
आपने देखा होगा कि कुछ लोगों को बुखार चढ़ता और उतरता रहता है लेकिन ऐसा क्यों होता है। क्या दवा की खुराक सही नहीं दी जाती है। जानें कुछ ऐसे मिथ-फैक्टस।
अलग-अलग मौसमों में खासकर मॉनसून के समय होने वाले परिवर्तन से स्वास्थ्य की अनेक समस्याएं होती हैं और संक्रामक बीमारियां फैलती हैं। तापमान, हवा, बारिश, नमी में होने वाले परिवर्तन से संक्रामक बीमारियां बढ़ती हैं। इससे हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भी प्रभावित होती है और संक्रमण होने का जोखिम बढ़ता है। मॉनसून की शुरुआत से शरीर का तापमान बढ़ता है और यह ट्रेंड सर्दियों तक चलता रहता है। बुखार के नियंत्रण के लिए यह आवश्यक है कि सही दवाई सही खुराक में सही समय पर ली जाए, जिससे इलाज प्रभावशाली व सुरक्षित होकर बुखार सहित बीमारी पूरी तरह से ठीक हो सके।
दरअसल इन दिनों लोगों में बुखार को लेकर अत्यधिक तनाव व चिंता के साथ इसके इलाज व दवाई के प्रति अनेक भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं। कभी-कभी हम सच्चाई जानने की कोशिश किए बगैर इन भ्रांतियों पर यकीन करने लगते हैं। इस तरह की भ्रांतियों को दूर करने के लिए ओनलीमाईहेल्थ ने दिल्ली जाने-माने एक्सपर्ट डॉक्टर अजय कुमार से बातचीत की। उन्होंने बुखार से जुड़ी सभी भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास किया है। चलिए बुखार की कुछ भ्रांतियों की सच्चाई जानें:
भ्रांति 1: जब आप ठीक महसूस करने लगें, तो आपको दवाई लेते रहने की जरूरत नहीं।
सच्चाई: आपको अपने डॉक्टर के परामर्श के अनुसार दवाई का संपूर्ण कोर्स पूरा करना चाहिए। ऐसा न करने पर इलाज पूरी तरह नहीं हो पाता और बुखार फिर से लौट सकता है।
भ्रांति 2: जब तक आप गोलियां ले रहे हैं, तब तक इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कब और कैसे गोलियां खा रहे हैं।
सच्चाई: गोली पानी से या अपने डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ली जानी चाहिए। समय अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसलिए दवाई खुराक के अनुशंसित अंतराल पर ही लें। डॉक्टर के परामर्श/पैक लेबल पर दिए गए निर्देश के अनुसार यह देख लें कि दवाई खाली पेट लेनी है या कुछ खाकर।
भ्रांति 3: यदि आपको ज्यादा परेशानी है, तो फिर लेबल को नजरंदाज करके ज्यादा गोलियां ले लें, जिससे जल्दी आराम हो।
सच्चाई: आपको डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही खुराक लेनी चाहिए। ज्यादा गोलियां लेने से गंभीर साईड इफेक्ट या ओवरडोज़िंग हो सकती है।
भ्रांति 4: बुखार के लिए हर कोई समान खुराक ले सकता है।
सच्चाई: कुछ दवाईयां, जैसे पैरासिटामोल शरीर के तापमान के अनुसार लेनी चाहिए। पैरासिटामोल 650 मिग्रा. बिना किसी साईड इफेक्ट के 500 मिग्रा. के मुकाबले ज्यादा प्रभावशाली दवाई है। बुखार से जल्द आराम के लिए यह सुरक्षित रूप से ली जा सकती है। पैरासिटामोल जरूरत के अनुसार हर चार से छः घंटे में ली जा सकती है। 24 घंटों की अवधि में दैनिक खुराक के रूप में कम से कम 4 घंटे का अंतर रखते हुए इसकी अधिकतम 4000 मिग्रा. मात्रा दी जा सकती है।
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भ्रांति 5: साईड इफेक्ट से बचने के लिए कम खुराक लेना ठीक है
सच्चाई: सेल्फ मेडिकेशन का सुझाव नहीं दिया जा सकता। जब लोग खुद दवाई लेते हैं, तो उन्हें सही खुराक का महत्व नहीं मालूम होता और वो कम खुराक दिया करते हैं। परामर्श के अनुसार सही खुराक दिए जाने से दवाई के सुरक्षा प्रोफाईल में लक्षण बेहतर तरीके से नियंत्रित होते हैं। अंडरडोज़िंग से दवाई की मात्रा इतनी कम हो सकती है, कि वह प्रभावशाली न होकर उसके परिणाम दिखाई ही न दें।
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इसलिए सभी दवाईयों के लिए अनुशंसित मात्रा का लिया जाना, दवाई लेने से पहले सभी निर्देशों का पालन करना और डिहाईड्रेशन रोकने के लिए पर्याप्त मात्रा में तरल लिया जाना और पर्याप्त आराम किया जाना आवश्यक है। बुखार का कारण जानने के लिए डॉक्टर से परामर्श लिया जाना बहुत आवश्यक है, ताकि वह बीमारी के लिए सही इलाज का सुझाव दे सके।
Inputs: Dr. Ajay Kumar, General Practitioner, Dr Kumar’s Clinic, Adarsh Nagar
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