सही जानकारी के अभाव में अकसर लोग आइवीएफ तकनीक की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हैं, पर पहले उन्हें मालूम होना चाहिए कि असल में आइवीएफ तकनीक आखिर है क्या? यदि स्त्री की फैलोपियन ट्यूब्स बंद हों या पुरुष के सीमन में स्पर्म्स बहुत कम हों तो स्त्री के परिपक्व एग और पुरुष के स्पर्म को निषेचित होने के लिए प्रयोगशाला में 12 से 18 घंटे तक रखा जाता है। बाहर भ्रूण बन जाने पर इसे यूट्रस में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है।
उपचार की सफलता
टेस्ट ट्यूब बेबी की सफलता जहां स्त्री के एग्स की क्वॉलिटी एवं संख्या पर भी निर्भर करती है। वहीं पुरुष के स्पर्म्स के आकार एवं संख्या का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसके अलावा स्त्री की ओवरी से कितने एग्स रिलीज हुए थे, भ्रूण (एंब्रियो) की संख्या भी इसी पर निर्भर करती है। भारत में हम एक साथ दो से तीन भ्रूण स्त्री के गर्भ में प्रत्यारोपित कर सकते हैं। इसीलिए यहां टेस्ट ट्यूब बेबी की सफलता दर तकरीबन 45-60 प्रतिशत तक है। एक सफल आइवीएफ साइकल के लिए स्त्री को इंजेक्शन दिए जाते हैं और 10-12 एग्स तैयार किए जाते हैं, जिनका पुरुष के स्पर्म्स के साथ मेल करवा कर 4-5 भ्रूण तैयार होते हैं, लेकिन अगर स्त्री के एग्स अच्छे नहीं बनते या उनकी मात्रा कम होती है तो एग डोनर की सहायता लेनी पड़ती है।
इसे भी पढ़ें : रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में बढ़ जाता है हार्ट अटैक का खतरा
टॉप स्टोरीज़
कहीं देर न हो जाए
आजकल संतानहीन दंपती जब आइवीएफ सेंटर पहुंचते हैं तो उनमें से 25 प्रतिशत लोग यह सुनकर हैरान रह जाते हैं कि स्त्री की ओवरीज में अब एग्स नहीं हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि हर स्त्री की ओवरीज में केवल 400-500 एग्स होते हैं, जो प्रजनन लायक होते हैं। इन एग्स का सही इस्तेमाल 20 से 45 वर्ष की आयु के बीच ही संभव होता है। स्त्री की ओवरी में हर महीने एक एग बनकर निषेचित होता है और प्रजनन के लिए तैयार होता है। जब कोई स्त्री इन्फर्टिलिटी की समस्या से ग्रस्त होती है तो उसे प्रत्येक मेंस्ट्रुअल साइकल में ज्यादा से ज्यादा एग्स बनाने के लिए 8-10 दिनों तक कुछ दवाएं दी जाती हैं, परंतु इनसे एग्स ज्यादा बनकर भी बर्बाद हो जाते हैं और स्त्री कंसीव नहीं कर पाती।
इसे भी पढ़ें : महिलाओं को जल्दी घेरता है ऑस्टियोपोरोसिस रोग, जानें लक्षण और कारण
जरूरी है सावधानी
यदि आप ऐसी दवाएं ले रही हैं, तो उनका सेवन 6 माह से ज्यादा समय तक न करें। अगर इसके बावजूद आप गर्भधारण नहीं कर पातीं तो किसी विकसित टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर जाएं क्योंकि अगर आप 6 माह से ज्यादा इन दवाइयों का सेवन करेंगी तो आप किसी और तकनीक जैसे आइवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर से भी गर्भधारण नहीं कर पाएगी। इसके बाद आपको एग डोनर की भी जरूरत पड सकती है। आजकल आइवीएफ सेंटर्स में 20 प्रतिशत ऐसी स्त्रियां आती है जो कि 30-32 वर्ष की आयु में ही एग्स बनने की दवाओं का ओवरडोज लेकर अपनी सेहत का नुकसान करवा चुकी होती हैं और उन्हें एग डोनर की मदद लेनी पडती है।
ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: ओनलीमायहेल्थ ऐप
Read More Articles On Women Health In Hindi