लैरींगोमलेशिया (छोटे बच्चों में होने वाली बीमारी) क्या होता है? डॉक्टर से जानें लक्षण और मैनेज करने के तरीके

कई बार बच्चों में लैरींगोमलेशिया हो जाता है। इस समस्या में बच्चों का वायु मार्ग काफी मुलायम हो जाता है। आइये डॉक्टर से जानते हैं इस बीमारी के बारे में।
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लैरींगोमलेशिया (छोटे बच्चों में होने वाली बीमारी) क्या होता है? डॉक्टर से जानें लक्षण और मैनेज करने के तरीके


Laryngomalacia in kids: बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है, जिससे अक्सर वे बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। कुछ साल तक बच्चे खाना खाने में भी नखरे दिखाते हैं। कई बार वे लैरींगोमलेशिया का भी शिकार हो जाते हैं। यह बच्चों में होने वाली एक बीमारी है, जिसमें बच्चों का वायु मार्ग काफी मुलायम हो जाता है। कई बार यह समस्या एक दो सालों में अपने आप ही ठीक हो जाती है। हालांकि, आप इसके लक्षणों को देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगा सकते हैं। आइये बच्चों के मशहूर डॉ. सईद मुजाहिद अंसारी से जानते हैं इस समस्या के बारे में। 

क्या है लैरींगोमलेशिया? (What is Laryngomalacia)

लैरींगोमलेशिया बच्चों में होने वाली एक बीमारी है, जिसमें वायुमार्ग में मौजूद टिशु मुलायम हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों को सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। कुछ लोग इसे पसलियों का चलना भी मान लेते हैं। यह बीमारी होने पर बच्चों को हांफने जैसी स्थिति हो सकती है। लैरींगोमलेशिया आमतौर पर 20 से 30 प्रतिशत बच्चों में देखा जाता है। जो ज्यादातर मामलों में खुद ब खुद ठीक हो जाता है। अगर आपके बच्चे को भी ऐसी स्थिति है तो बिना देरी किए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। 

 
 
 
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लैरींगोमलेशिया के लक्षण (Laryngomalacia Symptoms)

  • लैरींगोमलेशिया होने पर बच्चों में लक्षण आमतौर पर शुरुआत के कुछ ही हफ्तों में देखे जा सकते हैं। 
  • ऐसे में बच्चों को खिलाने में भी समस्या हो सकती है। 
  • अगर बच्चे की ग्रोथ कम हो रही है या फिर ठीक तरह से वजन नहीं बढ़ रहा है तो यह भी लैरींगोमलेशिया का लक्षण हो सकता है। 
  • कई बार बच्चों में लैरींगोमलेशिया की वजह से ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिस कारण उनकी त्वचा नीली पड़ने लगती है। 
  • ऐसे में बच्चों को गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स भी हो सकता है। 

लैरींगोमलेशिया को मैनेज करने के तरीके (Tips to manage Laryngomalacia) 

  • लैरींगोमलेशिया को मैनेज करने के लिए आपको बच्चों में रिफलक्स को मैनेज करने के साथ ही उनके सपोर्ट केयर पर भी नजर रखनी चाहिए। 
  • ऐसे में आपको बच्चों के खान-पान को लेकर एक्टिव रहना चाहिए। 
  • अगर यह समस्या बच्चे में लंबे समय से बनी हुई है तो ऐसे में कई बार सर्जरी कराने की भी जरूरत पड़ सकती है। 

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