शोध - तीन में से दो बच्चों का समय पर नहीं हो पाता टीकाकरण

देश में दो तीहाई बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता जिससे ये बच्चे बीमारियों के प्रति ताउम्र असंवेदनशील बने रहते हैं। कई बार इन बच्चों की मौत भी हो जाती है।
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शोध - तीन में से दो बच्चों का समय पर नहीं हो पाता टीकाकरण

भारत वैसे तो टीकाकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण निर्माता व निर्यातक देश है। लेकिन फिर भी ये देश औरय यहां के बच्चों की विडंबना है कि इनका समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता। हाल ही में आई एक शोध के मुताबिक देश के दो तिहाई बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता। मतलब तीन में से दो बच्चों का समय पर टीकाकरण नहीं हो पाता।

समय पर टीकाकरण नहीं हो पाने के कारण ये बच्चे बीमारियों के प्रति संवेदनशील बने रहते हैं जिस कारण कई बार इनकी असमय मृत्यु भी हो जाती है।

 

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन्स ने किया शोध

यह शोद यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन्स के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने की है। इस डिपार्टमेंट द्वारा किए गए अनुसंधान की इस रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकल कर आया है कि केवल 18 प्रतिशत बच्चों को ही डीपीटी के अनुसार बताए गए तीन टीके दिए जाते हैं। वहीं सरकार से मदद प्राप्त टीकाकरण अभियान के 10 महीनों में लगभग एक तिहाई बच्चों को ही खसरे का टीका दिया दिया जाता है।

हाल में यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन से महामारी विग्यान में डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने वाली और अध्ययन की मुख्य लेखिका निजिका श्रीवास्तव ने कहा, यह व्यवस्था संबंधी समस्या है। निजिका फिलहाल स्वास्थ्य एवं पर्यावरण नियंत्रण साउथ कैरोलिना विभाग में हैं।

 

खसरे का कारण बन रहा असमय टीकाकरण

निजिका ने बताया कि ठीक समय पर टीकाकरण नहीं होने के कारण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है जिससे वे बीमारी के प्रति अंसवेदनशील हो जाते हैं। शोध के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि केवल 12 प्रतिशत बच्चों को नौ महीने के अंदर खसरे का टीका दिया गया, जबकि 75 प्रतिशत बच्चों को यह टीका पांच साल की उम्र तक दिया गया। टीकाकरण में यह देरी भारत में खसरे की महामारी फैलने का कारण बन सकती है।

 

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