कहते हैं कि जब रक्षा करने वाला ही आप पर हमला करने लग जाए, तब चुनौतियां काफी अधिक होती हैं। ल्यूपस कुछ इसी अंदाज में समझा जा सकता है। यह रोग कुछ इस तरह का है कि जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छे औ बुरे का भेद मिटाकर स्वस्थ उत्तकों पर ही हमला करने लगती है।
ल्यूपस एक ऑटोइम्यून (स्व-प्रतिरक्षित) रोग है। इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक सक्रिय होकर अपने ही उत्तकों पर हमला कर देती है। इससे शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंच सकता है। सूजन, टिशू और जोड़ों में दर्द, त्वचा, गुर्दा, तंत्रिका (मस्तिष्क, स्पाइनल कॉर्ड और तंत्रिकाओं) रक्त, हृदय, फेफड़े, पाचन तंत्र और आंखों में नुकसान हो सकता है।
सामान्य शारीरिक कार्यप्रणाली के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडीज नामक एक प्रोटीन का निर्माण करती है। यह प्रोटीन एंटीजन जैसे वायरस और बैक्टीरिया से हमारे शरीर की रक्षा करता है। ल्यूपस के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीजन और हेल्थी टिशूज के बीच का फर्क नहीं समझ पाती। इससे शरीर पर हमला करने वाले वायरस हेल्थी टिशूज पर हमला करने लगते हैं। इससे सूजन, दर्द और उत्तकों को नुकसान होने लगता है। एंटीजन एक विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्प्रेरण के लिए सक्षम एक पदार्थ है।
ल्यूपस के प्रकार
ल्यूपस के कई प्रकार सामने आ चुके हैं। लेकिन, इनमें सिस्टेमिक ल्यूपस सबसे सामान्य है। इसके अलावा डिस्कॉड, ड्रग-इन्ड्यूसड और नियोनेटल ल्यूपस भी होते हैं।
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डिस्कॉर्ड ल्यूपस
डिस्कॉर्ड ल्यूपस के रोगी पर इस बीमारी का असर केवल त्वचा तक ही सीमित रहता है। चेहरे, गर्दन और खोपड़ी पर होने वाले रेशेज से इसकी पहचान होती है। यह अंदरूनी अंगों को प्रभावित नहीं करता है। डिस्कार्ड ल्यूपस के दस फीसदी से भी कम रोगियों को सिस्टेमेटिक ल्यूपस होता है। लेकिन, इसे रोकने और पहचाने की कोई तकनीक अथवा इलाज अभी तक खोजा नहीं जा सका है ।
एसएलई
एसएलई यानी सिस्टेमेटिक ल्यूपस डिस्कॉर्ड ल्यूपस से अधिक खतरनाक होता है। यह शरीर के भीतरी अंगों और उनकी कार्यप्रणाली पर विपरीत असर डाल सकता है। कुछ लोगों को केवल सूजन की समस्या हो सकती है, वहीं कुछ लोगों को त्वचा और जोड़ों की तकलीफ हो सकती है। कुछ लोगों को जोड़ों की समस्या के साथ ही फेफड़ों, किडनी, रक्त और/अथवा हृदय संबंधी परेशानियां हो सकती हैं। इस तरह के ल्यूपस को रोग की सक्रियता और निष्क्रियता से भी पहचाना जाता है।
ड्रग-इन्ड्यूसड ल्यूपस
ड्रग-इन्ड्यूसड ल्यूपस किसी दवा विशेष से होने वाली एलर्जी के कारण होता है। इसके लक्षण एसएलई जैसे ही होते हैं। हायरपटेंशन यानी उच्च रक्तचाप और हृदय रोग की कुछ दवाओं से यह रोग हो सकता है। लेकिन, एक अनुमान के अनुसार करीब चार सौ ऐसी दवायें हैं जिनका सेवन करने से ड्रग-इन्ड्यूसड ल्यूपस की शिकायत हो सकती है। जब व्यक्ति इस तरह की दवाओं का सेवन बंद कर देता है, तो ल्यूपस का यह प्रकार अपने आप शांत हो जाता है।
नियोनेटल ल्यूपस
नियोनेटल ल्यूपस ल्यूपस का एक दुर्लभ प्रकार है। इसमें संक्रमित मां से गर्भस्थ शिशु को यह बीमारी मिल जाती है। इसमें गर्भ में पल रहे शिशु और नवजात की त्वचा पर रेशेज और हृदय व रक्त से जुड़ी कई अन्य समस्यायें भी हो सकती हैं। आमतौर पर बच्चे की त्वचा पर होने वाले रेशेज शुरुआती छह महीनों में गायब हो जाते हैं।
ल्यूपस एक अनुवांशिक रोग भी हो सकता है। कुछ ऐसे सबूत है कि यह बीमारी अधिक अफ्रीकी मूल, अमेरिकी, पश्चिम भारतीय और चीनी मूल के लोगों में ज्यादा होती है।
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