
हृदय को स्वस्थ रखना आपके लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए बहुत आवश्यक होता है, स्वस्थ हृदय के लिए रोजाना अच्छे आहार का सेवन और उचित व्यायाम करने की आवश्यकता होती है। जब आपके फिटनेस की बात होती है तो योग को सबसे बेहतर माना जाता है। यह आपके शरीर और आत्मा को समान रूप से पोषण देने के लिए बहुत ही अच्छा तरीका है। योग आसनों के साथ-साथ कई ऐसी मुद्राएं भी हैं, जिन्हें आप कर सकते हैं। इन योग मुद्राओं के नियमित अभ्यास से आपको कई तरह के स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं और हृदय को स्वस्थ रखने में भी मदद मिल सकता है। हृदय की सेहत के लिए इन 5 योग मुद्राओं का अभ्यास जरूर करें।
अपान वायु मुद्रा
हृदय रोगियों के लिए यह मुद्रा बहुत ही लाभदायक माना जाता है। यह कार्डियक अरेस्ट से पीड़ित व्यक्ति को तुरंत राहत प्रदान करता है और इससे रक्तचाप को ठीक रखने में सहायता मिलती है। पेट की गैस एवं शरीर की बेचैनी इस मुद्रा के अभ्यास से दूर होती है। इसे करने के लिए सीधा बैठ जाएं और अपने दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख लें और हथेलियां उपर की तरफ कर लें। अब अपने हाथ की तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे के पास ले लाएं और बीच की दोनों अंगुली के प्रथम पोर को अंगूठे के प्रथम पोर से स्पर्श कर हल्का दबाएं और कनिष्ठिका अंगुली को सीधी रहने दें। आंखे बंद करके इस अवस्था में कम से कम 20 से 30 मिनट तक रहें।
प्राण मुद्रा
प्राण मुद्रा को प्राणशक्ति का केंद्र माना जाता है और इसको करने से प्राणशक्ति बढ़ती है। यह वास्तव में धमनियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है, हृदय संबंधी समस्याओं से जुड़े जोखिमों को कम करता है और इस मुद्रा का रोजाना अभ्यास करने से फिटनेस और प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार होता है। यह उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से आपको दूर रखता है। इसे करने के लिए पद्मासन में बैठें और दोनों हाथों को अपने घुटनों पर रख कर हथेलियों को उपर की ओर रखें। अब अपने हाथ की सबसे छोटी अंगुली और उसके बगल वाली अंगुली के पोर को अंगूठे के पोर से सटा लें। आप अपने जरूरत के अनुसार इसे कर सकते हैं।
सूर्य मुद्रा
सूर्य मुद्रा से आप अपने शरीर में ऊर्जा का स्तर बढ़ा सकते हैं और ये ऊर्जा आपके आलस्य को खत्म करता है। मोटापा, डायबिटीज, थायरायड आदि जैसे समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए सूर्य मुद्रा का अभ्यास बहुत ही फायदेमंद होता है। इससे आपके हृदय के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में भी मदद करता है, अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ता है। इसे करने के लिए सीधे बैठ जाएं और हाथ की सबसे छोटी अंगुली के बगल वाले उंगली को मोड़कर अंगूठे के पोर से लगा लें। अपने ध्यान को केंद्रित करके इस अभ्यास को 10-15 मिनट तक करें।
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लिंग मुद्रा
यह मुद्रा पुरुषत्व का प्रतीक है इसीलिए इसे लिंग मुद्रा कहा जाता है। यह मुद्रा उन लोगों के लिए सहायक है जो मधुमेह से पीड़ित हैं। मोटापा और मधुमेह गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं जो आपके हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसका अभ्यास करने से मधुमेह और वजन को नियंत्रण में रखने में मदद मिल सकती है, जिससे आपका हृदय स्वास्थ्य भी नियंत्रण में रहता है। इस अभ्यास को करने के लिए अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को परस्पर एक-दूसरे में मिलाएं और एक अंगूठे को सीधा रखें तथा दूसरे अंगूठे से पीछे से लाकर घेरा बना दें। इस अभ्यास को कम से कम 15 से 16 मिनट तक करें।
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गणेश मुद्रा
गणेश मुद्रा से शरीर में स्फूर्ति आती है और आत्मविश्वास प्रबल होता है। यह मुद्रा उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है जिनका कोलेस्ट्रॉल का स्तर काफी ज्यादा होता है और साथ ही उन लोगों के लिए जिनका हृदय कमजोर होता है। यह आपके ब्रोन्कियल नलियों को खोलता है और रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है। यह हृदय चक्र को खोलता है और आपके हृदय को मजबूत बनाता है। इसे करने के लिए दाई हथेली को सीने की ओर रखते हुए दोनों हाथों की उंगलियों का ग्रिप बनाएं। धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ दोनों हाथों को तानें और सांस छोड़ते हुए ढीला छोड़ें। बाईं हथेली के साथ भी इस प्रतिक्रिया को दोहराएं।
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