
न्यूरोसाइंटिस्ट वेगस तंत्रिका (वेगस अर्थात यात्री) को शरीर की सबसे महत्वपूर्ण नस या तंत्रिका मानते हैं। यह नस शरीर व मन के संयोजन के लिए ज़िम्मेदार है। यह शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों तक जाती है- जैसे दिमाग, आंते,
न्यूरोसाइंटिस्ट वेगस तंत्रिका (वेगस अर्थात यात्री) को शरीर की सबसे महत्वपूर्ण नस या तंत्रिका मानते हैं। यह नस शरीर व मन के संयोजन के लिए ज़िम्मेदार है। यह शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों तक जाती है- जैसे दिमाग, आंते, दिल, जिगर, अग्नाशय, गुर्दा, तिल्ली, फेफड़े, जननेद्रियाँ, यहाँ तक कि जीभ भी, और इस सभी अंगों के चलन पर यह प्रभाव डालती है।
वेगस दिमाग और मन पर अवसाद और व्यग्रता में प्रभाव डाल सकती है, आँतो में इसका प्रभाव पाचक रस के स्राव पर पड़ता है, दिल की धड़कन के चालन पर, शरीर में शर्करा अर्थात ग्लूकोस की मात्रा पर, पित्त की संरचना में, गुर्दे के कार्य में, स्त्रीयों में जननक्षमता पर इसका प्रभाव है, स्वाद लेने में और थूक की संरचना में भी इसका प्रभाव है, परन्तु सबसे अधिक शारिरिक और मानसिक संयुक्ता और परोपकारी व्यवहार तक इससे प्रभावित होता है!
वेगस तांत्रिका की उत्तेजना का सीधा सम्बन्ध आपके स्वास्थ्य से है। जितनी स्वस्थ आपकी वेगस नस होगी, उतने ही आप शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे।
जिस भी अभ्यास से वेगस नस की उत्तेजना होती है, उससे शरीर और मन की संयुक्ता में सुधार होता है, वह इसलिए क्योंकि वेगस नस शरीर और मन के बीच की कड़ी को दर्शाता है। कुछ आसन अभ्यास, जैसे गहरी मध्यपटीय श्वास या फिर सुदर्शन क्रिया करने से यह पाया गया है कि वेगस नस उत्तेजित होती है, और इससे आनन्द व स्वास्थ्य का स्तर बढ़ता है। वेगस की उत्तेजना में गहरी, उदरीय श्वासों को कई बार पेसमेकर का विकल्प माना गया है।
प्राणायाम कुछ ऐसी प्राचीन भारतीय तकनीकें हैं जिन्हें करने से भी हम श्वास को अपने स्वास्थ्य के लिए उपयोग कर सकते हैं। सुदर्शन क्रिया रोज़ करने से भी यह पाया गया है कि वेगस नस उत्तेजित रहती है।
"विश्राम और पाचन" सम्बंधित (पैरासिम्पथेटिक) तंत्रिका तंत्र की उत्तेजना के साथ साथ, यह शक्तिशाली प्राणायाम प्रोलैक्टिन (स्वास्थ्य सम्बंधित हॉर्मोन) के स्राव में भी 50 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करता है, गहरी नींद की अवस्था में बिताए हुए समय में 218 प्रतिशत बढ़ोत्तरी करता है, और पूरे विश्व में अवसाद, चिंता और तनाव को इस प्रक्रिया ने खत्म किया है।
कुछ सरल और प्राकृतिक अभ्यास हैं जिन्हें आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं, जिनमें प्राणायाम, योग व भोजन सम्मिलित हैं।
प्राणायाम
भस्त्रिका प्राणायाम
