आजकल जिंदगी बहुत तेज भाग रही है। हर कोई कामयाब होने के लिए दौड़ रहा है। और दौड़ में आगे निकलने की जिद के कारण उसे काफी दबाव हो रहा है। यही दबाव उसे शारीरिक और मानसिक बीमारियां दे रहा है। जानकार मानते हैं कि योग और ध्यान जैसी परंपरागत भारतीय विधियां इन समस्याओं से बचाने में काफी हद तक मददगार हो सकती हैं।
आज हर व्यक्ति अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में भारी तनाव, असुरक्षा और चिंता का सामना कर रहा है। इन सबके कारण उसे कई बीमारियां भी हो रही हैं। उच्च और निम्न रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, मानसिक असंतुलन जैसी बीमारियां इन दिनों आम हो चली हैं।
शांति दिलाये रोग
योग और ध्यान के जरिये न केवल अपने जीवन को शांतिमय बनाया जा सकता है, बल्कि इससे कई प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। इनके जरिये नशे की लत को भी दूर किया जा सकता है। प्राचीन समय से ही योग को जीवनपद्धति का एक तरीका माना जाता रहा है। आज भी न केवल भारत बल्कि पश्चिमी देशों में भी योग की उपयोगिता को स्वीकार किया जा रहा है।
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जो भी है बस यही इक पल है
अक्सर लोग अतीत और भविष्य की चिंताओं को लेकर सोचते रहते हैं। इस कारण उनका तनाव काफी बढ़ जाता है। लेकिन, योग व्यक्ति को चिंता मुक्त बनाने का काम करता है। यह व्यक्ति को आज और इस पल में जीने की कला सिखाता है। यह बात तो आप जानते ही हैं कि जो लोग आज में जीते हैं उनमें तनाव कम देखा जाता है। ऐसे लोगों को असुरक्षा की भावना भी नहीं होती और साथ ही उनमें आत्मविश्वास भी अधिक देखा जाता है।
दस मिनट हैं बहुत
रोजाना केवल दस मिनट योग करना आपको तनाव मुक्त रखने के लिए काफी है। योग और ध्यान के जरिये उच्च रक्तचाप, तनाव, अवसाद जैसी जीवन शैली बीमारियों का इलाज सफलतापूर्वक किया जा रहा है। व्यक्ति के जीवन में घटित कई घटनायें उसे असुरक्षा की भावना से ग्रस्त कर देती हैं। लेकिन, योग इन सबको संतुलित करता है और उसे आत्मविश्वास से भरता है।
शोध लगाते हैं मुहर
'बोस्टन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन' के शोधकर्ताओं ने योग और चिंता के कम होने के बीच संबंध स्थापित किया है। उनके अनुसार मनोभावों और चिंता संबंधी विकारों को दूर करने के लिए योग से अच्छा उपाय और कुछ नहीं हो सकता।
'जर्नल ऑफ अल्टरनेटिव एंड कॉम्प्लीमेंटरी मेडिसिन' का शोध कहता है कि ब्रेन गामा-एमीनोबुटायरिक (जीएबीए) के कम स्तर का अवसाद और चिंता संबंधी अन्य विकारों से सीधा संबंध होता है। योग करने से जीएबीए कम होता है। यानी योग करने से अवसाद को दूर किया जा सकता है।
बोस्टन विश्वविद्यालय द्वारा जारी वक्तव्य के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 12 सप्ताह तक स्वस्थ लोगों के दो समूहों का अध्ययन किया। एक समूह ने सप्ताह में प्रत्येक दिन एक घंटे तक योग का अभ्यास किया जबकि दूसरे समूह के लोग इतने ही समय के लिए केवल टहले।
इसके बाद 'मैग्नेटिक रीजोनेंस स्पेट्रोस्कोपी' (एमआरसी) के जरिए मस्तिष्क के चित्र लिए गए। शोधकर्ताओं ने 12वें सप्ताह में दोनों समूहों के जीएबीए स्तर की तुलना की।
यह पाया गया जिन लोगों ने योगाभ्यास किया उनमें पैदल चलने या टहलने वाले लोगों की अपेक्षा चिंता का स्तर कम हुआ और उनके मनोभावों में सुधार देखा गया।
बोस्टन विश्वविद्यालय के शोधकर्ता क्रिस स्ट्रीटर कहते हैं कि योगाभ्यास को कई मानसिक विकारों की बेहतर चिकित्सा के रूप में देखा जाता है।
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