आत्मिक शक्ति अपार है। और इसकी थाह ले पाना आसान नहीं। यदि हम अपनी आत्मा और उसकी शक्ति का सही प्रकार संचार कर पायें तो उस अनंत की खोज संभव है। हमारे आज के काम हमारा भविष्य तय करते हैं। और यदि हम अपने भीतर छुपी उस आत्मिक शक्ति को सही प्रकार केंद्रित कर पायें तो अपने भविष्य की योजनाओं को कामयाब बनाना हमारे लिए संभव होगा। हालांकि कुछ रास्ते हैं जो हमारी आत्मिक शक्ति को बंधन से मुक्त करने में सहायक हो सकते हैं। कुछ रास्तों पर चलकर हम अपने जीवन चिंतामुक्त कर सकते हैं। और जब हम ऐसा करते हैं तो अपार संभावनायें हमारा इंतजार कर रही होती हैं। सकारात्मकता के साथ हम अपने जीवन को नया दृष्टिकोण दे सकते हैं।
दुख से क्या घबराना
दुख और दुर्घटनायें तो हर किसी के जीवन का अटूट अंग होती हैं। लेकिन, कई बार हम अपने साथ हुए हादसों को स्वीकार ही नहीं कर पाते। यहीं से समस्यायें शुरू होती हैं। असल में हमें जीवन की असफलताओं, दुर्घटनाओं और आपदाओं से सीख लेने की जरूरत होती है। हालांकि, इनसे उबर पाना इतना आसान नहीं होता, किंतु इनके बिना कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं होता। हमें इन्हें जीवन के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में स्वीकार करना चाहिये। यह मानना चाहिये कि जीवन में होने वाली हर घटना के पीछे कोई न कोई कारण अवश्य होता है। यदि हम इन बातों को स्वीकार कर लेंगे तो हमारा हृदय बंधन से मुक्त हो जाएगा। और हृदय के मुक्त होते ही आपका शरीर भी नयी शक्ति से नये सृजन में जुट जाएगा। जो हो गया उसे स्वीकार कर हम दुख से मुक्त हो सकते हैं। यह बात भी याद रखिये कि सुख की चाह दुख से मुक्ति की राह नहीं है, दुख से मुक्ति ही सुख की राह है।
पीड़ित न समझें
अतीत में किये गए आपके काम ही आपका आज और आने वाला कल का निर्धारण करते हैं। वे काम चाहे जानबूझकर किये गए हों या फिर अनजाने में। तो इसलिए खुद को किसी भी रूप में पीडि़त न समझें। आज आप जो भी हैं, उनके पीछे काफी हद तक आपके कर्म उत्तरदायी हैं। बहुत संभव है कि समस्या के मूल में आपका दृष्टिकोण हो। तो, इसलिए स्वयं को पीडि़त समझकर आप शक्ति का हृास ही करेंगे। और साथ ही हालात से लड़ने की आपकी क्षमता भी खत्म हो जाएगी।
ऊर्जा का सही उपयोग
इस बात से तो हम परिचित हैं कि हमारा वर्तमान अतीत में लिए गए हमारे निर्णयों का प्रतिफल है। इस बात को भली-भांति समझ लें कि आपकी प्रतिक्रियायें पूर्णत: आपके नियंत्रण में होती हैं। अनुभवों से हमें बुद्धिमत्ता और नयी सीख मिलती है। अब यह आप पर निर्भर करता है कि आप उनका प्रयोग जीवन को प्रफुल्लित बनाने में करते हैं अथवा उस ऊर्जा को यूं ही नष्ट कर देते हैं।
क्षमादान महादान
हम अपने चारों ओर स्वयं ही दीवारों का निर्माण करते हैं। और कालांतर में हम इन्हीं दीवारों में बंदी होकर रह जाते हैं। हम लोगों को क्षमा करने और भूलने का साहस नहीं जुटा पाते, जिससे हमारी समस्यायें और दुख में बढ़ोत्तरी होती रहती है। जब हम परिस्थितियों के वशीभूत होकर प्रतिक्रियायें देने लगते हैं, और हमारा स्वयं पर नियंत्रण नहीं रहता, वह समय हमारे लिए काफी दुष्कर होता है। किंतु जब क्षमा करने लगते हैं, तो हम स्वयं को अपने निजी अनुभवों से स्वतंत्र कर देते हैं। यही वह समय होता है जब हम दोषारोपण, लज्जा और अपराधबोध से मुक्त होकर परमसुख की अनुभूति करते हैं।
खुशी का दामन थाम ले
उत्साह, निस्वार्थ प्रेम, स्वीकार्यता, दयालुता और क्षमादान, वास्तविक जीवन में भी महत्व रखते हैं। यह आपका आत्मिक सुख और उत्साह होता है। यही सब गुण आपको जीवन में सतत् प्रयास करने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। उत्साह से ही सकारात्मक ऊर्जा का जन्म होता है। और फिर यही सकारात्मक ऊर्जा जीवन की नयी दिशा देने में चमत्कारिक प्रभाव दिखाती है।
आत्मा की जागृति जीवन में ऊर्जा का नवसंचार करती है। यह नवसंचार वास्तव में चमत्कारिक प्रभाव उत्पन्न करता है। किंतु इसका दर्शन और आभास करने के लिए सबसे पहले इस पर विश्वास करना आवश्यक है।
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