गर्भावस्था के दौरान टोक्सोप्लाजमोसिज का उपचार

गर्भावस्था के दौरान टोक्सोप्लाजमोसिज की समस्या के उपचार के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। इसके अलावा कुछ विशेष सावाधानी के जरिए इस संक्रमण से बचा जा सकता है।
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गर्भावस्था के दौरान टोक्सोप्लाजमोसिज का उपचार

टोक्सोप्लाजमोसिज, गंदगी व बिल्लियों के मल से होने वाली बीमारी है। यह एक प्रकार का संक्रमण है जो टोक्सोप्लाजमा गोंडी नामक परजीवी से फैलता है।

गर्भवती की जांच करता डॉक्‍टरजब कोई गर्भवती महिला बिल्लियों या उनके मल के संपंर्क में आती हैं, तो इस संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। इसके अलावा कच्चे या अधपके मांस से भी यह संक्रमण फैलता है। गर्भवती महिला से उसके होने वाले शिशु को भी यह संक्रमण हो सकता है। इस संक्रमण की जल्द पहचान हो पाना मुश्किल होता है। इसके लक्षण जल्दी सामने नहीं आते। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है इनमें इस संक्रमण के होने का खतरा अधिक होता है।

गर्भावस्था के दौरान टोक्सोप्लाजमोसिज का उपचार

  • टोक्सोप्लाजमोसिस के लक्षण सुनिश्चित होने के बाद डॉक्टर से इस पर खुलकर बात करना जरूरी हैं। आमतौर पर यह रोग स्‍वयं ही ठीक हो जाता है। कुछ दिनों बाद स्‍वयं ही इसके लक्षण गायब हो जाते हैं। लेकिन, गर्भावस्‍था के दौरान आपको अतिरिक्‍त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। संक्रमित गर्भवती महिला को कुछ दवाएं दी जाती हैं जो इस संक्रमण को जड़ से खत्म कर देती हैं।
  • गर्भवती महिलाओं में इस संक्रमण की शिकायत होने पर डॉक्टर एंटीबॉयोटीक लेने की सलाह देते हैं। शुरुआती अवस्था में इस संक्रमण की पहचान व इलाज से अजन्मे बच्चे को इस बीमारी से बचाया जा सकता है। इसके अलावा अगर बच्चे में इस संक्रमण के लक्षण दिखने लगे तो इसे भी दवाओं के जरिये ठीक किया जा सकता है। इन दवाओं की मदद से बच्चा सेहतमंद हो सकता है।


गर्भवती महिलाओं को टोक्सोप्लाजमोसिज से बचने के लिए इन उपायों को अपनाएं-

  • बिल्ली के मल से दूर रहें।
  • किसी भी ऐसी चीज को हाथ ना लगाएं जिसमें बिल्ली का मल शामिल हो।
  • कूड़े, कॉकरोच या अन्य कीड़े मकौड़ों को हाथ ना लगाएं।
  • गंदगी वाली जगहों पर ना जाएं।
  • मास्क व दस्ताने पहनकर घर की सफाई या कूड़े को हाथ लगाएं। इसके बाद हाथों अच्छे से साबुन से धोएं।


अन्य लोगों के लिए बचाव

  • कच्चे व अधपके मांस के सेवन से बचना चाहिए।
  • कच्चा मांस छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
  • बच्चों की खेलने वाली जगह साफ सुथरा रखें यानी आसपास कुत्ते व बिल्ली का मल ना हो।   
  • मिट्टी या कूडें को छूते वक्त दस्ताना पहनना ना भूलें। इसके अलावा हाथों का साबुन से अच्छी तरह धोएं।

 

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