पढ़ाई या करियर से जुड़ा तनाव, रिश्तों की उलझनें, भागदौड़ भरी दिनचर्या...जीवन में सब कुछ अच्छा ही नहीं चलता। कभी मन उदास, तनावग्रस्त, थकान, बेचैनी, दुखी या क्षुब्ध होता है तो कभी गुस्सा आता है। कई तरह के मनोभाव होते हैं, जो नकारात्मक चिंतन को जन्म देकर व्यक्ति को विचलित करते हैं। ऐसी स्थितियों में संतुलित रहने के लिए व्यायाम, योग, ध्यान या आउटडोर गेम्स की मदद ली जा सकती है। कई बार घंटों काम करने के बाद थकान होना स्वाभाविक है लेकिन कभी-कभी थकान अकारण होने लगती है। हर समय सुस्ती का भाव रहने लगे तो इसके लिए कुछ क्रियाएं करनी चाहिए-
शवासन
यह सबसे आसान क्रिया है, जिससे तत्काल शारीरिक-मानसिक थकान दूर हो जाती है-
- पीठ के बल सीधे लेटें, पैरों को ढीला छोड़ दें।
- हाथों को शरीर से सटा कर सीधे रखें।
- अब अपने अंगूठे से शुरुआत कर शरीर के हर एक अंग पर धीरे-धीरे ध्यान केंद्रित करना शुरू करें।
- मन को एकाग्रचित्त होने दें और महसूस करें कि शरीर धीरे-धीरे ऊर्जा ग्रहण कर रहा है-स्वस्थ हो रहा है।
शलभासन
इसे खासतौर पर थकान या फटीग दूर करने के लिए बनाया गया है।
- जमीन पर पेट के बल लेट जाएं।
- दोनों हाथों को शरीर की सीध में हलका सा ऊपर की ओर उठा कर रखें।
- अब अपने सिर को ऊपर की तरफ उठाएं।
- लंबी सांस खींचें। धीरे-धीरे दोनों पैरों, गर्दन और सिर को ऊपर की ओर उठाएं लेकिन पेट वाला हिस्सा जमीन से सटा रहे। अब पूर्वावस्था में लौटें।
- इसे 10-20 बार तक दोहराएं।
ब्रीदिंग टेकनीक 1
- एकांत जगह पर बैठें। एक हाथ छाती पर, दूसरा पेट पर हो और गहरी सांस लें।
- नाक से सांस लें। छाती पर रखा हाथ स्थिर हो, पेट वाला हाथ धीरे-धीरे मूव हो।
- मुंह से सांस लेने की कोशिश करें।
- इस क्रिया को 5 मिनट तक दोहराएं।
ब्रीदिंग टेकनीक 2
- आंखें बंद कर सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। नाक से सांस लेकर मुंह से छोड़ें।
- कस कर मुट्ठी भींचें। इस स्थिति में होने वाले तनाव को नोटिस करें।
- धीरे-धीरे उंगलियां खोलें और हथेलियों के तनाव से मुक्त होने का एहसास करें।
ब्रीदिंग टेकनीक 3
- आंख बंद कर गहरी सांस लें।
- अब 10 तक गिनती करें। इस प्रक्रिया को दोहराएं, काउंटिंग 50-100 तक बढ़ाएं।
- किसी सुंदर वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें, मसलन कोई पेंटिंग, फ्लॉवर वास या कोई भी कलरफुल चीज।
ब्रीदिंग टेकनीक 4
- शांत जगह पर बैठें और आंखें बंद कर सांसों और शरीर पर ध्यान केंद्रित करें।
- आंख खोलें, आसपास के वातावरण पर ध्यान केंद्रित करें। कोई आवाज खुशबू या घटना...जो भी हो, उसके प्रति जागरूक हों।
- अवेयरनेस की प्रक्रिया 5 बार दोहराएं।
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