आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अक्सर तनाव और अनिद्रा के शिकार हो जाते है। इस तरह की समस्याय़ों का निपटारा योगनिद्रा के द्वारा किया जा सकता।योगनिद्रा के नियमित अभ्यास से सभी प्रकार के तनाव दूर हो जाते हैं और इसके बाद व्यक्ति अपने आपको काफी तरोताजा अनुभव करता है। योगनिद्रा से आप कम समय नींद लेकर भी तरोताजा रह सकते हैं।
क्या है योग निद्रा
योग निद्रा का मतलब आध्यात्मिक नींद होता है। इसमें आप जागते हुए सोते है। सोने व जागने के बीच की स्थिति को योग निद्रा कहा जाता है। इसे स्वप्न और जागरण के बीच ही स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है। देवता इसी निद्रा में सोते हैं।योगनिद्रा शरीर को गहन विश्राम देकर पूरी तरह शिथिल करती है।
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ऐसे करें योग निद्रा
स्वच्छ स्थान पर दरी बिछाकर उस पर एक कंबल बिछाएं। ढीले कपड़े पहनकर कंबल पर शवासन की स्थिति में लेट जाएं। जमीन पर दोनों पैर लगभग एक फुट की दूरी पर हों। हथेली कमर से छह इंच दूरी पर हो और आंखे बंद रखें। इसके बाद सिर से पांव तक पूरे शरीर को पूर्णत: शिथिल कर दीजिए और मन-मस्तिष्क से तनाव हटाकर निश्चिंतता से लेटे रहें। इस दौरान पूरी सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।अब कल्पना करें कि आप के हाथ, पांव, पेट, गर्दन, आंखें सब शिथिल हो गए हैं। तब फिर स्वयं से मन ही मन कहें कि मैं योग निद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं। ऐसा तीन बार दोहराएं और गहरी सांस छोड़ना तथा लेना जारी रखें।अब अपने मन को शरीर के विभिन्न अंगों पर ले जाइए और उन्हें शिथिल व तनाव रहित होने का निर्देश दें। पूरे शरीर को शांतिमय स्थिति में रखें। महसूस करें की संपूर्ण शरीर से दर्द बाहर निकल रहा है और मैं आनंदित महसूस कर रहा हूं। गहरी सांस ले। फिर अपने मन को दाहिने पैर के अंगूठे पर ले जाइए। पांव की सभी अंगुलियां कम से कम पांव का तलवा, एड़ी, पिंडली, घुटना, जांघ, नितंब, कमर, कंधा शिथिल होता जा रहा है। इसी तरह बायां पैर भी शिथिल करें। सहज सांस लें व छोड़ें। अब लेटे-लेटे पांच बार पूरी सांस लें व छोड़ें। इसमें पेट व छाती चलेगी। पेट ऊपर-नीचे होगा।
सावधानी रखें
योगनिद्रा में सोना नहीं है। योगनिद्रा 10 से 45 मिनट तक की जा सकती है। योगनिद्रा के लिए खुली जगह का चयन किया जाए। यदि किसी बंद कमरे में करते हैं तो उसके दरवाजे, खिड़की खुले रखें। शरीर को हिलाना नहीं है, नींद नहीं निकालना, यह एक मनोवैज्ञानिक नींद है, विचारों से जूझना नहीं है। सोचना नहीं है साँसों के आवागमन को महसूस करना हूँ।
योगनिद्रा के लाभ
योगनिद्रा द्वारा मनुष्य से अच्छे काम भी कराए जा सकते हैं। बुरी आदतें भी इससे छूट जाती हैं। योगनिद्रा का प्रयोग रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द, तनाव, पेट में घाव, दमे की बीमारी, गर्दन दर्द, कमर दर्द, घुटनों, जोड़ों का दर्द, साइटिका, अनिद्रा, थकान, अवसाद, प्रसवकाल की पीड़ा में बहुत ही लाभदायक है।
योगनिद्रा में किया गया संकल्प बहुत ही शक्तिशाली होता है।
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