
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आंतों को स्वस्थ रखना भी बहुत जरूरी है। आप इस तरह से अपने आंतों को स्वस्थ रख सकते हैं।
अच्छा स्वास्थ्य अच्छे पाचन तंत्र (Digestive system) की देन है। हमारा स्वास्थ्य इस पर निर्भर करता है कि हमारा पाचन तंत्र कितने बेहतर तरीके से काम कर रहा है। आंतें हमारे पाचन तंत्र का सबसे प्रमुख भाग हैं, हमारे द्वारा खाए गए भोजन का पाचन और अवशोषण प्रमुख रूप से आंतों में ही होता है। खानपान की गलत आदतें, शारीरिक निष्क्रियता, देर रात तक जागना और तनावग्रस्त जीवन जीना हमारी आंतों की सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। तो फैमिली फिजिशियन ऑफ इंडिया, ग्रेटर नोएडा के अध्यक्ष डॉक्टर रमन कुमार से जानिए आंतें खराब होने के कारण, आंतें खराब होने पर होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं और आंतों को कैसे रखा जाएं एकदम स्वस्थ।
ये हैं आंतें खराब होने के कारण (Causes of intestine malfunction)
आंतों में किसी भी तरह की समस्या आने पर हमारा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो जाता है। कुछ ऐसे ही कारण हैं, जो आंतों के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
1. असंतुलित भोजन (Unbalanced food)
नियमित रूप से ऐसे भोजन का सेवन करना जिसमें कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate), शुगर (Sugar), नमक (Salt) और वसा (Fat) की मात्रा ज्यादा होती हैं और फाइबर, पानी की मात्रा कम होती है। इस तरह का असंतुलित भोजन आंतों को बीमार बना देती हैं। क्योंकि भोजन को पचाने के लिए शरीर को भरपूर मात्रा में फाइबर और पानी की भी जरूरत होती हैं।
2. ओवरईटिंग (Overeating)
ओवरईटिंग करके भी आप अपनी आंतों को खराब कर रहे होते हैं। अगर आप कभी-कभी ओवर ईटिंग करते हैं, तो यह समस्या नहीं होगी लेकिन रोजाना ओवरईटिंग आंतों को बीमार बना देता है। इससे भोजन का टूटना और पाचन दोनों प्रभावित (Food breakdown and digestion both affected) होते हैं।
इसे भी पढ़ें- Dahi Benefits: सुबह खाली पेट दही खाने से साफ हो जाती है आंतों में जमा सारी गंदगी, शरीर रहता है हमेशा तंदरुस्त
3. पानी कम पीना (Drink less water)
शरीर में पानी की कमी पाचन क्रिया को प्रभावित करती है। जिसका असर आंतों पर पड़ता है। भोजन से पोषक तत्वों के अवशोषण (Absorption of nutrients from food) और मल के निर्माण के लिए (Sewage manufacture) आंतों को पानी की जरूरत होती है।
4. नियमित समय पर भोजन न करना (Non regular meals)
आंतों को स्वस्थ रखने के लिए ‘आप क्या खाते हैं’ (what you eat) और ‘कब खाते हैं’ (When you eat) दोनों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। खाना खाने का हमेशा एक तय समय होना चाहिए, क्योंकि नियमित समय पर खाना खाने से हमारा पाचन तंत्र (Digestive system) ठीक से काम करता है।
5. शारीरिक सक्रियता की कमी (Lack of physical activity)
शारीरिक रूप से सक्रिय और नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से आंतें हमेशा स्वस्थ रहती हैं। इससे भोजन का पाचन और अवशोषण (Digestion and absorption of food) बेहतर हो पाता है। एक्सरसाइज करने से ब्लड सर्कुलेशन सुधरता है और भोजन की मूवमेंट तेज होती हैं।
आंतों की खराबी के कारण होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं (Health problem caused by intestines malfunction)
जब हमारी आंतें ठीक तरह से काम नहीं करतीं, तो बॉडी से टॉक्सिन पूरी तरह से बाहर नहीं निकल पाते हैं। आंतों में टॉक्सिन (Toxin) जमा होने से कई स्वास्थ्य समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है।
1. कोलाइटिस (Colitis)
