बच्चों में सोचने की क्षमता का विकास कैसे करें? ये 4 आदतें आपके बच्चे को बनाएंगी मानसिक रूप से मजबूत

बच्चों को समझदार और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के लिए उनमें बचपन से ही ये 4 आदतें डालें, तो आगे उनका बौद्धिक विकास अच्छा होगा।
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बच्चों में सोचने की क्षमता का विकास कैसे करें? ये 4 आदतें आपके बच्चे को बनाएंगी मानसिक रूप से मजबूत

बच्चों के बारे में कहा जाता है कि वो ज्यादातर काम बिना सोचे-समझे करते हैं, इसलिए उन्हें परिणाम की चिंता नहीं रहती है। समझदारी का विकास बच्चों में धीरे-धीरे होता है। इस काम में स्कूल, परिवार और सोशल लाइफ बच्चों की बहुत मदद करते हैं। स्कूल में जहां बच्चे अपने पाठ और विषय के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं, वहीं दोस्तों, टीचर्स और सहपाठियों से बातचीत के द्वारा भी नई-नई बातें सीखते हैं, जिससे उनकी समझदारी विकसित होती है। इसी तरह आसपास के बच्चों या परिवार के लोगों के साथ खेलने, काम करने और बात करने से भी उनमें बहुत सारी बातों की समझ पैदा होती है। लेकिन आजकल कोरोना वायरस के चलते न ही स्कूल खुले हैं और न ही बच्चों की सोशल लाइफ बची है। ऐसे में बच्चों का अकादमिक (एकेडमिक) विकास तो ऑनलाइन क्लासेज के जरिए हो रहा है, मगर व्यवहारिक विकास नहीं हो पा रहा है। व्यवहारिक ज्ञान उन्हें दिमागी रूप से मजबूत बनाने के लिए बहुत जरूरी है। ऐसे में हम आपको कुछ तरीके बता रहे हैं, जिनकी मदद से आप बच्चों के सोचने-समझने की क्षमता को ज्यादा अच्छी तरह विकसित कर सकते हैं और उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बना सकते हैं।

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कोर्स से अलग भी किताबें पढ़ने को दें

कई बार मां-बाप को लगता है कि बचपन में बच्चों को सिर्फ अपने कोर्स से जुड़ी किताबें ही पढ़नी चाहिए, मगर ये बात पूरी तरह सही नहीं है। बच्चों में पढ़ाई के प्रति लगाव पैदा करने के लिए जरूरी है कि उन्हें कोर्स के अतिरिक्त भी कुछ किताबें पढ़ने को दी जाएं। किताबों का चुनाव बतौर अभिभावक आप भी कर सकते हैं और बच्चों को भी उनकी रूचि के मुताबिक किताब चुनने को कह सकते हैं। कुल मिलाकर आपको करना ये है कि अपने बच्चे को पढ़ने के लिए प्रेरित करना है और उनमें पढ़ने की आदत विकसित करनी है। कहानियों की किताबें, उपन्यास (नॉवेल्स) और कॉमिक्स आदि से भी कई बार भाषा और व्यवहार की अच्छी जानकारी मिलती है।

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अखबार पढ़ें और बच्चों को पढ़ने को कहें

रोजाना के अखबार में सिर्फ घटनाओं का विवरण नहीं होता है, बल्कि बहुत सारे नए विषयों की जानकारी होती है और आपके आसपास से जुड़ी जरूरी जानकारियां होती हैं। अगर बच्चा छोटा है तो आप कुछ मनोरंजक खबरों को उन्हें पढ़कर सुना सकते हैं। अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है और स्वयं पढ़ सकता है तो आप उसे अखबार पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ध्यान रखें कि बच्चों के डिजिटल गैजेट्स के इस्तेमाल पर नजर रखना मुश्किल है इसलिए ऑनलाइन रीडिंग से कहीं ज्यादा अच्छी और बेहतर आदत है प्रिंटेड अखबार को पढ़ना।

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बच्चों में पूछने और सवाल करने की आदत विकसित करें

आपको शुरुआत से ही इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप बच्चों को ऐसा माहौल दें कि वो अपने मन की बात आपसे बिना झिझक पूछ सकें और सवाल कर सकें। बच्चों के सवालों का जवाब देने से मानसिक क्षमता बढ़ती है। सवाल पूछने की आदत विकसित करने का एक आसान तरीका यह भी है कि आप स्वयं बच्चों से सवाल करते रहें। इससे बच्चे का मानसिक विकास होता है और उसकी ऑब्जर्वेशन (चीजों को गहराई से देखने की क्षमता) स्किल बढ़ती है। सवाल पूछना एक अच्छा मानसिक व्यायाम भी है।

बच्चों को दूसरों से घुलने-मिलने के लिए प्रेरित करें

कुछ बच्चे संकोची होते हैं। आमतौर पर संकोच का स्वभाव परवरिश के कारण आता है। इसलिए बच्चों को संकोची बनाने के बजाय व्यवहार कुशल बनाएं। बच्चों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि वो दूसरे बच्चों से, दूसरे लोगों से और परिवार के सदस्यों से घुलें-मिलें और उनसे बातचीत करें। इसी तरह बच्चों का खेलना भी जरूरी है क्योंकि खेल-खेल में भी बच्चे जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण सीख सीखते हैं।

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