कामकाजी जीवन की सीमारेखा तय करने के तरीके

अगर सालों काम करने के बाद भी आपके जीवन से तनाव कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है तो जरूरी है कि आप भी कामकाजी जीवन की सीमारेखा तय करें। आज हम आपको कामकाजी जीवन की सीमारेखा तय करने के ऐ से ही कुछ प्रभावी तरीके बता रहे हैं।
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कामकाजी जीवन की सीमारेखा तय करने के तरीके


अगर सालों काम करने के बाद भी आपके जीवन से तनाव कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है तो जरूरी है कि आप भी नीता की कामकाजी जीवन की सीमारेखा तय करें। जी, हां! नीता की तरह। पहले पहल कामकाजी जीवन में कदम रखते ही 24 वर्षीय नीता की जिंदगी तनाव का दूसरा नाम बन गई थी। उसके मुताबिक, ‘मेरे जीवन में मानो काम के अलावा और कुछ नहीं था। मैं बहुत कोशिश करती थी कि अपने लिये मी टाईम निकालूं लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाता था। लेकिन बहुत जब मैंने जाना कि कामकाजी जीवन की एक निश्चित सीमारेखा होनी चाहिए। इसके बाद ही मेरे जीवन में आमूलचूल परिवर्तन हुए।’


वास्तव में नीता ही नहीं सबको यह जानना जरूरी है कि कामकाजी जीवन की जरूरतें और कुछ चाहतें होती हैं। सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि उनकी चाहतें क्या है और जरूरतें क्या है? ...और हां, इस बात का ख्याल रखें कि आपकी भी कुछ अपनी चाहतें और जरूरते हैं जो कि उनसे भिन्न हैं। चूंकि आपका बास आपसे आठ घंटे की बजाय 16 घंटे काम करने को कहता है तो आप वैसा करें, यह जरूरी नहीं है। जरूरी यह है कि कंपनी को जिस चीज की दरकार है, उसे पूरा करें और अपनी जरूरतों को भी जहन में रखें। सवाल है कैसे? आइये इस पर एक गौर फरमाते हैं।

 

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संकोच न करें

जरा सोचिए कि क्या आप जद्दोजहद अच्छे जीवन के लिए कर रहे हैं या फिर आपका जीवन जद्दोजहद के लिए बना है? असल में हम काम करते करते यह भूल जाते हैं कि जीवन की तमाम समस्याएं अच्छे जीवन के लिए उठाई जाती है। अतः अपनी जिंदगी को प्राथमिकता दें। अगर आपसे जबरन एक्स्ट्रा काम करने को कहा जा रहा है तो आप बिना संकोच न कह दें। लेकिन हां, इस बात का ध्यान रखें कि क्या वह काम विशेष मौजूदा समय में कंपनी की मांग है? यदि हां तो उस काम को न, न कहें। असल में कंपनी की जरूरत और बास की चाहत में फर्क करें।


कंपनी और बास की चाहत में भिन्नताएं समझने के बाद आपका काम होता है कि कंपनी की मांग अनुसार काम करें। अगर आप अपने लिए एक्स्ट्रा काम करना चाहते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। लेकिन यदि आपकी मजबूरी दूसरों के लिए काम करना है तो न करें। क्योंकि आपको यह बताते चलें कि दूसरों के काम करके आप रहीस नहीं हो जाएंगे वरन अपनी जिंदगी को काम के बोझ के तले दबा लेंगे।

क्षमता से ज्यादा काम न लें

आप ये भी कर लेंगे और आप वो भी कर लेंगे? क्या आपको लगता है कि आप सुपर मैन है। एक ऐसे सुपर मैन जो हर काम आसानी से कर लेता है। जी, नहीं! हम सब इंसान हैं और हमारी सीमित क्षमता है। यदि आप अपनी क्षमता से ज्यादा काम लेंगे तो इससे आपका काम का बोझ बढ़ेगा साथ ही आपका तनाव का स्तर भी। ऐसे में जरूरी है कि आप क्षमता से ज्याद काम न लें। क्षमता से ज्यादा काम लेने से उसकी गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। बहरहाल इसके अलावा एक बात और जहन में रखें कि यदि आपके काम बढ़ रहा है लेनिक तनख्वाह नहीं। ...तो बेहतर है कि बढ़े हुए काम को टाटा बाय बाय कहें।

दफ्तर में अपना ख्याल रखें

काम के प्रति समर्पित होना बहुत अच्छी बात है। अब आप गौतम को ही लें। गौतम अपने काम के प्रति इस हद तक समर्पित था कि उसे न तो लंच का पता चलता था और न ही छुट्टी का। असल में उसका काम, उसका अपना चुना हुआ है। ऐसे में उसने अपनी सर्वस्व काम को दे दिया। साथ ही उसकी तरक्की भी हुई। लेकिन उसे नुकसान भी झेलना पड़ा। दरअसल दफ्तर को सौ फीसदी देने के कारण गौतम ने अपने स्वास्थ्य की अनदेखी कर दी। परिणामस्वरूप एक रोज उसकी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई और उसे कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा।’


अतः काम करते हुए भी अपना ख्याल रखें। समय पर चाय पीयें। लंच करें। लोग अकसर प्यास की अनदेखी करने लगते हैं। लेकिन समय समय पर पानी पीते रहें ताकि शरीर में..


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