भारत पर जीका वायरस का खतरा, सिंगापुर में 13 भारतीय पॉजिटिव

लैंसेट जर्नल में छपे एक शोध के मुताबिक एशियाई और अफ्रीकी देशों में करीब 2.6 अरब आबादी के सामने जीका वायरस से संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है। इन देशों की जलवायु जीका वायरस फैलाने वाले मच्‍छरों के अनुकूल है। वैज्ञानिकों की मानें तों जीका को लेकर भारत में ज्‍यादा सावधानी बरतने की जरूरत है।
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भारत पर जीका वायरस का खतरा, सिंगापुर में 13 भारतीय पॉजिटिव

सिंगापुर में जीका वायरस के 115 मामले सामने आने के बाद पूरे एशियाई देशों में बीमारी के फैलने की चिंता सताने लगी है। भारत के विदेश मंत्रालय के मुताबिक सिंगापुर में रह रहे 13 भारतीय भी वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। इसके अलावा चीन और बंग्‍लादेश के करीब 27 लोगों में जीका वायरस पॉजिटिव पाया गया है। ये बीमारी सिंगापुर में एक कंस्‍ट्रक्‍शन साइट पर करीब 3 दर्जन मजदूरों में सामने आई थी, जिसके बाद अन्‍य लोगों में संक्रमण फैलता गया। हालांकि इस बीमारी के बचाव के लिए सिंगापुर में डॉक्‍टरों की टीम तेजी से काम कर रही है।

Zika virus

वहीं दूसरी ओर लैंसेट जर्नल में छपे एक शोध के मुताबिक एशियाई और अफ्रीकी देशों में करीब 2.6 अरब आबादी के सामने जीका वायरस से संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा है। इन देशों की जलवायु जीका वायरस फैलाने वाले मच्‍छरों के अनुकूल है। वैज्ञानिकों की मानें तों जीका को लेकर भारत में ज्‍यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। यहां इस वायरस को फैलाने वाले एडीज मच्छर मौजूद हैं। अगर किसी वजह से ये वायरस भारत में आते है तो यहां तेजी से संक्रमण फैल सकता है। हालांकि इस दिशा मे अभी शोध कार्य चल रहें जो इन बातों पर पूरी तरह से स्‍पष्‍ठ नही हैं। लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।

क्‍या है जीका वायरस

जीका कोई नया वायरस नहीं है। साल 1947 में जब वैज्ञानिक येलो फीवर पर शोध कर रहे थे तब इसकी पहचान युगांडा के जीका जंगल में हुई थी। इसकी तरफ पहली बार 2007 में ध्यान गया, पश्चिमी प्रशांत महासागर के माइक्रोनेशिया द्वीप-समूह में इसके संक्रमण के मामले सामने आए। तब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस पर काम करना शुरू किया। फिर साल 2015 में ब्राजील में भी इसके काफी ज्यादा मामले सामने आए।


लक्षण

यह एडीज एजिप्ती मच्छर के काटने से फैलता है। यही मच्छर डेंगू, चिकनगुनिया और पीत ज्वर के लिए जिम्मेदार होता है। पहले हल्का सा बुखार होता है। जीका वायरस मच्छर से फैलता है। यह सीधे नवजात को अपना शिकार बनाता है। इस वायरस से प्रभावित होने वाले बच्चे की सारी जिंदगी विशेष देखभाल करनी पड़ती है। जीका विषाणु से संक्रमित होने पर बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन, मांसपेशी और जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है। यह लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों तक रहते हैं। यह सीधे नवजात को अपना शिकार बनाता है। इस वायरस से प्रभावित होने वाले बच्चे की सारी जिंदगी विशेष देखभाल करनी पड़ती है। जीका विषाणु से संक्रमित होने पर बुखार, त्वचा पर चकत्ते और आंखों में जलन, मांसपेशी और जोड़ों में दर्द की परेशानी होती है।


बचने के उपाय

मच्छरों से बचने के लिए पूरे शरीर को ढंक कर रखें और हल्के रंग के कपड़े पहनें। इसके अलावा, कीड़ों से बचाने वाली क्रीम और मच्छरदानी का उपयोग करें। मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए अपने घर के आसपास गमले, बाल्टी, कूलर आदि में भरा पानी निकाल दें।

Image Source : Getty

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