टीनएज बहुत नाजुक होती है, इस समय बॉडी में बहुत से बदलाव होते हैं जिससे आदतों में भी बदलाव आता है। इस दौरान बच्चे गलत आदतों का भी शिकार हो जाते हैं जिसके चलते कई बीमारियां उन्हें कम उम्र में ही होने लगती है। क्या आपका बच्चा भी किसी बुरी लत का शिकार है? अगर हां तो आज हम जानेंगे वो 3 आदतें जिन्हें टीनएज में छोड़ने से कई बीमारियों से बचा जा सकता है। इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए हमने लखनऊ के केयर इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज की एमडी फिजिशियन डॉ सीमा यादव से बात की।
1. टीनएज में स्लीपिंग डिस्ऑर्डर (Sleeping disorder in teenage)
टीनएजर्स की ज्यादातर बीमारियों का कारण स्लीपिंग डिस्ऑडर है। अक्सर देर रात तक जगने से बच्चे की क्षमता घटने लगती है। इससे वो पढ़ाई में ध्यान नहीं लगा पाता, चिड़चिड़ा बन जाता है, खाने का मन नहीं करता, पूरे दिन नींद आती है। ये कुछ मुख्य समस्या है जिसे टीनएजर्स को फेस करना पड़ता है। नींद न आने से गंभीर बीमारियां जैसे थॉइराइड हो सकता है। ऐसे में बच्चे गलत आदतों का शिकार भी हो जाते हैं जैसे रात को फोन इस्तेमाल करना, देर तक पढ़ना आदि।
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इसे कैसे ठीक करें? (Treatment of sleeping disorder)
स्लीपिंग डिस्ऑर्डर से बचने के लिए आपको बच्चे से बात करना जरूरी है। उससे बात करके समझें की वो किसी मानसिक परेशानी से तो नहीं जूझ रहा है, अगर ऐसा है तो डॉक्टर से सलाह लें। बच्चे का रूटीन फिक्स करें, अगर उसे देर तक जगने की आदत है तो उसके सोने और उठने का टाइम नोटकर डॉक्टर से मिलें। टीनएज में बच्चों को 8 से 9 घंटे की नींद लेनी चाहिए।
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2. इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर (Internet addiction disorder)
इंटरनेट एडिक्शन डिस्ऑर्डर तेजी से टीनएजर्स में बढ़ रहा है। इस डिस्ऑर्डर से पीड़ित हर 10 में से 5 बच्चा इंटरनेट पर 5 से 10 घंटे बिताने लगता है। इसके लक्षण ये हैं कि आपको महसूस होगा कि बच्चा अकेले रहना पसंद करता है। उसे दोस्तों या परिजनों से मिलने में इंट्रेस्ट धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा या बच्चा घर से निकलना भी छोड़ सकता है। इससे और भी बीमारियां होने लगती है जैसे आंखों में सूजन, वजन बढ़ना, कलाई में दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द आदि। इससे नींद न आना और भूख न लगने जैसी परेशानी भी होने लगती है। इससे टीनएर्जस को बचना चाहिए।
बीमारी से निजात कैसे मिलेगा? (Treatment of IAD)
इस एडिक्शन से बचने के लिए आपको बच्चे को एक फिक्स टाइम पर ही फोन देना है। बच्चे का ध्यान म्यूजिक या किताबों में लगाएं। कई बार अकेला होने पर भी बच्चे ऐसी लत का शिकार हो जाते हैं। एक दिन में थोड़ा समय उनके लिए भी निकालें। अगर इससे कोई फर्क नहीं आता है तो थैरेपिस्ट से मिलें।
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3. फास्ट फूड खाने की आदत (Avoid fast food)
आज के समय में बच्चों के लिए मोटापा एक बड़ी परेशानी बनता जा रहा है। फैमिली छोटी होती जा रही हैं, माता-पिता दोनों वर्किंग होते हैं जिसके चलते बच्चों को खिलाने के लिए घर पर कोई नहीं होता और माता-पिता भी कई बार उन्हें बाहर का खाना खाने की इजाजत दे देते हैं इससे बच्चों को बाहर के खाने की लत लग जाती है। उन्हें बाहर का तला-भुना या फ्राइड खाना ही पसंद आता है। एक बार इसकी आदत लग जाए तो मुश्किल से छूटती है। बच्चों के बॉडी में उनकी क्षमता से ज्यादा कैलोरी चली जाती है जिसे वो खर्च नहीं कर पाते और मोटापे का शिकार बन जाते हैं। आपको अपने बच्चे के वजन पर ध्यान देना है नहीं तो कम उम्र में ही बच्चे को डायबिटीज, दिल की बीमारी, ऑस्टियो आर्थराइटिस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
बच्चे की हेल्थ को कैसे सुधारें? (Healthy plan for teenagers)
सबसे पहले आपको मेडिकल एक्सपर्ट की मदद से बीएमआई पता करना है, आपके बच्चे के कद और उम्र के हिसाब से उसका वजन कितना ज्यादा है ये पता करें। फिर बच्चे को हेल्दी आदतों की तरफ मोड़ें। एकदम से फास्ट फूड बंद न करें। बच्चों को आदत बदलने में समय लगता है। बच्चे को वीकेंड पर बाहर का खाना लाकर देना का प्रॉमिस करें ताकि बाकि दिन वो घर का खाना खाए। टीनएर्जर पढ़ाई में व्यस्त रहते हैं इसलिए उनसे जल्दी उठकर कसरत करवाने का आइडिया बेकार है इससे बेहतर है कि आप उन्हें जुम्बा या डांस क्लास में जाने के लिए प्रेरित करें। इससे बच्चे का वजन धीरे-धीरे कम होने लगेगा।
इन आदतों को ठीक कर लेने से टीनएजर्स काफी हद तक बीमारियों से बचकर हेल्दी लाइफ लीड कर सकते हैं।
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