कोलाइटिस में बड़ी या छोटी आंत में छाले पड़ जाते हैं और कुछ भी खाने पर जलन होती है। इस जलन को शांत करने के लिए बार-बार ठंडा पानी पीना पड़ता है। कभी-कभी कोलाइटिस के कारण बड़ी आंत में सूजन भी आ जाती है।
2. ड्यूडिनल पेप्टिक अल्सर (Deodenal peptic ulcer)
ड्यूडिनल अल्सर छोटी आंत के ऊपरी हिस्से (ड्यूडनम) में होता है। ये छोटी आंत का सबसे पहला भाग है। हम जो भी खाते हैं उसका सबसे अधिक पाचन यही होता है। अत्यधिक तले-भुने और मसालेदार भोजन खाने से ड्यूडनम में पित्त की मात्रा बढ़ जाती हैं, जिससे अंदरूनी परत जल जाती है और इसमें अल्सर विकसित होने लगता है।
3. कोलन कैंसर (Colon cancer)
जब बड़ी आंत की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विकसित और विभाजित होकर ट्युमर बना लेती हैं तो इसे कोलन कैंसर कहते हैं। (When the cells fo the large intestine grow uncontrollably and form tumors, it is calls colon cancer) कम फाइबर, वसायुक्त भोजन, शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, मोटापा, धूम्रपान और एल्कोहल का सेवन कोलन कैंसर के प्रमुख रिस्क फैक्टर्स माने जाते हैं।
4. इरिटेबल बॉउल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome)
इरिटेबल बॉउल सिंड्रोम एक सामान्य डिसआर्डर है, जो बड़ी आंत को प्रभावित करता है। छोटी आंत की मांसपेशियां भोजन को बड़ी आंत में पहुंचाती हैं। सामान्यता ये एक रिदम में सिकुड़ती और फैलती हैं, इस रिदम के गड़बड़ाने को इरिटेबल बॉउल डिसआर्डर कहते हैं
इसे भी पढ़ें - किचन की 5 चीजों को मिलाकर बनाएं ये पावरफुल डिटॉक्स ड्रिंक, आंतों और ब्लड की हो जाएगी अच्छी तरह सफाई
ये हैं अस्वस्थ आंतों के संकेत (signs of unhealthy intestines)
जब हमारे शरीर में कुछ गड़बड़ी हो रही होती हैं तो शरीर में कुछ न कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं, जिनसे हमें परेशानी होती हैं। आंतें अस्वस्थ होने पर भी शरीर कई संकेत देता है।
- - गैस, पेट फूलना और भूख न लगना ये सभी अस्वस्थ आंतों के संकेत हैं।
- - डायरिया (Dairrhea) आंतों की बीमारियों का एक लक्षण है। इसमें बड़ी आंत (Large intestine) में मौजूद खाने से तरल पदार्थ (Liquid) अवशोषित (Absorbed) नहीं हो पाता, जिससे मल पतला हो जाता है।
- - कब्ज (Constipation) यानी बड़ी आंत से शरीर के बाहर मल निकालने में कठिनाई आना।
- - जब आपका वजन कम या ज्यादा होने लगे तो यह भी अस्वस्थ आंतों (Unhealthy intestines) का एक संकेत हो सकता है।
- - आंतों और नींद में सीधा संबंध होता है। जब आंतें ठीक से काम नहीं करतीं, तो नींद का चक्र प्रभावित (Sleep cycle affected) होने लगता है।
- - जब आंतें अपना काम ठीक से नहीं कर पातीं, तो पाचन क्रिया प्रभावित होती है। जिसका असर त्वचा पर भी दिखाई देने लगता है। अस्वस्थ आंतों से त्वचा पर रैशेज (Rashes) और खुजली (Itching) की समस्या होने लगती हैं।
ऐसे रखें आंतों को स्वस्थ (Keep intestines healthy)
- - आंतों को स्वस्थ रखने के लिए ज्यादा तला-भुना (Fried food) और मसालेदार भोजन (Spicy food) करने से बचें।
- - अपने बॉयोलॉजिकल क्लॉक (Biological clock) को दुरुस्त रखने के लिए हमेशा निश्चित समय पर खाना खाएं। खाना अच्छे से चबा-चबाकर खाना चाहिए।
- - फिजिकली एक्टिव (Physically active) रहने के लिए हर रोज एक्सरसाइज और योगा करें। इसके साथ ही रनिंग और जॉगिंग भी करें।
- - कैफीन युक्त चीजें जैसे चाय, कॉफी का सेवन करने से भी बचें। साथ ही कार्बोनेटेड सॉफ्ट ड्रिंक (Carbonated soft drink) भी न लें।
- - धूम्रपान और शराब से दूरी बनाकर रखें।
- - अपनी डाइट में रेशेदार भोजन (Fibrous food) को शामिल करें।
- - सुबह एक गिलास गुनगुना पानी जरूर पीएं।
- - रोजाना 8 घंटे की नींद जरूर लें और तनाव (Tension) से दूर रहने की कोशिश करें।
Read More Articles on Miscellaneous in Hindi
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।