जानें क्या होती है कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी

कोरोनरी एं‍जियोग्राफी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दिल की रक्‍त वाहिकाओं को देखने के लिए एक्स-रे इमेजिंग का उपयोग किया जाता है। लेकिन कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी को समझने से पहले एं‍जियोग्राफी को समझना होता है।
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जानें क्या होती है कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी

कोरोनेरी एंजियोग्राफी हृदय से संबंधित रक्‍त वाहिनी, नलिकाओं, धमनियों और शिराओं का चिकित्सकीय अध्ययन है। यह एक्स-रे से मिलती-जुलती होता है और इसका प्रयोग कोरोनरी हृदय रोगों की जांच में किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहे तो कोरोनरी एं‍जियोग्राफी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दिल की रक्‍त वाहिकाओं को देखने के लिए एक्स-रे इमेजिंग का उपयोग किया जाता है। कोरोनरी एंजियोग्राफी, कार्डियक कैथीटेराइजेशन प्रक्रियाओं के सामान्य समूह का भाग होता है। इस लेख के जरिये हम आपको दे रहे हैं कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी के बारे में विस्‍तृत जानकारी।

 

 

एंजियोग्राफी क्या है और कैसे होती है 

कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी को समझने से पहले एं‍जियोग्राफी को समझना होगा। एंजियोग्राफी में रेडियोधर्मी तत्व या डाई का प्रयोग किया जाता है। इनकी मदद से रक्‍त वाहिनी नलिकाओं को एक्स-रे द्वारा साफ देखा जा सकता है। डिजिटल सबस्ट्रेक्शन एंजियोग्राफी तकनीक से कंप्यूटर, धमनियों की पीछे के दृश्य को गायब कर देता है जिससे चित्र और ज्यादा साफ दिखाई देता है। इस तकनीक का प्रयोग रक्‍त वाहिकाओं में अवरोध होने की स्थिति में या ऐसी आशंका होने पर किया जाता है। इसकी सहायता से हृदय की धमनी में किसी रुकावट या सिकुड़न की जानकारी का तुरंत पता चल जाता है। एंजियोग्राफी से अवरोधित धमनियों का पता चलने के बाद सर्जन उन धमनियों को एंजियोप्लास्टी द्वारा खोल देता है। उपचार के बाद रोगी के हृदय की बंद धमनियों में खून का प्रवाह सामान्‍य हो जाता है और रोगी को आराम मिल जाता है। इसकी सहायता से हृदयाघात और हृदय संबंधित अन्य बीमारियों के उपचार में मदद मिलती है। रोगी की एंजियोग्राफी करने से पहले उसे एनेस्थीसिया दिया जाता है और फिर आवश्यक उपकरणों की सहायता से एंजियोग्राफी की जाती है।

 

कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी प्रक्रिया

हृदय कैथीटेराइजेशन प्रक्रिया से दिल और रक्‍त वाहिनियों दोनों की स्थिति का पता लगाकर इलाज किया जा सकता है। वहीं कोरोनरी एं‍जियोग्राफी प्रक्रिया दिल की स्थिति का पता लगाने में मदद करती है। यह हृदय की कैथेटर प्रक्रिया का सबसे आम प्रकार है। कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी करने के लिए विशेष प्रकार की डाई रोगी के दिल की रक्‍त वाहिकाओं में डाली जाती है। इस डाई को एक्स-रे मशीन की सहायता से देखा जा सकता है। इसके बाद एक्स-रे मशीन तेजी से रोगी की रक्‍त वाहिकाओं के अंदर विस्तृत दृष्टि डाल कर छवियों की श्रृंखला बना लेती है। छवियों की इस सीरीज को एंजियोग्राम्स कहते हैं। यदि जरूरत महसूस होती है तो आपका चिकित्‍सक कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी के दौरान ही एंजियोप्लास्टी भी कर सकता है। कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी करने के लिए डॉक्‍टर रोगी के हाथ या कमर को सुन्न करने वाली दवा (एनेसथीसिया) दें कर सुन्न करता है। इसके बाद कार्डियोलोजिस्ट कैथेटर नामक पतली खोखली ट्यूब को धमनी के माध्यम से गुजारता है और हृदय की तरफ खिसकाता है। एक्स-रे छवियां चिकित्सक को कैथेटर की सही स्थिति बनाने में मदद करती हैं। जब कैथेटर उचित स्थान पर पहुंच जाता है तो डाई को कैथेटर में छोड़ दिया जाता है। अब एक्स-रे छवियां धमनी के माध्यम से डाई की गतिविधि को देखती हैं और खाका तैयार कर लेती है। डाई रक्‍त प्रवाह में किसी रुकावट को उजागर कर दिखाने में मदद करती है। इस प्रक्रिया में आधे से एक घंटे तक का समय लगता है।

 

 

कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी क्यों की जाती है 

यदि आपको निम्नलिखित में से कोई समस्या है तो कोरोनरी एंजियोग्राफी की जा सकती है-

  • पहली बार एनजाइना होने पर
  • यदि एनजाइना गंभीर हो गया है और इसमें आराम न होने पर या एनजाइना के बार-बार होने पर
  • सीने में तीव्र दर्द (परीक्षणों के सामान्य होने की स्थिति में भी)
  • दिल की सर्जरी होने पर व आपको कोरोनरी धमनी रोग का जोखिम होने पर
  • दिल की विफलता
  • हाल ही में दिल का दौरा पड़ा हो

 

जैसा कि हम लेख में बता भी चुके हैं कि कोरोनेरी एं‍जियोग्राफी को समझने से पहले एं‍जियोग्राफी को समझना होता है, और इस स्थिति का निर्णय पूरी तरह आपका हृदय रोग विशेषज्ञ ही ले सकता है। 

 

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