ये सवाल कई सालों से पूछा जा रहा है कि हम अपनी अगली पीढ़ी के लिए कैसा वातावरण और उनके लिए क्या पूंजी छोड़ कर जा रहे हैं। लेकिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा हाल ही में जारी हुई रिपोर्ट पर अगर गौर करें तो ये सवाल पूरी तरह से बेईमानी हो जाएगा क्योंकि हम अपने बच्चों के लिए ही कोई पूंजी नहीं छोड़ पा रहे हैं तो अगली पीढ़ी की बात तो दूर है।
इस रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में वायु प्रदुषण के कारण के 30 करोड़ बच्चे अधिकतम विषैली हवा के संपर्क में रहते हैं। इस विषैली हवा के संपर्क में रहने से बच्चों को कई गंभीर तरह की शारीरिक हानि उठानी पड़ रही है और साथ ही उनके विकसित होते दिमाग पर भी इसका बुरा असर पड़ सकता है।
सात में से एक बच्चा विषैली हवा के संपर्क में
यूनिसेफ द्वारा किए गए इस शोध में बताया गया है कि दुनियाभर के सात बच्चों में से एक बच्चा ऐसी बाहरी हवा में सांस लेता है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों से कम से कम छह गुना अधिक दूषित है।
मृत्यु का मुख्य कारण वायु प्रदुषण
गौरतलब है कि बच्चों में मृत्युदर का एक मुख्य कारण वायु प्रदूषण है। इसके कारण यूनिसेफ विश्व के हर नेताओं से अपील कर रही है कि वे अपने-अपने देशों में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाना शुरू कर दें नहीं तो हम अपनी आने वाली पीढ़ी को बिल्कुल नहीं बचा पाएंगे। ।
यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एंथनी लेक ने कहा कि हर साल पांच साल से कम उम्र के 6,00,000 बच्चों की मौत की प्रमुख वजह वायु प्रदूषण है।
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