तनाव और अनियमित दिनचर्या के साथ-साथ शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण सांसों की समस्या दिन-प्रतिदिन सांसों के मरीज बढ़ रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण ने स्वच्छ हवा, पानी, रोशनी को हमसे दूर कर दिया है जो सांसों की समस्या को बढ़ा रहे हैं। सांसों की एलर्जी अर्थात दमा भी इसी दूषित वातावरण की ही देन है। इसके कारण न केवल बड़े बल्कि बच्चे भी सांसों की बीमारी की चपेट में आ गये हैं। योग के जरिये आप स्वस्थ तो रहते हैं साथ ही इससे सांसों की बीमारी को भी दूर करते हैं। इस लेख में विस्तार से जानिये योग के कौन-कौन से आसन आपको सांसों की बीमारी से निजात दिलायेंगे।
क्यों होती है सांसों की बीमारी
सांसों की बीमारियां रक्त में एलर्जी और टॉक्सिन्स उत्पन्न हो जाने के कारण होती हैं। हम जो भी सांसों के जरिये ग्रहण करते हैं वह नाक, गला, फैंरिक्स और वायुनली से होते हुए श्वांसनली के द्वारा फेफड़ों में पहुंचती है और जब हम सांस छोड़ते हैं तो इसी प्रकार वायु शरीर से बाहर निकल जाती है। सांसों का यह स्वतंत्र ग्रहण और निष्कासन ही हमारी श्वसन क्रिया का आधार है।
जब एलर्जीकारक कण श्वसन नली में प्रवेश करते हैं तो फेफड़ों के बचाव के लिए हमारी श्वसन व्यवस्था उसे बीच में ही रोकने का प्रयास करती है, इससे सांस लेने में कष्ट होता है। जो एलर्जी पहले से ही सिस्टम में प्रवेश कर चुकी होती है उससे बलगम और खांसी होती है और गले में सूजन आ जाती है और उसी से श्वांसनली में रुकावट आ जाती है और सांस लेने में कठिनाई होती है। इससे ही सांसों की बीमारियां शुरू होने लगती हैं।
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सर्वांगासन
इसे सभी अंगों का योगासन कहा जाता है। पीठ के बल लेटकर किये जाने वाले इस व्यायाम से सांसों की बीमारियां दूर होती हैं। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटकर पैरों को मिलाते हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियां जमीन की तरफ करके रखें। सांस लेते हुए हाथों की सहायता से पैरों को धीरे-धीरे 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और अन्त में 90 डिग्री तक उठाएं। 90 डिग्री तक पैरों को न उठा पाएं तो 120 डिग्री पर पैर ले जाकर व हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएं।
पर्वतासन
यह आसन भी सांसों की बीमांरियों को दूर करता है। इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं, इसके बाद आगे झुकते हुए दोनों हथेलियों को जमीन पर रखें। हाथों तथा पैरों के बीच लगभग 4 से 5 फिट का अंतर रखें। कूल्हों को अधिकतम ऊपर उठाएं। पूरे शरीर का भार हथेलियों तथा पंजों पर रखें। प्रयास करें कि एड़ी जमीन को स्पर्श करें। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुककर वापस पहले की स्थिति में आएं।
चक्रासन
योग के इस आसन को जवां बनाये रखने वाला आसन कहा जाता है। इससे भी सांसों की बीमारियां दूर होती हैं। इसे करने के लिए शवासन में लेट जाएं, फिर घुटनों को मोड़कर, तलवों को अच्छे से जमाते हुए एड़ियों को नितंबों से लगाएं। कोहनियों को मोड़ते हुए हाथों की हथेलियों को कंधों के पीछे थोड़े अंतर पर रखें, इस स्थिति में कोहनियां और घुटनें ऊपर की तरफ रहते हैं। श्वांस अंदर भरकर तलवों और हथेलियों के बल पर कमर-पेट और छाती को ऊपर उठाएं और सिर को कमर की ओर ले जाए फिर सामान्य स्थिति में आयें।
भुजंगासन
इस आसन को करने के लिए पेट के बल सीधा लेट जाएं, दोनों हाथों को माथे के नीचे टिकाएं और पैरों के पंजों को साथ रखें। अब माथे को सामने की तरफ उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार बाजुओं पर पड़े, अब शरीर के अग्रभाग को बाजुओं के सहारे उठाएं, इस दौरान लंबी सांस लीजिए, कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहने के बाद वापस पेट के बल लेट जाएं।
इसके अलावा तानासन, यस्टिकासन, प्राणायाम (इसके 12 आसन) भी सांसों की बीमारी को दूर करने वाले प्रभावशाली योगासन हैं, इन्हें भी आजमायें।
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