
बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए आज के अभिभावक अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। यही कारण होता है कि वे उनको पढ़ाई के लिए डांटना या अन्य कार्यों के लिए रोक-टोक लगाना शुरू कर देते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे पर पढ़ाई के लिए ऐसे ही दबाव डालते हैं तो जान लें, अब इस थ्योरी में थोड़े बदलाव की जरूरत है। अगर आप अपने बच्चे को पढ़ाई के प्रति प्रेरित करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अनुशासन और प्यार, दोनों के बीच संतुलन बनाना होगा। पढ़ते हैं आगे...
बच्चे को ना तोले तुलना के तराजू में
अक्सर माता- पिता अपने बच्चों की तुलना दूसरे बच्चों के साथ करके हैं। ऐसे में यह बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। अगर बच्चे लगातार ऐसी बातें सुनते हैं तो उनके अंदर हीन भावना पैदा होने लगती है। अनजाने में ही सही लेकिन पेरेंट्स ऐसी बातें करके बच्चों को बेहद नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में समझना होगा कि हर बच्चे की अपनी खासियत होती है। आपका फर्ज है उन खूबियों को पहचानना और उन्हें निखारने की कोशिश करना।
परीक्षा में आए अंकों के आधार पर बच्चे का मूल्यांकन करना गलत
हर माता-पिता की इच्छा होती है कि उनका बच्चा डॉक्टर, पुलिस या इंजीनियर बने। या वे भविष्य में बहुत आगे जाए। लेकिन कम नंबरों को देखकर हम अपने बच्चों का मूल्यांकन करना शुरू कर देते हैं और उनकी योग्यता पर शक करते हैं। ऐसे में अधिक दबाव के कारण बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर हो जाता है। और वह भविष्य में एंग्जाइटी और डिप्रेशन जैसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं का शिकार भी हो सकता है। बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित जरूर करें लेकिन उन्हें उनकी योग्यता पर शक उनके नंबरों के आधार पर ना करें।
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उनकी दिनचर्या को करें व्यवस्थित
कभी-कभी बच्चे को पढ़ाई को लेकर माता-पिता तनाव में रहने लगते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को सबसे पहले यह सोचना चाहिए कि उनका बच्चा क्यों नहीं पड़ रहा है? इसके पीछे कारण क्या है? जब माता-पिता इस वजह को ढूंढ लेंगे तो वे भी अपने बच्चे को और अच्छे ढंग से समझ पाएंगे। पेरेंटे्स अपने बच्चों की दिनचर्या को व्यवस्थित करें। उसमें उनके पढ़नें के टाइम को एड करें। और उस वक्त पूरी तरह उनके साथ बैठे रहें।
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कुछ जरूरी बातें
- अपने बच्चे को बेहतर ढंग से समझने के लिए उसकी बातों को अनसुना न करें। उसे डांटकर चुप कराने की बजाए उसकी बातों को ध्यान से सुनें।
- जब भी वे स्कूल से लौट कर आए तो उसके बैग और होमवर्क के साथ-साथ यह भी जाने की क्लास में से क्या पढ़ाया गया? और बच्चे को समझ में क्या दिक्कत आई?
- कुछ बच्चों का मन अपना होमवर्क करने के बाद पढ़ाई में नहीं लगता। ऐसे में माता पिता का फर्ज अपने बच्चों की इस आदत को सुधारें।
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