अपने दिन की शुरुआत भस्त्रिका प्राणायाम से करें, जो कि एक बहुत शक्तिशाली प्राणायाम है अपने घुटनों को मोड़ लें और अपने कूल्हों पर बैठ जाएँ। अपने हाथों की मुट्ठी बना लें और उन्हें अपने दोनों कन्धों के सामने ले आएँ। जब आप श्वास भरें, अपने हाथों को ऊपर ले जाएँ और अपनी मुट्ठियाँ खोल दें। जब आप श्वास छोड़ें, अपने हाथों को नीचे ले आएँ और पुनः अपने हाथों की मुट्ठियाँ बना लें। यह एक क्रम है।
आपको ऐसे बीस क्रम करने हैं। आप तीन चक्र करें, हर एक चक्र में ऐसे बीस क्रम हों और दो चक्रों के बीच में पाँच मिनट का अंतराल रखें। अपनी आँखें बंद रखते हुए बैठें और शरीर में ऊर्जा के प्रवाह हो महसूस करें।
उष्ट्रासन
आंतों के स्वास्थ्य के लिए योग उष्ट्रासन एक बहुत सरल आसन है और यह पाचनशक्ति में सुधार लाता है, जो कि वेगस के स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है। इसके लिए सबसे पहले अपनी चटाई पर घुटनें टिका दें और अपने दोनों हाथों को कूल्हों पर रख लें। आपके घुटने और कंधे एक सीध में होनें चाहिए और आपके तलवे छत की ओर होनें चाहिए। जब आप श्वास भरें, अपने गुदास्थि को जघनरोम की ओर खींचें, जैसे को कोई आपको नाभि से खींच रहा हो।
साथ ही साथ, अपनी पीठ से गोला बनाएँ और अपने हाथों को अपने पैरों पर सरका दें तब तक जब तक आपके दोनों हाथ सीधे न हों। अपनी गर्दन को ज़्यादा झटका न दें और उसे सामान्य ही रखें। इस स्थिति में कुछ श्वासों तक रहें। श्वास छोड़ते हुए धीरे धीरे प्रारम्भिक स्थिति में आ जाएँ। जैसे जैसे आप पीठ से सीधे हों अपने हाथों को पुनः कूल्हों पर ले आएँ।
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शाकाहारी भोजन
चपातियों का स्वादिष्ट परिपूरक सामग्री: 3/4 कप गैंदे के बीज, 1/2 कप ख़मीर, 1/4 चमच नमक, 2 चमच नींबू का रस, 2 से 3 लौंग, 2 चमच सावा के पत्ते, 1/4 चम्मच काली मिर्च
प्रक्रिया: गैंदे के बीजों को 8 घण्टों के लिए भिगो दें। सभी सामग्रियों का मिश्रण बना लें। 1 घण्टे तक फ्रिज में ठंडा कर लें। ब्रेड/चपाती या सब्ज़ियों के साथ परोसें। प्रसन्न मन के लिए जप साइंटिफिक अमेरिकन नामक पत्रिका में एज अध्ययन में यह पाया गया कि संस्कृत के श्लोक याद करने से दिमाग के उन क्षेत्रों का विकास होता है जो समझ बूझ से जुड़े हैं।
बिट्स हैदराबाद में एक अध्ययन में पाया गया कि जिन व्यक्तियों ने श्लोकों का उच्चारण किया या सुना, वह अध्ययन के अंत तक और हंसमुख और शांत हो गए।
"ॐ नमः शिवाय" का प्रतिदिन 10 मिनट तक जाप कीजिए और फ़र्क देखिए! आप ललित सहस्रनाम अथवा विष्णु सहस्रनाम जैसे जप सुन भी सकते हैं। अतिरिक्त उपाय: तुरन्त ऊर्जावान महसूस करने के लिए अपने चेहरे को ठंडे पानी से धोएँ!
यह लेख डॉक्टर निशा मणिकंठन से हुई बातचीत पर आधारित है। डॉक्टर निशा, विश्व प्रसिद्ध आयुर्विज्ञानिक व आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री तत्व हॉस्पिटल की निदेशिका हैं।
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