
आजकल बिजी लाइफस्टाइल के चलते लोग अपनी सेहत पर विशेष रूप से ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण शरीर कई बीमारियों का शिकार हो रहा है। ऐसे में बीमारियों से बचने का सबसे आसान और सही तरीका है कि आप अपने दैनिक दिनचर्या में व्यायाम को शाम
आजकल बिजी लाइफस्टाइल के चलते लोग अपनी सेहत पर विशेष रूप से ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण शरीर कई बीमारियों का शिकार हो रहा है। ऐसे में बीमारियों से बचने का सबसे आसान और सही तरीका है कि आप अपने दैनिक दिनचर्या में व्यायाम को शामिल करें। इससे आप चुस्त-दुरूस्त रहेंगे। रोजाना व्यायाम से शरीर को ढेरों फायदे होते हैं। व्यायाम से कई बीमरियों से लड़ने में मदद मिलती है। आप योग से खुद को फिट रख सकते हैं। आज हम आपको प्राण मुद्रा के बारे में बताएंगे, जिससे डायबिटीज व मोटापे के अलावा कई समस्याओं को दूर करने में मदद मिलेगी। यह आपके जीवन एंव स्वास्थ्य की रक्षा करती है, जैसे कि प्राण मुद्रा के नाम से ही प्रतीत होता है। प्राण मुद्रा रूट चक्र को तेज करती है, जिससे शरीर में अग्नि और कंपन दोनों होने लगते हैं। इससे शरीर को एनर्जी मिलनी शुरू हो जाती है। इसके नियमित अभ्यास से आपके शरीर को अनेक रोगों से बचाव व लड़ने की शक्ति मिलती है। इसे करने से व्यक्ति का शरीर निरोगी रहता है। आइए जानते हैं प्राण मुद्रा के स्वास्थ्य के लिए क्या-क्या फायदे हैं।
डायबिटीज और वजन को कंट्रोल करने में सहायक
व्यायाम करने से आपको डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। प्राण मुद्रा से भूख कंट्रोल होती है, जिससे कि आप ओवरइटिंग से बच सकते हैं। प्राण मुद्रा से खून साफ होता है और इससे रक्त वाहिनियों का अवरोध भी दूर होता है। प्राण मुद्रा से डायबिटीज को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। डायबिटीज के रोगियों को इस मुद्रा को नियमित रूप से करने में फायदा मिलेगा। प्राण मुद्रा का अभ्यास दिल के रोगों में भी फायदेमंद है। इस अभ्यास से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और थकान व नस-नाडि़यों का दर्द दूर करने में सहायक है। इसक अलावा इससे वजन भी कंट्रोल रहता है। यह मेटाबॉलिज्म दर को भी बढ़ाता है, जो वसा को कम करने में मदद करता है। इसके अलावा यह आपके पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है।
आंखों की रौशनी बढ़ाने में सहायक
प्राण मुद्रा से आंखों की रौशनी बढ़ती है और आंखों से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं। अगर आपको कंप्यूटर पर काम करते या टीवी देखते वक्त आंखों में जलन होती है, या फिर आप चश्मा पहनते हैं और आपके चश्में का नम्बर ज्यादा है, तो प्राण मुद्रा के नियमित अभ्यास से आपको फायदा मिलेगा। इस मुद्रा से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। इस मुद्रा को करने से दृष्टि दोष दूर होता है।
पीरियड्स के दर्द में राहत
जिन महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अधिक दर्द होता है, उनके लिए प्राण मुद्रा सबसे अच्छा विकल्प है। इस आसन को करने से पीरियड्स में होने वाले असहनीय दर्द से राहत मिलती है। प्राण मुद्रा से चिडद्यचिड़ापन व थकान दूर होती है। यह मुद्रा शरीर में विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-डी, विटामिन-ई और विटामिन- के की कमी को पूरा करती है। इसके अलावा इसके अभ्यास से डिप्रेशन जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं।
इसे भी पढ़ें: लिवर को रखना है दुरुस्त और लंबी उम्र तक सेहतमंद, तो रोज करें ये 4 योगासन
कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद
प्राण मुद्रा के नियमित अभ्यास से कोलेस्ट्रॉल लेवल कंट्रोल में रहता है। जिससे दिल की बीमारियों का खतरा काफी हद तक कम होता है। प्राण मुद्रा हाई ब्लड प्रेशर के मरीजो के लिए भी फायदेमंद है। प्राण मुद्रा के नियमित अभ्यास से ऑक्सीजन का स्तर बढता है और कार्बन- डाईऑक्साइड जैसी जहरीली गैस बाहर निकलती है। इसके अलावा इस मुद्रा से शरीर को एनर्जी मिलती है, जिससे आपका शरीर कई बीमारियों से लड़ने से सक्षम होता है।
त्वचा के लिए फायदेमंद
व्यायाम आपके स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि त्वचा के लिउ भी फायदेमंद है। व्यायाम त्वचा संबंधी कई रोगों को ठीक करता है। प्राएा मुद्रा त्वचा में होने वाले रोग- लाल चख्ते, रैशेज व एलर्जी जैसे रोगों में फायदेमंद है। योग से शरीर में बिटामिन-सी की कमी पूरी होती है। इस मुद्रा का अभ्यास आपके चेहरे की सुंदरता व फिटनेस के लिए बेहद अच्छा है। आप व्यायाम से बिना किसी साइड इफैक्ट के ग्लोइंग त्वचा पा सकते है।
इसे भी पढ़ें: हृदय और आंतों को हेल्दी रखते हैं ये 2 प्राणायाम, एक्सपर्ट से जानें इन्हें करने का तरीका
प्राण मुद्रा को कैसे करें
- अनामिका यानि रिंग फिंगर का सम्बन्ध शरीर और मस्तिष्क के उन भागों से होता है जो पृथ्वी तत्व से सम्बन्धित है। जबकि सबसे छोटी उंगली, शरीर में जल तत्व से सम्बंधित होती है। आपके हाथ का अंगूठा अग्नि तत्व से संबंधित होता है।
- अनामिका और कनिष्ठिका यानि सबसे छोटी उंगली के सिरे को अंगूठे के अगले भाग से मिलाने पर प्राण मुद्रा बनती है।
- इसकी खास बात यह है कि यह अभ्यास आप कहीं भी और कभी भी कर सकते है। लेकिन ध्यान रखें प्राण मुद्रा का अभ्यास आप खड़े होकर ना करे, इसे बैठ कर किया जाता है। आप इसके लिए सुखासन या वज्रासन में बैठ सकते हैं।
- हथेलियों के पिछले भाग को आप अपनी जांघों पर रखें। अपने ध्यान को कंद्रित करें और ध्यान को सांसों पर लगाएं। अभ्यास के दौरान सांस सामान्य रखें। सर्दी व जुखाम की स्थिति में आसन न करें।
Read More Article On Yoga
इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है हालांकि इसकी नैतिक जि़म्मेदारी ओन्लीमायहेल्थ डॉट कॉम की नहीं है। हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें। हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है।