सेहत की दृष्टि से स्त्रियों के लिए यह उम्र का सबसे नाज़ुक दौर है क्योंकि 40-45 साल की आयु के बाद उनके शरीर में मेनोपॉज़ के लक्षण नज़र आने लगते हैं। वैसे तो यह शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया है पर इसकी वजह से उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
हड्डियों का कमजोर होना
मेनोपॉज़ की शुरुआत के पहले भी कुछ स्त्रियों को अनियमित पीरियड, ज्य़ादा ब्लीडिंग, यूटीआइ, हॉट फ्लैशेज़ (सर्दी के मौसम में भी पसीना आना ) और डिप्रेशन जैसे लक्षण नज़र आने लगते हैं। इसके अलावा पीरियड्स बंद होने के बाद उनके शरीर में प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्रोजेन हॉर्मोन का सिक्रीशन कम हो जाता है। यह हॉर्मोन स्त्रियों की हड्डियों के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। इसकी कमी से उनकी हड्डियां कमज़ोर पडऩे लगती हैं।
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बचाव
- शरीर में कैल्शियम की कमी न होने दें। अपने खानपान में ज्य़ादा से ज्य़ादा मिल्क प्रोडक्ट्स, फलों और हरी सब्जि़यों को शामिल करें।
- पर्सनल हाइजीन का विशेष ध्यान रखें।
- अगर पीरियड्स के मामले में कोई भी असामान्य लक्षण दिखाए दे तो बिना देर किए स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
- उम्र के इस दौर में ब्रेस्ट और एंडोमिट्रीयल कैंसर की आशंका भी होती है। इसलिए साल में एक बार ब्रेस्ट एग्ज़ैमिनेशन और पेप्सस्मीयर टेस्ट ज़रूर करवाएं।
- नियमित एक्सरसाइज़ करें और अपने बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें।
- अकेलेपन से बचें क्योंकि इस दौर में हॉर्मोन संबंधी असंतुलन की वजह से डिप्रेशन की आशंका बढ़ जाती है।
डायबिटीज
कुछ साल के बाद लोगों में डायबिटीज़ की आशंका बढ़ जाती है। इस उम्र में ज्य़ादातर लोगों को टाइप-2 डायबिटीज़ की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में पैंक्रियाज़ से इंसुलिन नामक ज़रूरी हॉर्मोन का सिक्रीशन कम हो जाता है। यह हॉर्मोन हमारे भोजन से मिलने वाले कार्बोहाड्रेट, शुगर और फैट को एनर्जी में बदलने का काम करता है लेकिन इसकी कमी से ग्लूकोज़ का स्तर बढऩे लगता है और लंबे समय तक शरीर में रहने के बाद यह विषैला हो जाता है। किडनी, आंखों और त्वचा पर इसका दुष्प्रभाव सबसे पहले पड़ता है। ज्य़ादा गंभीर स्थिति में यह हार्ट अटैक का भी सबब बन जाता है।
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बचाव
मिठाई, चॉकलेट और जंक फूड से दूर रहें। चावल, आलू, घी-तेल और मीठे फल भी इस समस्या को बढ़ा देते हैं। नियमित मॉर्निंग वॉक और एक्सरसाइज़ करें, बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें। एक ही बार ज्य़ादा भोजन लेने के बजाय हर दो घंटे के अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं। नियमित रूप से शुगर की जांच कराएं और डॉक्टर के सभी निर्देशों का पालन करें।
दिल से जुड़ी बीमारियां
जिन लोगों को हाई ब्लडप्रेशर और डायबिटीज़ की समस्या एक साथ होती है, उनमें दिल की बीमारी का खतरा सबसे ज्य़ादा होता है। दरअसल खानपान की गलत आदतों और अनियमित दिनचर्या की वजह से हृदय की धमनियों की भीतरी दीवारों पर कोलेस्ट्रॉल का जमाव शुरू हो जाता है। इससे पूरे शरीर में सुचारू ढंग से रक्त प्रवाह बनाए रखने के लिए हार्ट को बहुत ज्य़ादा मेहनत करनी पड़ती है और धीरे-धीरे वह कमज़ोर होने लगता है। इससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है।
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बचाव
अगर कोई समस्या न हो तो भी चालीस साल की उम्र के बाद नियमित रूप से शुगर और बीपी की जांच कराएं। संयमित खानपान और जीवनशैली अपनाएं। नियमित एक्सरसाइज़ से बढ़ते वज़न को नियंत्रित रखें। अगर आपके परिवार में इस बीमारी की फैमिली हिस्ट्री रही है तो साल में एक बार ईसीजी अवश्य करवाएं।
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