चर उपचार के ठीक बाद भोजन का सेवन कर सकते हो !
 
- एक्यूपंक्चर सुई के भेदने की गहराई एक्यूपंक्चर बिंदु और रोगी के शारीरिक गठन पर निर्भर होती है ! कुछ बिंदु सतह पर होते हैं, इसलिए सुई को गहराई तक नहीं भेदा जाता है, जबकि कुछ अन्य बिंदुओं में सुई को गहराई तक भेदा जाता है ! यदि मरीज़ का वज़न अधिक है, तब अधिक गहराई तक भेदना ही पड़ता है !
 
- एक्यूपंक्चर उपचार को अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय पर दिया जा सकता है !
 
- यह ज़रूरी नहीं है कि एक्यूपंक्चर बिंदु रोगग्रस्त भाग के समीप हो ! इसके बजाए सुई को रोगग्रस्त भाग के काफी दूरी पर भेदा जा सकता है ! उदाहरण के लिए सिरदर्द के लिए सुई को पैरों पर चुभोया जा सकता है !
 
- शरीर के रोगग्रस्त भाग के विपरीत भाग में सुई को भेदा जा सकता है ! सुई चुभोने के लिए रोगग्रस्त भाग के विपरीत तरफ भी एक्यूपंक्चर बिंदु चुनाव किया जा सकता है, जैसे कि चेहरे के दाईं तरफ यदि लकवा हुआ हो, तो सुई को बाईं तरफ से भेदा जा सकता है !
 
- सुई का धातु का प्रभावों पर कोई दबाव नहीं होगा ! यदि सुई को स्टेनलेस स्टील का बनाया जाए, या सोने का बनाया जाए, तो भी दोनों सुईयों के असर समान ही होंगे !
 
- सुईयों का आकार नतीजों पर कोई असर नहीं डालता है ! सिर्फ जिस प्रक्रिया का महत्व है, वह है – सुई का सही गहराई में प्रवेश करना ! इसीलिए एक इंच की गहराई तक सुई भेदने के लिए हम १.५ इंच लंबी सुई के साथ साथ ४ इंच लंबी सुई का इस्तेमाल कर सकते हैं !
 
- आम तौर पर सुईयों को रोके रखे जाने की अवधि करीब २०-४० मिनट की है ! सुई लगाने की प्रक्रिया का करीब ७०% असर पहले २० मिनटों में नज़र आ जाता है ! अगले २० मिनट सिर्फ २०% असर देते हैं !
 
- एक्यूपंक्चर का असर अस्थायी नहीं होता है ! एक्यूपंक्चर का असर रोग पर निर्भर करता है ! कई रोगों को बूस्टर कोर्सेज़ की ज़रूरत होती है ! आम तौर पर आस्टीओआर्थ्रारोसिस जैसे बढ़ती उम्र से संबंधित रोगों के लिए इन बूस्टर कोर्सेज़ की ज़रूरत होती है !
 
- बूस्टर कोर्सेज़ को विभिन्न रोगों को ध्यान में रखते हुए १-३ वर्षों में एक बार दिया जाता है !
 
- कई रोगों में बूस्टर का सिर्फ एक कोर्स पर्याप्त हो सकता है ! रोगी को बूस्टर कोर्स की ज़रूरत नहीं भी पड़ सकती है, जैसे कि चेहरे का लकवा, फ्रोज़न शोल्डर !
 
- एक्यूपंक्चर उपचार की मदद से सभी रोगों को ठीक किया जा सकता है ! लेकिन अन्य उपचारों की तरह ही इस उपचार की भी अपनी सीमाएं हैं !
 
- आम तौर पर एक्यूपंक्चर उपचार की मदद से सर्जरी को टाला नहीं जा सकता है, यदि सर्जरी अनिवार्य हो !
 
- यदि उपचार के दौरान अंतराल आ जाए, तो किसी भी प्रकार का बुरा प्रभाव नह...
 
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